तोशिबा में 7,600 करोड़ का घोटाला, सीईओ ने झुककर कहा, हम शर्मिंदा हैं…


टोक्यो। जापान की 87,000 करोड़ रुपए की टेक्नोलॉजी कंपनी तोशिबा के सीईओ हिसाओ तनाका ने इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को कंपनी के खातों में 7,600 करोड़ रुपए की हेराफेरी का खुलासा हुआ था। स्वतंत्र जांच में पाया गया कि कंपनी का मुनाफा हकीकत से तीन गुना ज्यादा दिखाया गया। यह हेराफेरी 2008 से जारी थी। कंपनी पर जुर्माना लग सकता है।
तनाका के साथ वाइस चेयरमैन नोरियो ससाकी और छह अन्य अधिकारियों ने भी इस्तीफा दिया है। जांच में पाया गया कि तनाका, ससाकी और निशिदा को खातों में हेराफेरी की जानकारी थी। चेयरमैन मसाशी मुरोमाची फिलहाल सीईओ का कामकाज देखेंगे। जांच में पता चला कि तोशिबा का ज्यादातर बिजनेस डूब रहा था। लेकिन खातों में इसे बढ़ाकर दिखाया जा रहा था। न्यूक्लियर पावर में बड़ा बिजनेस रहा है। लेकिन 2011 में फुकुशिमा प्लांट में दुर्घटना के बाद यह बिजनेस भी डूबने लगा।
तनाका ने कहा, ‘140 साल के इतिहास में कंपनी के ब्रांड को सबसे ज्यादा नुकसान इसी घटना से हुआ है। इससे उबरने में कंपनी को वक्त लगेगा।’ तनाका ने जांच समिति की रिपोर्ट पर तो सवाल नहीं उठाए, लेकिन कहा कि हेराफेरी को बढ़ावा देने का उनका इरादा नहीं था। जांच समिति के प्रमुख कोइची उएदा ने कहा, ‘मुझे यह देखकर बड़ी हैरानी हुई। जो कंपनी दुनिया में जापान का प्रतिनिधित्व करती है, वहां इस तरह का काम हो रहा था।’ खातों में 2008 से मुनाफा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा था। कम्प्यूटर चिप्स, पर्सनल कम्प्यूटर समेत कंपनी का ज्यादातर बिजनेस नीचे जा रहा था। इसके बावजूद सभी बिजनेस डिविजन को कमाई के ऊंचे लक्ष्य दिए गए। नीचे के अधिकारियों ने इसके लिए फर्जी आंकड़े दिए। 2011 में जापान की ओलिंपस कंपनी में ऐसा ही मामला सामने आया था। कैमरा बनाने वाली कंपनी में दो दशक तक नुकसान को छिपाकर रखा गया। इसका खुलासा करने वाले सीईओ माइकल वुडफोर्ड को कंपनी से बाहर कर दिया गया। घपला 10,800 करोड़ रु. का था।
सत्यम में था 7,136 करोड़ का घोटाला
भारत में सत्यम कम्प्यूटर्स का मामला भी इसी तरह का था। चेयरमैन रामालिंगा राजू ने 7,136 करोड़ रुपए की हेराफेरी की बात मानी थी। खातों में 5,040 करोड़ रुपए नकद दिखाए गए थे, जबकि कंपनी के पास वो पैसे थे ही नहीं।
भारत में सत्यम कम्प्यूटर्स का मामला भी इसी तरह का था। चेयरमैन रामालिंगा राजू ने 7,136 करोड़ रुपए की हेराफेरी की बात मानी थी। खातों में 5,040 करोड़ रुपए नकद दिखाए गए थे, जबकि कंपनी के पास वो पैसे थे ही नहीं।
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