‘जनेऊधारी’ और ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ की राजनीति के बीच फंसा मुस्लिम समाज: ओवैसी

नई दिल्ली। लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया है. लेकिन अभी भी इस पर बहस खत्म नहीं हुई है, सदन के बाहर विपक्ष का सरकार पर हमला लगातार जारी है. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पहले बहस के दौरान लोकसभा में सरकार पर वार किया और अब बाहर आकर भी हमला बोला है.

उन्होंने कहा है कि मुस्लिम समाज इस देश में जनेऊधारी और हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति में फंस गया है, इनमें से एक एलिट क्लब है तो दूसरा भारतीय राष्ट्रीयवाद का ग्रुप है.

लोकसभा में सुनाई बंदर-मछली की कहानी…

आपको बता दें कि गुरुवार को लोकसभा में बहस के दौरान ओवैसी ने कहा कि ये बिल मोदी सरकार अपने स्वार्थ के चलते लेकर आई है और उसकी मुस्लिम महिलाओं की मदद करने की बात केवल बहाना है. ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में एक कहानी सुनाकर सरकार पर निशाना साधा.

ओवैसी ने कहा कि बचपन में हम एक कहानी सुनते थे कि एक नदी में बहुत सारी मछलियां तैर रही हैं और मजे कर रही हैं. किनारे पर एक बंदर बैठा है और वो इन मछलियों को एक-एक कर नदी से निकालता है और किनारे रखता है. किनारे आने से ये मछलियां पानी के लिए तड़प-तड़पकर मर गईं.

जब बंदर से पूछा गया कि उसने इन मछलियों को क्यों बाहर निकाला तो उसने जवाब दिया कि वो इन मछलियों को पानी में डूबने से बचा रहा था. ओवैसी ने कहा कि सरकार के मुस्लिम महिलाओं को लेकर किया जा रहा ये प्रयास उस बंदर जैसा ही है.

आपको बता दें कि मोदी सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 (The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill) पर एक बाधा पार कर ली है. गुरुवार को लोकसभा ने तीन तलाक बिल को पास कर दिया. अब इस विधेयक (Bill) को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अगर मोदी सरकार राज्यसभा में भी इस विधेयक को पास करा लेती है, तो फिर इसको राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.

अब राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा होगी, जहां बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का बहुमत नहीं है. तीन तलाक के खिलाफ इस बिल में सजा के प्रावधान को लेकर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही इसमें संशोधन की मांग कर रहे हैं. लोकसभा में भी AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य ने संशोधन प्रस्ताव पेश किए, लेकिन समर्थन नहीं मिलने से खारिज हो गए. अब सरकार के लिए राज्यसभा से इस बिल को पारित कराना बड़ी चुनौती है.

 

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