दूसरे भी गए हैं UN, मेरी शिकायत पर हंगामा क्योंः आजम

लखनऊ। फासीवादी ताकतों की हिंदुस्तान को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की कथित कोशिशों की संयुक्त राष्ट्र से शिकायत करने वाले उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री आजम खान ने अपने इस कदम को सही करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब बदायूं कांड और बालश्रम से जुड़े तमाम मुद्दों को वैश्विक संस्था के सामने ले जाया गया था, तब समाज के ‘ठेकेदार’ कहां थे?
आजम ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘महज मुक्का बंद कर लेने से ताकत नहीं आती, महज लफ़्ज़ों से खेलने से हकीकत बयां नहीं होती, कुछ करना पड़ता है। जब बदायूं में लड़कियों के पेड़ पर फांसी से लटकते पाए जाने का मामला संयुक्त राष्ट्र ले जाया गया और उसके महासचिव का खत मुख्यमंत्री के पास आया और उन्हें जवाब देना पड़ा, उस वक्त समाज के ठेकेदार कहां थे?’
उन्होंने कहा, ‘जब यहां के तमाम लेबर आंदोलनों, बालश्रम के मामलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र गए, तब कैलाश सत्यार्थी जी को नोबेल पुरस्कार मिला। उस वक्त ये लोग कहां थे?’
आजम ने कहा, ‘स्वास्थ्य के लाखों मामले संयुक्त राष्ट्र ले जाए गए, लेकिन किसी ने ऐसा करने वाले से यह नहीं कहा कि वह पाकिस्तानी एजेंट है और हिंदुस्तान छोड़ दे, लेकिन एक शख्स एक बेगुनाह की मौत पर इसलिए बिलख रहा है क्योंकि लोग जम्हूरियत (लोकतंत्र) को खत्म करके इस मुल्क को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।’
गौरतलब है कि गत 28 सितंबर को नोएडा के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव में गोमांस खाने की अफवाह पर एक मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
इसके बाद पांच अक्टूबर को ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिखकर कहा था कि गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य फासीवादी ताकतें मुल्क के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करके इसे हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती हैं। उन्होंने देश में ‘मुसलमानों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम’ को रोकने के लिये हस्तक्षेप की मांग की थी।
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