पीपली लाइव-बाबर में काम कर चुके एक्टर जुगल किशोर का निधन

लखनऊ। रंगकर्मी, फिल्मकार, लेखक और कवि जुगल किशोर का रविवार देर शाम दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। वह 61 साल के थे। जिस समय दौरा पड़ा वह लखनऊ के रजनीखंड स्थित अपने आवास पर थे। परिवारीजनों के अनुसार, शाम करीब 7.30 बजे उन्हें बेचैनी और सीने में दर्द की शिकायत हुई और फिर उन्होंने उल्टियां की। इसके बाद केजीएमयू ले जाते समय रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
जुगल किशोर बॉलीवुड फिल्म पीपली लाइव सहित ‘बाबर’, ‘मैं मेरी पत्नी और वो’, ‘कफन’, ‘दबंग टू’, हमका अइसन वइसन ना समझा कॉफी हाउस और वसीयत जैसी फिल्मों में सशक्त किरदार निभाने के लिए जाने जाते थे। इसके साथ ही कविता, लेख, फीचर और एक्टिंग के लिए भी वह जाने जाते थे। उन्होंने लोक कथाओं और नाटकों को बचाने ही नहीं पहचान दिलाने के लिए भी काम किया था। वह लगातार थिएटर से जुड़े रहे।
30 साल तक किया काम
उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और भारतेंदु नाट्य अकादमी से नाट्यकला में डिप्लोमा प्राप्त किया। हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार प्राप्त जुगल किशोर ने दूरदर्शन की लगभग एक दर्जन प्रस्तुतियों में एक्टिंग किया है। लगभग 30 साल तक रंगमंच के क्षेत्र में अभिनय, निर्देशन, लेखन एवं अध्यापन करते रहे। उन्होंने गुम होते लोक नाट्यों जैसे भांड और बुंदेलखंड के तालबद्ध मार्शल आर्ट ‘पई दंडा’ को प्रेक्षागृह रंगमंच पर पहचान दिलाई।
उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और भारतेंदु नाट्य अकादमी से नाट्यकला में डिप्लोमा प्राप्त किया। हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार प्राप्त जुगल किशोर ने दूरदर्शन की लगभग एक दर्जन प्रस्तुतियों में एक्टिंग किया है। लगभग 30 साल तक रंगमंच के क्षेत्र में अभिनय, निर्देशन, लेखन एवं अध्यापन करते रहे। उन्होंने गुम होते लोक नाट्यों जैसे भांड और बुंदेलखंड के तालबद्ध मार्शल आर्ट ‘पई दंडा’ को प्रेक्षागृह रंगमंच पर पहचान दिलाई।
अध्यापन भी किया
1993 में उन्होंने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार गोल्डन लोटस से सम्मानित जी.वी.अय्यर की संस्कृत फिल्म ‘श्रीमद् भगवद् गीता’ के हिंदी संस्करण में भी सहयोग किया। साथ ही भारतेन्दु नाट्य अकादमी, महिला समाख्या और रामानंद सरस्वती पुस्तकालय के लिए अनेक कार्यशालाओं का संचालन भी किया। वे साल 1986 से 2012 तक भारतेन्दु नाट्य अकादमी, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में अभिनय का अध्यापन कर रहे थे।
1993 में उन्होंने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार गोल्डन लोटस से सम्मानित जी.वी.अय्यर की संस्कृत फिल्म ‘श्रीमद् भगवद् गीता’ के हिंदी संस्करण में भी सहयोग किया। साथ ही भारतेन्दु नाट्य अकादमी, महिला समाख्या और रामानंद सरस्वती पुस्तकालय के लिए अनेक कार्यशालाओं का संचालन भी किया। वे साल 1986 से 2012 तक भारतेन्दु नाट्य अकादमी, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में अभिनय का अध्यापन कर रहे थे।
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