डालमिया के बाद BCCI प्रेसिडेंट की रेस में शरद पवार और गौतम रॉय समेत 5 नाम

नई दिल्ली। बीसीसीआई के प्रेसिडेंट जगमोहन डालमिया के निधन के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि बोर्ड का अगला प्रेसिडेंट कौन होगा? इस रेस में शामिल कुछ नाम हैं-शरद पवार, राजीव शुक्ला, अनिरुद्ध चौधरी, अमिताभ चौधरी और गौतम रॉय। इनकी दावेदारी कितनी मजबूत है, नजर डालिए-
शरद पवार
डालमिया के बाद नए बोर्ड प्रेसिडेंट की दौड़ में सबसे बड़े कंपटीटर के तौर पर शरद पवार उभरे हैं, जो मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी हैं। माना जाता है कि उन्होंने एक बार फिर बीसीसीआई की कमान संभालने की इच्छा करीबियों से जाहिर कर चुके हैं। लेकिन पवार को बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और ताकतवर क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर माने जाने वाले श्रीनिवासन खेमे का समर्थन हासिल नहीं है।
डालमिया के बाद नए बोर्ड प्रेसिडेंट की दौड़ में सबसे बड़े कंपटीटर के तौर पर शरद पवार उभरे हैं, जो मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी हैं। माना जाता है कि उन्होंने एक बार फिर बीसीसीआई की कमान संभालने की इच्छा करीबियों से जाहिर कर चुके हैं। लेकिन पवार को बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और ताकतवर क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर माने जाने वाले श्रीनिवासन खेमे का समर्थन हासिल नहीं है।
गौतम रॉय
2 मार्च को हुई एजीएम में डालमिया को ईस्ट जोन से चुना गया था। लिहाजा, उनके बाद ईस्ट को ही स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग में अपनी तरफ से प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए अगला नाम प्रपोज करने का हक होगा। ऐसे में, अगले प्रेसिडेंट के लिए ईस्ट जोन के वाइस प्रेसिडेंट गौतम रॉय सबसे आगे होंगे। अगर गौतम रॉय से ताकतवर कैंडिडेट सामने आता है तो ईस्ट जोन एक प्रपोजल पास कर यह तय कर सकता है कि वह बोर्ड के प्रेसिडेंट के लिए अपना कोई कैंडिडेट नहीं खड़ा करेगा। 1992 में ग्वालियर में हुए बोर्ड के सालाना जनरल मीटिंग में सबसे पहले चुने गए पांच वाइस प्रेसिडेंट्स में से सबसे सीनियर हैं।
राजीव शुक्ला
रेस में यूपी क्रिकेट असोसिएशन के प्रेसिडेंट और कांग्रेस लीडर राजीव शुक्ला भी शामिल हैं। हालांकि, उन्हें ईस्ट जोन से और ज्यादा समर्थन की जरूरत होगी। पिछली बार के चुनाव में वे श्रीनिवासन खेमे के अनिरुद्ध चौधरी से ट्रेजरार का चुनाव हार गए थे। यानी शुक्ला को भी श्रीनिवासन से समर्थन की जरूरत होगी।
रेस में यूपी क्रिकेट असोसिएशन के प्रेसिडेंट और कांग्रेस लीडर राजीव शुक्ला भी शामिल हैं। हालांकि, उन्हें ईस्ट जोन से और ज्यादा समर्थन की जरूरत होगी। पिछली बार के चुनाव में वे श्रीनिवासन खेमे के अनिरुद्ध चौधरी से ट्रेजरार का चुनाव हार गए थे। यानी शुक्ला को भी श्रीनिवासन से समर्थन की जरूरत होगी।
अनिरुद्ध चौधरी और अमिताभ चौधरी
तमाम आरोपों के बावजूद श्रीनिवासन का खेमा बोर्ड में काफी मजबूत है और एक बार फिर श्रीनिवासन अपने खेमे के किसी शख्स को बोर्ड का अध्यक्ष बनवा सकते हैं। ये अनिरुद्ध चौधरी भी हो सकते हैं और बोर्ड के मौजूदा ज्वाइंट सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी भी।
तमाम आरोपों के बावजूद श्रीनिवासन का खेमा बोर्ड में काफी मजबूत है और एक बार फिर श्रीनिवासन अपने खेमे के किसी शख्स को बोर्ड का अध्यक्ष बनवा सकते हैं। ये अनिरुद्ध चौधरी भी हो सकते हैं और बोर्ड के मौजूदा ज्वाइंट सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी भी।
एक्सपर्ट व्यू : ईस्ट जोन ही तय करेगा अब नया प्रेसिडेंट
स्पोर्ट्स एक्सपर्ट अयाज मेमन ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया- “अब बोर्ड प्रेसिडेंट की रेस ओपन हो गई है। डालमिया ईस्ट जोन से थे। इसलिए प्रेसिडेंट पोस्ट पर पहला हक उसी का है। लेकिन ईस्ट जोन में बड़े नाम नहीं हैं। ऐसे में, दूसरे जोन के लोग भी प्रेसिडेंट बनने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी शर्त यह होगी कि ईस्ट जोन ‘नो ऑब्जेक्शन’ का प्रपोजल पास करे कि उसे दूसरे जोन से किसी और के प्रेसिडेंट बनने में कोई दिक्कत नहीं है। बोर्ड का नया प्रेसिडेंट बनने तक गौतम राय को अंतरिम प्रेसिडेंट बनाया जा सकता है। बोर्ड के कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक, अगर किसी वजह से प्रेसिडेंट की पोस्ट खाली हो जाती है, तो उसी जोन का वाइस प्रेसिडेंट यह पद संभालेगा। अगर ईस्ट जोन ‘नो ऑब्जेक्शन’ पास करे, तो बोर्ड को नया प्रेसिडेंट तय करने के लिए इमरजेंसी एजीएम बुलाना होगा। लेकिन नए प्रेसिडेंट के लिए काफी विवाद हो सकता है। कोई भी इतने बड़े पद पर किसी को अासानी से नहीं बैठने देना चाहेगा। ऐसे में, जोर-आजमाइश न सिर्फ जोन बेस्ड होगी, बल्कि जोन के अंदर भी हो सकती है। नॉर्थ जोन में अनुराग ठाकुर और अनिरुद्ध चौधरी दाे ताकतवर नाम हैं। जरूरी नहीं कि ये दोनों एक-दूसरे का सपोर्ट ही करें।”
डालमिया के निधन से बोर्ड के फ्यूचर पर सवाल
बीसीआईआई प्रेसिडेंट जगमोहन डालमिया का रविवार रात कोलकाता में निधन हो जाने के बाद बोर्ड के फ्यूचर पर सवालिया निशान लग गया है। उन्होंने ऐसे वक्त बोर्ड की कमान संभाली थी, जब स्पॉट फिक्सिंग मामले के बाद एन श्रीनिवासन बाहर हो चुके थे। डालमिया की वापसी इसलिए भी सुर्खियों में थी, क्योंकि उन्होंने ही 1996 में स्पॉन्सरशिप और टीवी राइट्स के जरिए बीसीसीआई को मालामाल बनाया था। अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि डालमिया के बाद दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड बीसीसीआई के मैनेजमेंट को कौन संभालेगा? बीसीसीआई की नेट वर्थ 2014 में 1891 करोड़ रुपए थी। यह 2023 तक बढ़कर 4000 से 5000 करोड़ रुपए हो सकती है। ऐसे में, इसका मैनेजमेंट सबसे अहम है।
डालमिया के अचीवमेंट्स
– डालमिया और आईएस बिंद्रा की जोड़ी की वजह से 1987 का वर्ल्ड कप इंडिया-पाकिस्तान में हुआ।
– डालमिया के चलते ही 1996 का वर्ल्ड कप भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका में हुआ।
– जिस बीसीसीआई का मुनाफा सिर्फ 1.8 करोड़ रुपए था, उसे डालमिया ने 1996 में एक झटके में 80 करोड़ दिला दिए।
– 1997 में आईसीसी प्रेसिडेंट बनकर उन्होंने इंटरनेशनल काउंसिल में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया का दबदबा खत्म कर दिया।
WHAT NEXT : अंतरिम प्रेसिडेंट बनेगा? AGM में होगा फैसला?
1. तुरंत कौन बनेगा प्रेसिडेंट?
डालमिया के निधन के बाद बोर्ड के किसी सीनियर मेंबर को अंतरिम या एड हॉक प्रेसिडेंट चुना जा सकता है। इस पोस्ट के लिए राजीव शुक्ला या अनुराग ठाकुर दौड़ में सबसे आगे रह सकते हैं।
2. आगे की प्रॉसेस क्या होगी?
एडहॉक प्रेसिडेंट चुने जाने बाद यह मामला स्पेशल एजीएम में जाएगा। इस मीटिंग में तय होगा कि अगला प्रेसिडेंट कैसे चुना जाएगा।
3. क्या दोबारा फुल इलेक्शन होगा?
इसके आसार नहीं हैं, क्योंकि बीसीसीआई का ‘इलेक्शन ऑफ ऑफिस बेयरर्स एंड वाइस प्रेसिडेंट्स’ से जुड़ा रूल 15 कहता है कि अगर किसी प्रेसिडेंट का निधन हो जाए तो 15 दिन के अंदर स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जाए। इसमें प्रेसिडेंट चुना जाए। इसे जोन के सभी मेंबर नॉमिनेट करें। यह व्यक्ति अगले चुनाव तक बीसीसीआई चीफ रह सकता है। अगर यही प्रॉसेस अपनाई गई, तो अगले चुनाव सितंबर 2017 से पहले नहीं होंगे।
4. पवार और श्रीनिवासन खुद या उनकी लॉबी कितनी एक्टिव रहेगी?
यह कहना मुश्किल है। डालमिया के इलेक्शन के वक्त से ही पवार बीसीसीआई की एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं। वहीं, श्रीनिवासन को चुनाव लड़ने से सुप्रीम कोर्ट ने ही रोक दिया था। वे बीसीसीआई की मीटिंग में आ सकते हैं या नहीं, यह मामला भी अभी कोर्ट में चल रहा है। जहां तक दोनों की लॉबी की बात है, तो पवार के समर्थन वाले जोन से उनका वाइस प्रेसिडेंट अगले बीसीसीआई चीफ की दौड़ में शामिल रह सकता है।
इंडियन क्रिकेट में क्या थी डालमिया की अहमियत?
1. 1979 : बीसीसीआई में एंट्री
जगमोहन डालमिया की बीसीसीआई में एंट्री 1979 में हुई। तब इंडिया क्रिकेटिंग पावर नहीं था। 1983 में इंडिया ने पहला वर्ल्ड कप जीता। इसके बाद डालमिया ने आईएस बिंद्रा के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का आईसीसी में दबदबा कम करने की प्लानिंग पर काम शुरू किया। इन दोनों की जोड़ी ने ही 1987 में सब कॉन्टिनेंट में पहला वर्ल्ड कप कराया।
2. 1992 : दूरदर्शन की मोनोपॉली तोड़ी
1992 में बिंद्रा बीसीसीआई प्रेसिडेंट और डालमिया सेक्रेटरी बन चुके थे। उस वक्त बीसीसीआई को अपने हर मैच को ब्रॉडकास्ट कराने के लिए दूरदर्शन को 5 लाख रुपए का चेक देना पड़ता था। डालमिया सरकार से लड़े और इंडिया-इंग्लैंड सीरीज से पहले बोर्ड के टीवी राइट्स ट्रांस वर्ल्ड इंटरनेशनल को 3 करोड़ रुपए में दिला दिए। जिस बीसीसीआई को हर मैच के 5 लाख रुपए दूरदर्शन को देने होते थे, उसे अब हर मैच के बदले 18 लाख रुपए अपनी जेब में मिलने लगे। उस साल बीसीसीआई ने 1.8 करोड़ रुपए का प्रॉफिट कमाया। इसी दौरान उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल की तरफ से सूचना प्रसारण मंत्रालय के खिलाफ टीवी राइट्स का मुकदमा लड़ा। इसमें उन्हें जीत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एयरवेव्स सरकार की मोनोपॉली नहीं रहेगी।
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