…तो क्या तत्कालीन आईबीएन7 के यूपी हेड शलभ मणि त्रिपाठी को मारने की साजिश थी?

लखनऊ। बसपा से निकाले गए नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आज खुलासा किया कि मायावती अपने खिलाफ न्यूज लिखने दिखाने वालों को मारने की साजिश रचती थीं. इस बयान के सामने आने के बाद लखनऊ के कई पत्रकारों के दिमाग में तत्कालीन मायावती सरकार का वह मंजर घूम गया जिसमें एनएचआरएम घोटाले को लेकर लगातार हत्याएं हो रही थीं. तत्कालीन आईबीएन7 चैनल के यूपी हेड शलभ मणि त्रिपाठी ने एनआरएचएम घोटाले की कई परतों का पर्दाफाश किया था और उनका चैनल लगातार इसे दिखा भी रहा था. इसको लेकर बसपा सरकार बहुत असहज थी.

(शलभ मणि त्रिपाठी)

उन दिनों शलभ मणि त्रिपाठी को हर तरह से घेरने, परेशान करने और जेल भेजने की कोशिश हुई. उन्हें एक बार हजरतगंज चौराहे से उठा लिया गया और थाने ले जाकर जेल भेजने की तैयारी थी. उनके उपर कई जिलों में ढेर सारे मुकदमें लाद दिए गए. वह जिले जिले जाकर गिरफ्तारी पर स्टे लेते रहे. सूत्रों का कहना है कि उन्हीं दिनों शलभ मणि त्रिपाठी को निपटाने के लिए शीर्ष स्तर पर योजना बनी थी. इसकी सुपारी पूर्वांचल के एक ऐसे शूटर को दी गई जो दाऊद इब्राहिम गैंग से जुड़ा हुआ था. बहुत बाद में उस शूटर का नेपाल के आसपास इनकाउंटर हुआ.

सूत्रों के मुताबिक तब गृह मंत्रालय की तरफ से एक एडवाइजरी आईबीएन7 चैनल के संपादकों के पास भेजी गई जिसमें शलभ मणि त्रिपाठी की जान को खतरा बताया गया. इस पर मैनेजमेंट ने शलभ को दिल्ली बुलाना चाहा लेकिन शलभ ने लखनऊ छोड़ने से इनकार किया. बाद में उन्हें भी प्रबंधन ने विश्वास में लिया और उन्हें एडवाइजरी दिखाकर एलर्ट रहने को कहा. यह सबको पता है कि एनआरएचएम घोटाले में कई हत्याएं जेल में और जेल के बाहर हुईं.

इस स्कैम में तत्कालीन बसपा सरकार के शीर्षस्थ लोगों के फंसने और जेल जाने का अंदेशा था इसलिए जो भी इस घोटाले को लेकर सच बोल सकता था या बोल रहा था, उसे रास्ते से हटाने की कवायद की गई. शलभ मणि त्रिपाठी ने उन दिनों अपने जीवन और पत्रकारीय करियर का सबसे मुश्किल दौर देखा था. फिलहाल शलभ भाजपा के नेता हैं और यूपी भाजपा के प्रवक्ता भी हैं. पर आज नसीमुद्दीन के खुलासे के बाद लखनऊ के ज्यादातर पत्रकारों के दिमाग में उस समय के खौफनाक हालात के दृश्य तैरने लगे.

 

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