पंजाबः कपास की दो-तिहाई फसल बर्बाद, 15 किसानों ने की खुदकुशी

punjab-farmersबठिंडा। पंजाब में सफेद मक्खियों के हमले ने कपास की दो तिहाई से अधिक कपास की फसल बर्बाद कर दी है, जिससे किसानों के करीब 4200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस संकट में घिरे राज्य के करीब 15 कपास उत्पादक किसानों ने आत्महत्या कर ली है।

बताया जा रहा है कि किसान कीटनाशक आदि खरीद कर अपने कपास को बचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर डीलर नकली कीटनाशक बेचकर किसानों को और चूना लगा रहे हैं। इस मुश्किल दौर में राज्य के किसान रोड और रेल मार्ग जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अकाली दल के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किसानों के लिए 640 करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया है लेकिन किसानों ने इसे नाकाफी बताते हुए अस्वीकार कर दिया है।

 राज्य के बठिंडा जिले के सिंघों गांव के कीटनाशक डीलर नरेश लहरी बताते हैं, ‘ सफेद मक्खियों का हमला ठीक ऐसा ही था जैसे पर्ल हॉर्बर फिल्म में जापानी हवाई हमला होता है। अब वे मक्खियां कहीं नहीं दिख रही हैं लेकिन एक ही हमले में उन्होंने सारी फसल बर्बाद कर दी।’
इस साल पंजाब में करीब 12 लाख एकड़ कपास का रकबा है और यह करीब सारा बीटी कॉटन ही है। बीटी कॉट कुछ पेस्टिसाइड्स से सुरक्षित समझा जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से राज्य में सफेद मुक्खियों के हमले बढ़े हैं। इसे कुछ खास कीटनाशकों का स्प्रे कर ही रोका जा सकता है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक कीटनाशक सब्सिडी वाली कीमत पर किसानों के लिए जारी किया लेकिन इससे सफेद मक्खियों के हमले पर खास असर नजर नहीं आया। इसकी असल वजह क्या है, यह तो स्पष्ट नहीं लेकिन किसानों के पास इसके कारणों की कई कहानियां हैं।

कुछ किसानों का कहना है कि कॉटन की फसल पर सफेद मक्खियों का हमला तो हर साल होता है लेकिन इस साल इनकी संख्या कुछ ज्यादा ही थी। बारिश की कमी के कारण सफेद मक्खियां ज्यादा ताकतवर साबित हुईं। सिंघो गांव के किसान मंजीत बताते हैं, ‘जुलाई से अब तक हमने 10 से 12 बार कीटनाशक का स्प्रे किया। एक स्प्रे पर 3300 रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। लेकिन इससे कोई असर नहीं हुआ।’ लोगों को डर है कि कहीं सफेद मक्खियां कॉटन के अलावा दूसरी फसलों को निशाना बनाना शुरू न कर दें।

 

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