किसान के परिवारों को राहत पहुंचाकर दें मानवता का परिचय : नाना पाटेकर

nanaतहलका एक्सप्रेस

बुलढाणा। संकटों से घिरे हलाकान किसानों पर आत्महत्या की नौबत आई है। इस निराशा की खाई से किसानों को बाहर निकालकर उनको राहत देने के साथ मानवता का परिचय देने के लिए सभी समाज घटकों ने एकत्रित आकर कार्य करना जरुरी है, ऐसा आवाहन “नाम’ फाउंडेशन के अध्यक्ष विख्यात समाजसेवी तथा अभिनेता नाना पाटेकर व मकरंद अनासपुरे ने किया।

“नाम’ फाऊन्डेशन की ओर से “एक साध्या सत्यासाठी’ उपक्रम के तहत रविवार 25 अक्टूबर को बुलडाणा, अकोला एवं वाशिम जिले के आत्महत्या पीडि़त हर एक किसान परिवारों की 137 विधवाओं को 15 हजार रुपए के धनादेश वितरित किए गए। स्थानीय गर्दे वाचनालय के सभागृह में काफी भावभीने माहौल में हुए कार्यक्रम में नाना व मकरंद ने विधवा बहनों की सांत्वना कर “नाम’ फाउंडेशन हर कदम पर उनके साथ है, ऐसा धीरज बन्धाया। इस समय अपने मंतव्य में नाना पाटेकर ने कहा कि, वर्तमान में कई कारणों से किसान परिवारों को हलाकान कर रखा है।
ऐसे में समाज के सभी घटकों ने अपनी जरुरतें कम कर न्यूनतम मुट्ठी भर सहायता किसानों को देकर मानवीय कर्तव्य का परिचय देने की आवश्यकता है। फैशनेबल कपड़े, होटल के खर्च आदि में कटौती कर हम सब किसानों को सहायता कर सकते हैं तथा उनके उजड़े हुए परिवार में फिर से बहार ला सकते हैं। उन्होंने बताया कि अन्नदाता किसान आज सभी भारी संकटों के बीच फंसा है। ऐसी स्थिति में सरकार से अपेक्षा रखने की बजाय किसानों को राहत देने के लिए हम सब को स्वयंस्फूर्ति से आगे आकर शुरुआत करनी चाहिए; इसके लिए संघर्ष की आवश्यकता नहीं। संघर्ष करने से प्रश्न हल नहीं होंगे।

इसके लिए समाज घटकों की शांतिपूर्ण सक्रियता से एवं मूक क्रांति के माध्यम से वर्तमान प्रतिकूल स्थिति में परिवर्तन ला सकते हैं। समाज के सभी घटक अपने साथ है, यह भावना किसान वर्ग में सबसे पहले निर्माण करने आवश्यकता है। अपने मस्तिष्क में बननेवाली घमंड की दीवारों को तोड़कर आसपास देखो, कई आपदाओं से किसान वर्ग हतोत्साहित हुआ है। उनको मानसिक, आर्थिक रुप से राहत देने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। यही उद्देश सामने रखकर ‘नामÓ फाऊन्डेशन समाज के सभी घटकों को एक श्रृंखला में जोडऩे का प्रयास कर रही है।
लगातार आनेवाली प्राकृतिक आपदाएं, खेती में खर्च की तुलना में उत्पादन की कमी, बाजार में कृषि उपज को मिल रहे अत्यल्प दाम, खेती व्यवसाय के लिए पर्याप्त निधि की कमी, ऐसे कई कारणों से किसानों को घुटन हो रही है। ऐसी स्थिति में निराश किसानों के हृदय में घुमड़ते आत्महत्या के विचार से उनको परावृत्त करवाना हम सबकी जिम्मेदारी है। साथ ही आत्महत्या पीडि़त किसान परिवारों की सहायता कर मानवता का परिचय देना चाहिए। इससे सामाजिक सेवा के साथ आत्मिक संतोष मिलेगा; ऐसा नाना ने अपने गंभीर किन्तु विचारणीय प्रेरक मंतव्य में कहा।
इस समय ‘नामÓ फाऊन्डेशन के संप्रेरक अभिनेता मकरंद अनासपुरे ने अपने उद्बोधन में बताया कि आत्महत्या पीडि़त किसान परिवारों की माता-बहनों ने उनके कौशल्य को विकसित कर उनको स्वावलंबन जीवनयापन करने के लिए नाम की ओर से 15 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है। इन माता-बहनों का मानसिक तनाव दूर कर उनके भविष्य का आधार बनाने का सभी ने प्रयास करना जरुरी है, ऐसा आवाहन मकरंद अनासपुरे ने किया।
कार्यक्रम में नाना व मकरंद ने किसानों को वर्तमान प्रतिकूल स्थिति में हार न मानते हुए कुछ रास्ता निकालकर जीवन जीने का आवाहन किया। किसानों के प्रति कर्तव्य निभाने का का प्रयास निरंतर जारी रहेंगा, ऐसा आश्वासन नाना ने इस समय दिया। मंच पर नाम फाऊन्डेशन के विदर्भ संगठक हरीश इथापे, एड. दीपक पाटिल, एड. विजय सावले, उदय देशपांडे आदि उपस्थित रहे संचालन रणजीतसिंह राजपूत ने किया।

 

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