इंडो-अफ्रीकन समिट में पूरी नहीं हो सकी मोदी की चाहत

नई दिल्ली। इंडो-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में राज्य प्रायोजित आतंकवाद की निंदा वाला एक बयान पारित कराने की भारत की कोशिशें कामयाब नहीं हो सकीं। जाहिर तौर पर भारत ने पाकिस्तान को ध्यान में रखकर ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन आंतरिक संघर्षों में उलझे उत्तर अफ्रीकी देशों ने इस पर ऐतराज जता दिया। आखिरकार समिट ने फाइनल डॉक्युमेंट में ‘नॉन-स्टेट ऐक्टर्स’ और ‘क्रॉस-बॉर्डर टेरर’ की शब्दावली का उपयोग किया।
अफ्रीकी देशों को $10 अरब का कर्ज देगा भारत
इंडिया ने गुरुवार को ऐलान किया कि अगले पांच वर्षों में अफ्रीका महाद्वीप के देशों को 10 अरब डॉलर का कर्ज दिया जाएगा। इसके अलावा लगभग 39 अरब 21 करोड़ रुपए (60 करोड़ डॉलर) की सहायता देने की घोषणा भी की गई। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसके साथ कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों और आतंकवाद से जंग के मामले में अफ्रीकी देशों को भारत के साथ ‘एक स्वर’ में आवाज उठानी चाहिए।
तीसरे इंडिया-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में मोदी ने 41 देशों के प्रमुखों और 54 देशों के सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारियों को भरोसा दिया कि भारत उनको रक्षा, सुरक्षा, कारोबार और बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में हरसंभव सहायता देगा।
समापन सत्र में शिखर सम्मेलन ने ‘दिल्ली घोषणा’ को स्वीकार किया। साथ ही इंडिया अफ्रीका फ्रेमवर्क फॉर स्ट्रैटेजिक को-ऑपरेशन पर भी सहमति बनी, जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के रास्ते तलाशे जाएंगे। मोदी ने कहा, ‘आज यह केवल इंडिया और अफ्रीका की मीटिंग नहीं है। आज दुनिया की एक तिहाई आबादी के प्रतिनिधि एक छत के नीचे जुटे हैं। आज सवा अरब भारतीयों और सवा अरब अफ्रीकी लोगों के दिल एक लय में धड़क रहे हैं।’
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