नया नहीं है ‘आप’ का दिल्ली पुलिस के साथ झगड़ा

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी और उसके नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की दिल्ली पुलिस के साथ लड़ाई नई नहीं है। यह खींचतान तब से चली आ रही है, जब ‘आप’ का गठन भी नहीं हुआ था। यह लड़ाई तब शुरू हुई, जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में शुरू हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की आंच को फैलने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे और उस वक्त उनके सबसे करीबी सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल में डाल दिया था। उसके बाद कई बार केजरीवाल और उनके सहयोगियों का पुलिस के साथ विवाद हुआ। खासतौर पर निर्भया हत्याकांड के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर जो विरोध प्रदर्शन हुए, उस दौरान भी केजरीवाल और उनके सहयोगियों के टारगेट पर दिल्ली पुलिस ही रही।
पिछले साल जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली 49 दिन की सरकार थी, तब मालवीय नगर में विधायक सोमनाथ भारती के द्वारा डाली गई रेड के दौरान जिन पुलिस वालों का सोमनाथ के साथ विवाद हुआ था, उन्हें सस्पेंड करने की मांग को लेकर केजरीवाल रेल भवन के सामने धरने पर बैठ गए थे। उस वक्त भी उन्होंने यही मांग की थी कि दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अधीन लाना चाहिए। इस बार जब केजरीवाल पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब हुए हैं, तो अपनी इस मांग को उन्होंने और तेज कर दिया है। खासतौर से ऐंटी-करप्शन ब्रांच में जॉइंट कमिश्नर मुकेश कुमार मीणा की नियुक्ति के बाद केजरीवाल ने इस मुद्दे को और बड़े स्तर पहुंचाने की कोशिश की है और अपनी इसी मुहिम के तहत वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री और एलजी तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं। दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अधीन लाने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांगों के पीछे केजरीवाल का असल मकसद केंद्र सरकार से उन शक्तियों को वापस लेने का है, जिसके चलते दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं ले पाती है और उसे तमाम बड़े फैसले लेने के लिए एलजी या गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस बार भी केजरीवाल ने महिलाओं की सुरक्षा और भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस पर हमला बोला है और साफतौर पर कहा है कि अगर केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस को नहीं संभाल सकती, तो उसे दिल्ली सरकार के हवाले कर दे। वह दिखा देंगे कि दिल्ली पुलिस से कैसे काम लिया जाता है केजरीवाल का मानना है कि पिछली बार केंद्र की यूपीए सरकार ने और मौजूदा मोदी सरकार ने उनकी सरकार को ईमानदारी से काम करने से रोकने के लिए पुलिस का सहारा लिया है। ऐसे में अगर उनकी सरकार काम करना चाहती है और खासतौर से भ्रष्टाचार और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बिना किसी अड़चन के कदम आगे बढ़ाना चाहती है, तो दिल्ली पुलिस पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होना जरूरी है। चूंकि दिल्ली सरकार के अधीन आते ही पुलिस को मिली कई सारी शक्तियां भी स्टेट के पास आ जाएंगी, ऐसे में दिल्ली सरकार भी अन्य राज्यों की तरह पुलिस का इस्तेमाल अपनी इच्छानुसार कर सकेगी। चूंकि केंद्र सरकार भी पुलिस पर से अपना नियंत्रण नहीं खोना चाहती है, यही वजह है कि अब यह मुद्दा केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अहम की लड़ाई बन चुका है।
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