ट्रिपल तलाक पर केंद्र सरकार के बिल से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लगी लाल मिर्ची, बिलबिला उठे ‘ठेकेदार’

लखनऊ। केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार का इस मसले पर विधेयक तैयार है। वैसे तो शुक्रवार को ही ये बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर दिया जाता। लेकिन, कांग्रेस पार्टी के हंगामे के चलते ये बिल पेश नहीं हो पाया। इस बीच रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इस विधेयक के खिलाफ खड़ी हो गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को ट्रिपल तलाक के खिलाफ बनने वाले संभावित कानून को लेकर इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग के बाद AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने इसे शरीयत के खिलाफ बताते हुए इसे नामंजूर कर दिया। इतना ही नहीं AIMPLB का कहना है कि ये विधेयक संविधान के भी खिलाफ है।

सबसे खास बात ये है कि सालों से जिस ट्रिपल तलाक के नाम पर महिलाओं का शोषण होता रहा है आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को उसी के खिलाफ बन रहा कानून महिला विरोधी नजर आ रहा है। लेकिन, ये बिल किस तरह से महिला विरोधी है इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि AIMPLB ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वो इस बिल को वापस लें। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का दावा है कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल आने से कई परिवार तबाह हो जाएंगे। बोर्ड के मु‍ताबिक प्रस्तावित बिल संविधान विरोधी और शरीयत के खिलाफ है। इसके साथ ही इसे आपराधिक कृत्य भी बताया गया है। बोर्ड के अध्‍यक्ष सज्‍जाद नोमानी का कहना है कि ये मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी की कोशिश है।

ट्रिपल तलाक पर संसद में आ रहे बिल के खिलाफ लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग के बाद सज्‍जाद नोमानी ने कहा कि इस बिल को बनाते वक्‍त किसी भी तरह की वैध प्रक्रिया को ध्यान में नहीं रखा गया है और ना ही किसी पक्षकार से कोई बात की गई। बिल तैयार करने से पहले सरकार को इस मामले में पक्षकारों की राय जाननी चाहिए थी। नोमानी का कहना है कि हर स्‍तर पर बिल का विरोध होगा। अब जब सुप्रीम कोर्ट भी ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दे चुकी है तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लगता है ये बिल महिलाओं की आजादी के खिलाफ है। अब भला AIMPLB की इस दलील को कौन समझ और समझा सकता है कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं को आजादी में रोड़ा कैसे बनेगा।

जबकि ये बिल मुस्लिम महिलाओं को और ज्‍यादा ताकत देता है। जो महिलाएं अब तक ट्रिपल तलाक के बाद घुट-घुट कर जिदंगी जिया करती थीं अब उन्हें कानूनी जंग का अधिकार मिलेगा। इतना ही ये बिल महिलाओं को इस बात का भी अधिकार देता हे कि वो तीन तलाक के बाद अपने शौहर से मुआवजे की मांग कर सके। इतना ही नहीं वो अपने बच्‍चों की परवरिश के लिए भी मुआवजा मांग सकती है। असल में इस बिल के पेश होने और कानून बन जाने के बाद मुस्लिम पुरुषों की मनमानी नहीं चल पाएगी। वो जब चाहें अपनी पत्‍नी को छोड़कर दूसरा निकाह नहीं कर पाएगा। तीन तलाक पर शौहर को ना सिर्फ अदालतों के चक्‍कर लगाने होंगे बल्कि दोषी पाए जाने पर सात साल तक की सजा ओर जुर्माना दोनों ही भुगतना पड़ सकता है। ये सब शायद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को रास नहीं आ रहा है।

 

 

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