निर्भया की मदद करने वाले को गवानी पड़ी थी अपनी नौकरी

लखनऊ। दिल्ली की सर्दी, दिसम्बर का महिना, रात के लगभग बारह बजे का समय और तन पर एक कपड़ा भी नहीं. ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिन्हें इस मौसम में सुनने भर से शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है. अब ज़रा याद कीजिये 16 दिसम्बर 2012 की वो मनहूस सर्द काली रात, जब दिल्ली में कुछ नरभक्षियों ने एक मासूम लड़की, निर्भया उर्फ़ ज्योति सिंह को अपनी हवस का शिकार बनाया था. सिर्फ इतना ही नहीं उस वक़्त उन जानवरों पर इस कदर भूत सवार था कि उन्होंने ना सिर्फ ज्योति का अमानवीय ढंग से बलात्कार किया बल्कि उसके शरीर के अन्दर लोहे का सरिया डालकर उसकी अंत तक बाहर निकाल डाली. ज्योति को बचाने वहां सिर्फ उसका दोस्त मौजूद था लेकिन उन नरभक्षियों ने उसे भी मौत के घाट उतारने की पूरी-पूरी कोशिश कर ली थी. भगवान का शुक्र था कि ज्योति का दोस्त जिंदा बच गया, हाँ लेकिन ज्योति को देश और दुनिया के बड़े डॉक्टर्स भी नहीं बचा पाए.

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको उस रात ज्योति और उसके दोस्त की मदद करने वाले उस जवान के बारे में  बतायेंगे जिन्होंने ज्योति को उस हालत में देखते हुए मदद का हाथ तो बढ़ाया लेकिन उसका जो अंजाम हुआ वो सुनकर आपका खून खौल जायेगा.
राजकुमार सिंह, जिन्होंने की थी ज्योति की मदद

उस रात पेट्रोलिंग पर थे राजकुमार, जब उन्होंने खून से लथपथ ज्योति मिली थी

जी हाँ यहाँ आज हम बात करने वाले हैं राजकुमार सिंह जी की. 1999 में करगिल की जंग लड़ चुके राजकुमार हादसे के वक़्त एक कम्पनी में पैट्रोलिंग कंसेसियनार के तौर पर काम करते थे. उस रात का ज़िक्र करते हुए राजकुमार सिंह ने बताया कि, “उस वक़्त मैं पेट्रोलिंग पर था जब मैंने ज्योति को खून से लथपथ पाया था. उस वक़्त उसका एक दोस्त भी वहां था, वो भी खून से लहूलुहान था. यूँ तो मैंने कारगिल में काफी खून-ख़राबा देखा है लेकिन उस रात का वो मंजर खौफनाक था. मैंने इतनी क्रूरता कभी नहीं देखी थी.”

एक माँ, जिन्होंने एक हादसे में अपना सबकुछ उजड़ता देखा है

इस हादसे से दिल्ली शर्मसार थी, और मैं भी…

उस रात का ज़िक्र करते हुए राजकुमार सिंह ने जो बताया था उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. राजकुमार ने बताया कि, “उस रात मैं महिपालपुर की तरफ से लौट ही रहा था कि मुझे सड़क पर एक लड़का-लड़की निवस्त्र और बेसुध हालत में पड़े मिले. वो मदद की आस में आते-जाते लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे. जब मैंने उनसे पूछा क्या हुआ तो उन्होंने मुझे बताया कि वो दोनों मूवी से लौट रहे थे कि रास्ते में नशे की हालत में धुत्त छह लड़कों ने उनके साथ मारपीट की और लड़की के साथ गैंगरेप किया.” मैं ये सुनकर सन्न था. मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि ये हादसा मेरी दिल्ली में कैसे हो सकता है?

ज्योति का दोस्त, जिसने सब देखा लेकिन दोस्त को बचा नहीं पाए

खुद के कपड़े उतारकर ढका ज्योति और उनके दोस्त का ठंड से ठिठुरता शरीर

ज्योति और उसके दोस्त को उस हाल में देखकर सबसे पहले राजकुमार ने पीसीआर को कॉल किया, लेकिन कॉल पर ही राजकुमार ने ये भांप लिया था कि पीसीआर इस मामले में थोड़ा सुस्त है क्योंकि इस गंभीर मुद्दे पर भी ये विचार कर रहे थे कि ये हादसा किसके क्षेत्र में आता है. राजकुमार को पता था कि उनके पास वक़्त नहीं है. ऐसे में वो भाग कर पास के होटल में गए और वहां से कुछ चादर और पानी का बोतल लेकर आये. दोनों को चादर से ढक दिया उन्हें अपने कपड़े पहनाये पानी पिलाया और पीसीआर के आने का वेट किया.

राजकुमार सिंह

“हम दिल्ली में हैं या पाकिस्तान में?”

राजकुमार ने आगे बताया कि जब मौके पर पीसीआर आई तो भी कुछ ख़ास कदम नहीं उठाया गया. राजकुमार ने बताया कि, “ज्योति और उनके दोस्त खून में लथपथ वहीँ पड़े थे और पीसीआर इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि ये मामला आता किस क्षेत्र में है. मैं यहाँ ये नहीं समझ पा रहा था कि हम दिल्ली में हैं या पाकिस्तान में. यहाँ एक लड़का-लड़की इतनी ख़राब हालत में हैं और हम बहस में जुटे हुए हैं? काफी समय तक जब ऐसे ही चलता रहा तो हमने ज्योति और उनके दोस्त को एक गाड़ी में बैठाया और अस्पताल पहुंचवाया.”

निर्भया के पिता

“ज्योति की आंत बाहर थी”

ज्योति और उनके दोस्त को अस्पताल पहुँचाया गया, दोनों का इलाज़ भी शुरू हुआ लेकिन अंजाम हम जानते हैं. ज्योति के शरीर पर ऐसे-ऐसे घाव थे जो अमानवीयता की हद थे. ज्योति लड़ी तो बहुत लेकिन हार गयी. ज्योति का इलाज़ करने वाले डॉक्टरों ने भी इस मामले को देखकर साफ़ कह दिया था कि उन्होंने इससे ज्यादा क्रूर मामला आजतक नहीं देखा. ज्योति के शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग उन राक्षसों ने छोड़ा हो जिसपर घाव ना हो. सब कर लिया फिर भी चैन नहीं मिला तो उन्होंने ज्योति के शरीर में लोहे का सरिया डाल कर उसकी आंत बाहर निकाल डाली थी.

मानवता के दुश्मन

ज्योति की मदद करने की कीमत नौकरी गँवा कर चुकानी पड़ी

इस हादसे के बाद ज्योति के बारे में तो सब जानने लगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस रात ज्योति को सबसे पहले मदद करने वाले राजकुमार सिंह आज कहाँ और किस हालत में हैं? क्या आप जानते हैं कि उस रात एक लड़का-लड़की की मदद करने का राजकुमार को क्या सज़ा मिली? नहीं जानते ना? तो आइये हम आपको बताते हैं. दरअसल एक मीडिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में खुद राजकुमार ने बताया कि, “उस हादसे के बाद मेरी नौकरी चली गयी है. इस मामले के चक्कर में मुझे अक्सर कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते थे. मुझ पर काफी दबाव बनाया गया कि मैं अपना बयान बदल दूं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया. मैंने उससे बेहतर रिजाइन देना समझा. उस दिन के बाद से ही मैं बेरोज़गार हूँ.”

राजकुमार एक ऐसे इंसान हैं जिनकी ज़रूरत हमे आज ज़िन्दगी के हर कदम पर है. राजकुमार बताते हैं कि बहुत से लोग कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने से डरते हैं, लेकिन मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी महिला सुरक्षा के लिए समर्पित कर सकता हूँ. मैं आजीवन कोर्ट के चक्कर लगा लूँगा. उस रात का ज़िक्र करते हुए राजकुमार ने कहा था कि मैं प्रार्थना करता हूँ कि भविष्य में किसी लड़की के साथ ऐसा ना हो जैसा निर्भया के साथ हुआ. उस रात जो भी निर्भया और उसके दोस्त के साथ हुआ उसका पूरा-पूरा जिम्मेदार हमारी आपकी घटिया सोच और देश की लचर कानून व्यवस्था है. शायद इसी के चलते देश में महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं घटने के बजाय बढती नज़र आ रही हैं.
 

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