गंगा जमुनी तहजीब का बेजोड़ नमूना पेस किया देवबंद ने- सलमान खुर्शीद ने की भगवान राम की आरती देवबंद ने किया इस्लाम से खारिज

लखनऊ। भारत में गंगा-जमुनी तहजीब का ढोंग बड़ा उड़ाया जाता है, हर मुद्दे पे सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पे गंगा-जमुनी तहजीब का जुमला सेक्युलर लोग लाते हैं, लेकिन दरअसल ये सेकुलरो और असली सांप्रदायिक लोगों का एक बहाना है बहुसंख्यको को भ्रमित करने के लिए. आज हम आपको एक घटना बताएँगे जिससे इन फ़र्ज़ी सेकुलर्स और कथित धार्मिक ठेकेदार एक्सपोज़ हो जाएंगे.
यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे सलमान खुर्शीद, जो कि भारतीय मुस्लिमो के सबसे बड़े नेता होने का दम भरते थे, उन्हें आज इस्लाम से बाहर कर दिया गया है. दरअसल हुआ यह कि संभल के कल्कि महोत्सव में सलमान खुर्शीद ने भगवान राम की आरती की थी. उसकी वीडियो सामने आने के बाद देवबंद के उलेमा ने उन्हें इस्लाम से बाहर कर दिया है.
बता दें, कि पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का एक वीडियो वायरल हुआ है. जहां वे कल्कि महोत्सव के दौरान भगवान श्री राम की आरती करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सोशल साइट्स पर वीडियो वायरल होने के बाद देवबंद के उलेमा मुफ्ती तारिक क़ासमी ने सलमान खुर्शीद को तौबा करने की हिदायत दी है.
उलेमा ने कहा है कि इस्लाम में किसी और की इबादत नहीं की जा सकती. यदि कोई ऐसा करता है तो उसे इस्लाम से बाहर कर दिया जाएगा. देवबंद के उलेमा ने इसे सही फैसला बताते हुए इस्लाम से खरिज होने के बाद फिर से कलमा पढ़ने के बाद इस्लाम में आने की बात कही है.
गौरतलब है कि इसी दारूम उलूम देवबंद ने बीते शनिवार को एक और वाहियात फतवा जारी करते हुए कुछ महिलाओं को इस्लाम से खारिज कर दिया है. इन महिलाओं ने वाराणसी में दीपावली के दिन भगवान राम की आरती की थी, जिसको दारुम उलूम गुनाह मानता है. अब बताइये यह कैसा सेकुलरिज्म है? क्या यही सेकुलरिज्म है जिसका दम कांग्रेस और तमान सेक्युलर पार्टियां भरती हैं? क्या किसी धर्म के भगवान् को सम्मान देना इस्लामी ठेकेदारों को इतना बुरा लगता है कि वो अपने ही कौम के इंसान को इस्लाम से बाहर कर देते हैं?और इस्लाम पे क्या इन ठेकेदारों का कब्ज़ा है, जब चाहे किसी को बाहर कर दें और जब चाहे किसी को शामिल कर लें?
और सबसे बड़ी बात….अब तक किसी भी सेक्युलर पार्टी ने इस घटना कि निंदा नहीं कि है. सब मुँह में दही जमाये बैठे हैं क्यॊं की उनमें इतनी हिम्मत नहीं है देवबंद के इन घटिया और जाहिलाना फतवों का विरोध करें. उन्हें अपने वोट बैंक कॊ खोने का डर लगता है।
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