नए साल में तोहफा देने की तैयारी में योगी आदित्यनाथ, नेता खुश हो जाएंगे

लखनऊ। अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो अगले साल यानी नए साल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के कई नेताओं को अनोखा तोहफा देंगे। योगी आदित्यनाथ का ये तोहफा ऐसा होगा जिसकी कल्पना आज तक कम से कम नेताओं ने तो नहीं की होगी। दरअसल, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में जल्द ही नेताओं और जन प्रतिनिधियों पर दर्ज पॉलिटिकल मुकदमों को वापस लेने का मन बना लिया है। ये वो मुकदमें होंगे जो किसी आंदोलन या फिर धरना प्रदर्शन के दौरान नेताओं पर दर्ज हुए होंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक योगी सरकारने ऐसे करीब बीस हजार नेताओं की लिस्ट तैयार की है। जिन पर पूरे प्रदेश में किसी ना किसी धरना प्रदर्शन के दौरान मुकदमें दर्ज हुए हैं।
दरसअल, बहुत से नेताओं पर राजनैतिक चरित्र के मुकदमें दर्ज हो जाते हैं। जिससे ना सिर्फ उनका ट्रैक खराब होता है बल्कि सालों कोर्ट कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। लेकिन, योगी सरकार ने इस तरह के मुकदमों से नेताओं को राहत देने की तैयारी शुरु कर दी है। नए साल में इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। दरअसल, जिस वक्त उत्तर प्रदेश विधानसभा में यूपीकोका बिल पर बहस चल रही थी उसी दौरान योगी सरकार ने इस बात के संकेत दिए थे कि वो नेताओं पर दर्ज राजनैतिक मुकदमें वापस लेंगे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगले सत्र में योगी सरकार तकरीबन 20 हजार लोगों पर दर्ज राजनीति मुकदमों को वापस ले सकती है। इसमें कोई कानूनी अड़चन ना आए इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार इस प्रस्ताव को प्रशासनिक स्तर पर तैयार कर रही है। ऐसा नहीं है कि बीस हजार नेताओं की लिस्ट में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के ही नेता हैं। इस लिस्ट में हर दल के नेताओं का नाम शामिल है। ताकि विपक्ष ये ना कह सके कि ये काम सिर्फ बीजेपी नेताओं को राहत पहुंचाने के लिए ही किया जा रहा है। हालांकि विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ के इस फैसले पर अभी से सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि ये प्रस्ताव सिर्फ बीजेपी नेताओं के लिए ही तैयार किया गया है। जबकि योगी सरकार की दलील है कि इस कदम से राजनीति में स्वच्छता आएगी। बहुत से मामले में नेताओं को बेवजह फंसाया जाता है और उन पर पॉलिटिकल मुकदमें दर्ज कराए जाते हैं जो ठीक नहीं है।
इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ये भी साफ कर दिया है कि उनके इस फैसले गंभीर और आपराधिक मुकदमे नहीं हटाए जाएंगे। वही मुकदमें हटेंगे जो धरना प्रदर्शन या फिर आंदोलनों के दौरान नेताओं पर दर्ज हुए हैं। दरअसल, बीजेपी लंबे समय से यूपी की सत्ता से बाहर रही है। ऐसे में विपक्ष का कहना है कि इसमें ज्यादातर नेता बीजेपी के ही होंगे। दिखावा करने के लिए सरकार की ओर से कुछ दूसरी पार्टी के नेताओं के नाम भी डाल दिए जाएंगे। विपक्ष का कहना है कि योगी सरकार का ये कदम ठीक नहीं है। जबकि विपक्ष के ही कुछ नेता इस बात को मानते हैं कि राजनैतिक मुकदमों के चक्कर में उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है। वो योगी आदित्यनाथ के इस फैसले का समर्थन भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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