पेट्रोल पंपों को चिप देने वाले गैंग का सरगना दबोचा गया, उगले चौंकाने वाले राज

चिप लगाने के एवज में 15 से 40 हजार रुपये प्रति नोजल तक पेट्रोल पंप मालिकों द्वारा देने की बात उसने मानी है। पिछले 10 साल में उसने इस धंधे से लगभग 30 लाख रुपये कमाए। अजय कटघरई, थाना रामकोला, जिला कुशीनगर का निवासी है। वह लखनऊ के पारा थानाक्षेत्र के श्रीनाथनगर में रह रहा था।
एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि मुजफ्फरनगर में पकड़े गए जौहर अब्बास ने बताया था कि उसे लखनऊ से अजय चौरसिया चिप भेजता है। इसे वह (जौहर) पल्सर यूनिट के सर्किट में फिट कर देता है। एसएसपी मुजफ्फरनगर ने इस बाबत एसटीएफ को बताया। इस बीच एसटीएफ ने सभी कंपनियों के टेक्नीशियन की डिटेल पहले ही ले ली थी।
एसटीएफ के डर से नदी में फेंक दी चिप
अजय ने बताया कि जब लखनऊ के कई पेट्रोल पंप पर एसटीएफ ने कार्रवाई की तो डर के मारे उसने अपने पास रखी दर्जनों चिप सई नदी में फेंक दी।
उसने कुछ चिप घर पर होने की बात कही तो एसटीएफ ने उसके घर की तलाशी ली। वहां से एलएंडटी की एक मशीन (डिस्पेंसर यूनिट), चार चिप और बाट-माप निरीक्षकों द्वारा पंप के पुर्जों को सील करने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली तीन सीलें भी बरामद की गईं। पेट्रोल पंपों में लगने वाले सर्किट, पल्सर कार्ड, कंट्रोल कार्ड, डिस्प्ले कार्ड व डायफ्राम भी मिला है।
मिडको के क्षेत्रीय अधिकारियों से एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बात की तो पता चला कि कंपनी हर महीने हर टेक्नीशियन से हासिल होने वाले नए सामान और पंपों से निकाले गए पुराने सामान का मिलान अपने स्टॉक से करती है। मिडको कंपनी के स्टोर इंचार्ज क् रिकॉर्ड से मिलान कराया गया। इसमें अजय के पास से मिला सामान अतिरिक्त पाया गया।
कुछ वर्षों में उसका यूपी के कई जिलों में बड़ा नेटवर्क तैयार हो गया। उसने स्वीकार किया कि मुजफ्फरनगर के जौहर अब्बास को उसने लगभग 400 से ज्यादा चिप बेची है।
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