गुजरात में जमानत जब्त होने के बाद अब नागालैंड में चुनाव लड़ेगी AAP

नई दिल्ली। देश में हर समय चुनावी माहौल बना रहता है, हर साल किसी ना किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होते रहते हैं. ये एक बाधा है सरकारी योजनाओं के पूरा होने में, हाल ही में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव हुए हैं, अगले साल फिर से कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। गुजरात में जिन दलों ने चुनाव लड़ा था उनमें अरविंद केजरीवाल की AAP भी थी, ये अलग बाद है कि गुजरात में आप के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, एक समय गुजरात में बड़ी ताकत के तौर पर उभरने का दावा करने वाली आप ने कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसके बाद भी उसे शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद आप एक और राज्य में चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।

AAP ने फैसला किया है कि वो अगले साल यानि 2018 में नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरेगी, वो चुनाव में सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। आप धीरे धीरे देश में अपने विस्तार की तरफ कदम बढ़ा रही है, इसी सिलसिले में अब नागालैंड में चुनाव मैदान में उतरेगी। आप नेता संजय सिंह और आशुतोष ने इस बारे में जानकारी दी। दीमापुर में इन दोनों ने एलान किया कि आप भी चुनाव लड़ेगी। नागालैंड में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन उस से भी बड़े मुद्दे वहां पर हैं, बता दें कि नागालैंड में फिलहाल एनडीए की सरकार है। केजरीवाल को लड़ने के लिए केवल बीजेपी या फिर एनडीए का नाम चाहिए होता है। जिस भी राज्य में बीजेपी की सरकार है वहां पर वो चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित दिखाई देते हैं। सवाल ये है कि गुजरात की ताजा हार के बाद इतनी जल्दी नए राज्य में चुनाव लड़ने का फैसला क्यों किया।

बता दें कि नगालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट सबसे प्रमुख पार्टी है. इस राज्य में किसी और पार्टी का उभार मुश्किल दिखाई दे रहा है। वैसे ये भी सही कि आप के पास नागालैंड में खोने के लिए कुछ नहीं है. वहां पर वो प्रचार के परंपरागत तरीके अपना सकते हैं। AAP का मानना है कि भले ही चुनाव लड़ने से कुछ हासिल ना हो लेकिन राज्य में पार्टी का संगठन तो खड़ा हो जाएगा। एक बार संगठन खड़ा हो गया तो वो आगे पार्टी के ही काम आएगा. इसलिए अभी से आप ने आक्रामक तरीके से प्रचार का फैसला किया है। दीमापुर और कोहिमा में पार्टी अपना मुख्यालय खोलने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी तरफ ये साफ नहीं हो पाया है कि केजरीवाल नागालैंड प्रचार के लिए जाएंगे या फिर नहीं।

गुजरात में अपने हाथ जला चुके केजरीवाल का ये फैसला हैरान भी करता है। गुजरात में केजरीवाल के सारे दांव बेकर साबित हुए थे। मतदान से पहले केजरीवाल ने मतदाताओं से अपील भी की थी कि वो चाहे जिसे वोट कर दें लेकिन बीजेपी को किसी भी कीमत पर वोट ना करें, उनके इस बयान की जमकर आलोचना भी हुई थी। बीजेपी ने कहा था कि केजरीवाल पूरी तरह से कांग्रेसी हो गए हैं। वहीं सियासी जानकारों का भी कहना है कि आप ने केवल नाम के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे। मुख्य मुकाबला पहले की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच में था। एक पार्टी के तौर पर आप विस्तार करना चाहती है, इसलिए वो गुजरात के चुनाव में उतरी थी। अब नागालैंड में चुनाव लड़ना भी इसी तरह का फैसला दिखाई दे रहा है, जहां पर पार्टी जीत से ज्यादा अपने संगठन के विस्तार के लिए चुनाव लड़ने वाली है।

 

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