…… तो कांग्रेस आकाओं के इशारे पर खतरनाक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता था मौलाना मसूद अजहर
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एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क द्वारा लिखित एक पुस्तक के माध्यम से हुआ खुलासा
कांग्रेस ने देश पर लगभग 65 साल साशन किया है, और आज हमारे देश की कई समस्याएं कांग्रेस के गलत कार्यो की वजह से हुआ है. सैंकड़ो तरह के घोटाले हो या सैंकड़ो तरह की ख़ुफ़िया षड्यंत्र हो, कांग्रेस ने ऐसे अनेको काम किये हैं जो देश के खिलाफ रहे हैं, लेकिन आज हम आपको कांग्रेस का ऐसा चेहरा दिखायेंगे जिसके बाद शायद आप कांग्रेस का नाम लेना भी पसंद करेंगे।
भारतीय इतिहास में कंधार काण्ड को एक बहुत बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक हार की तरह माना जाता है, कुछ आतंकवादियों ने करीब 180 भारतीय यात्रियों और एयरलाइन स्टाफ सहित हवाई जहाज का अपहरण करके उसे अफ़ग़ानिस्तान के कंधार ले गए थे। बाद में उनकी शर्तो के अनुसार तीन खतरनाक आतंकवादियों को छोड़ा गया था, उन आतंकवादियों में एक था मौलाना मसूद अजहर, जो सबसे खतरनाक माना जाता है और उसने बाद में पकिस्तान जा कर जैश-ऐ-मोहम्मद नामक एक आतंकवादी संगठन खड़ा किया, जिसने भारत में कई आतंकवादी हमलो को अंजाम दिया।
लेकिन क्या आपको पता है कि इस मौलाना मसूद अजहर नामक सांप को पालने वाली कांग्रेस सरकार ही थी? जी हाँ आपने सही सुना दोस्तों. जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर कभी कांग्रेस सरकार का दायां हाथ हुआ करता था। पी.वी. नरसिंह राव के जमाने में वह कांग्रेस आकाओं के इशारे पर खतरनाक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता था। यह हैरतंगेज़ खुलासा एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क द्वारा लिखित एक पुस्तक के माध्यम से किया गया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस अपराध शाखा के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि 1995 में जम्मू-कश्मीर से जिन पांच विदेशी पर्यटकों का अपहरण किया गया था, उसमें तत्कालीन कांग्रेस सरकार का हाथ था। यह सब कुछ राज्य में होने वाले चुनाव के मद्देनजर किया गया था।
इस पुस्तक में एक खौफनाक खुलासा यह भी किया गया है कि राव सरकार ने आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर राज्य में एक नया माहौल बनाने की कोशिश की थी। अजहर के अति कट्टरपंथी संगठन हरकत-उल-अंसार के साथ हिजबुल मुजाहिदीन ने गठबंधन बनाकर इस साजिश को अंजाम दिया था। इसी के बाद आगे चलकर अजहर अफगानिस्तान में तालिबान का जन्म दिया।
लेवी ने कहा कि अपहरणकांड कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठे किसी शख्स ने राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह के अपहरण का नाटक रचा था। इस प्रकरण में मुख्य भूमिका निभा रहे पुलिस महानिरीक्षक राजिंदर टिक्कू आरोपों के चलते लंबी छुट्टी पर चले गए।
क्राइम ब्रांच की फ़ाइल में लिखा है, “आतंकवादी संगठन अल-फरान ने नबी आजाद के नेतृत्व वाली आरआर और एसटीएफ की टीम को पर्यटकों को सौंप दिया था। 24 दिसंबर, 1995 को उन्हें एक नया आदेश मिला। इसके बाद बंधकों को एकत्रित किया गया और उन्हें बर्फ की पहाड़ियों पर ले गए। उसके बाद वह हुआ जिसके बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था।”
दक्षिण कश्मीर के एक गांव में सभी बंधकों के शव को दफना दिया गया। उस समय सबसे अधिक चौंकाने वाला वाकया यह हुआ कि नार्वे के एक पर्यटक के बारें में पता करने गई एक विदेशी महिला पर्यटक के साथ चंदनवाणी पोस्ट के आरआर शिविर में यौन उत्पीड़न किया गया।
जम्मू और कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख सैफुद्दीन सोज ने किताब में किए गए खुलासे पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस वाकये को भूल जाने की जरूरत है। इस समय कश्मीर की शांति की खातिर सामंजस्य बनाने की जरूरत पर बल दिया जाना चाहिए। बताते चलें कि सोज ने 95 प्रकरण में मुख्य भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा, ”यह बहुत ही कठिन समय है। लोग खतरे में रह रहे हैं। मुझे नहीं पता कि किताब के लेखक ने क्या लिखा है। पर यह कैसे संभव है कि सरकारी एजेंसियां आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर किसी काम को अंजाम दे सकते हैं। कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टी इस मामले में कहां से आ गई?”
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की कांग्रेस ने सत्ता में रहने के लिए हर तरह का तिकड़म किया है, ऐसा कोई निकृष्ट कार्य नहीं जो कांग्रेस ने ना किया हो. क्या यह सब जान कर भी कोई कांग्रेस का समर्थन कर सकता है?
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