प्रधानमंत्री आवास योजना के आड़ में आईएसआई आतंकी के पनाहगार शालीमार समूह के कर्ताधर्ता संजय सेठ व खालिद मसूद का नया फर्जीवाड़ा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आतंकियों का गढ़ बन चुका है। इन आतंकियों के पनाहगार बेहद रसूखदार हैं तभी जांच एजेंसियां भी हाथ डालने से कतराती हैं। सबसे सटीक उदाहरण शालीमार बिल्डर के सर्वेसर्वा खालिद मसूद और संजय सेठ हैं। इनके मूल संस्थान बनारस ग्लास हाउस के बैनरतले एक आईएसआई एजेंट अर्थात एक आतंकी काम कर रहा था लेकिन आज तक किसी भी खुफिया एजेंसी ने इन रसूखदारों पर हाथ डालने की हिमाकत नहीं की। चाहे मायावती  सरकार हो या अखिलेश राज, कमोबेश हर सरकार में शालीमार समूह की न सिर्फ तूती बोली बल्कि अरबों के ठेके भी इनाम के तौर पर मिले।
हद तो तब हो गयी जब ये दागी बिल्डर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने का षड्यंत्र रच रहा है गरीब परिवारों को लाखों के मंहगे फ्लैटों का झांसा देकर ठगी का गोरखधंधा भी शुरू हो गया है। दरअसल रविवार को सभी समाचार पत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मकान देने सबंधी विज्ञापन भी शालीमार समूह की ओर से भारी पैसा खर्च करके प्रकाशित करवाया गया है।

इस विज्ञापन में जहाँ ढाई लाख की छूट का झांसा निवेशकों को दिया गया है वहीं आसान किस्तों का भी लालच दिया गया है। यही नहीं इस विज्ञापन में ये भी दिया गया है कि जल्द ही टू बीएचके का फ्लैट लांच किया जायेगा जिसकी शुरूआती कीमत 25 लाख से शुरू होगी। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना सिर्फ ईडब्ल्यूएस (वार्षिक आय 3 लाख से ज्यादा न हो) और एलआईजी (वार्षिक आय 3 से 6 लाख के बीच हो) श्रेणी के परिवारों के लिए बनाईगयी है ऐसे में इन गरीब परिवारों के लिए 25 लाख से 40 लाख तक के महंगे फ्लैटों को खरीदना किसी सपने से कम नहीं है लेकिन ये दागी बिल्डर प्रधानमंत्री मोदी के नाम से अपनी ठगी की दुकान बखूबी चमका रहा है सिर्फ यही नहीं बनारस ग्लास हाउस के बैनरतले आईएसआई के एजेंट अर्थात  कराची के आतंकी मोहम्मद मसरूर उर्फ मंजूर अंसारी उर्फ रमेश चैधरी दो वर्षों तक रहा है बाकायदा सचिवालय में न सिर्फ शीशों का काम करके मुख्यमंत्री कार्यालय की रेकी की थी बल्कि बनारस ग्लास हाउस के कर्ताधर्ता खालिद मसूद और संजय सेठ ने मिलकर इस आतंकी को चरित्र प्रमाण पत्र तक दिया था।

लेकिन एटीएस ने 13 अगस्त 2008 को इस आतंकी को बहराइच से गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान के गार्डेन वेस्ट अब्दुल जब्बार कंपाउंड मकान नंबर 154 कराची 33 के निवासी मसरूर उर्फ गुड्डू उर्फ रमेश चैधरी को बाबागंज रेलवे स्टेशन के पास से एटीएस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उसके पाकिस्तान का आईएसआई एजेंट होने की पुष्टि हुई थी। पूछताछ में पता चला कि वह कराची का रहने वाला है और आईएसआई से छह महीने के प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2005 में रमेश चैधरी के नाम से फर्जी वीजा, पासपोर्ट तथा ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ढाका तथा नेपाल के जरिए भारत आया था। उसने लखनऊ में बनारस ग्लास हाउस के यहां ग्लास कटर की नौकरी भी की थी।

मसरूर के पास से भारतीय सेना से जुड़े दस्तावेज और कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों के नक्शे बरामद हुए थे। उसकी निशानदेही पर एटीएस ने गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तान के एक और आतंकी फैयाज अहमद मीर को भी गिरफ्तार किया था। इसके पास से आरडीएक्स तथा अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक तथा एक चीनी पिस्तौल बरामद हुई थी। इन दोनों आतंकियों के मंसूबे बेहद खतरनाक थे। इस आतंकी को तत्कालीन एटीएस चीफ एके जैन ने पकड़ा था लेकिन संजय सेठ और खालिद मसूद को बख्श दिया गया। पूछताछ तक नहीं की गयी। इसके बाद संजय सेठ और खालिद मसूद ने अपने ऊँचे रसूख और मुलायम परिवार से करीबी सबंधों के चलते जैन को बाद में यूपी का डीजीपी तक बनवा दिया। ऐसे में आतंकियों के पनाहगारों के तगड़े रसूख का अंदाजा लग रहा है।

अब शालीमार समूह के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कलंकित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसके बाद इस आतंकी उन्नाव की जिला जेल में रखा गया था जिसके बाद बहराइच के तत्कालीन  अपर जिला जज उत्कर्ष चतुर्वेदी ने अपने फैसले में मसरूर को राजद्रोह, भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध की तैयारी, षड्यंत्र रचने, जालसाजी करने तथा सरकारी गोपनीयता कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया और उसे उम्रकैद के साथ 10 हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई थी।

पाकिस्तान के कराची शहर के रहने वाले मसरूर ने अदालत में स्वीकार किया था कि वह पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का प्रशिक्षित एजेन्ट है तथा गिरफ्तारी से पहले वह भारत में आने वाले पाकिस्तानी आतंकियों की मदद करता था। इसका सीधा अर्थ है कि बनारस ग्लास हाउस का कनेक्शन भी आतंकियों से हो सकता है। लेकिन एटीएस समेत खुफिया एजेंसियों ने आज तक शालीमार समूह और बनारस ग्लास हाउस के कर्ताधर्ता संजय सेठ और खालिद मसूद पर शिकंजा ही नहीं कसा और न ही किसी भी प्रकार की पूछताछ हुई जबकि खालिद मसूद और शालीमार समूह के ऊपर आरोपों की कलंककथा सिर्फ यही नहीं खत्म हुई बल्कि इस बिल्डर ने पूर्व घोटालेबाज मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के द्वारा एनआरएचएम घोटाले के जरिये कमाई गयी काली कमाई को खाड़ी देशों तक निवेश कराया है ये सनसनीखेज तथ्य ईडी की जांच में सामने आया था।

लेकिन ईडी भी शालीमार के रसूख में घुटने तक चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल शालीमार समूह के संजय सेठ और खालिद मसूद के खिलाफ जांच करानी चाहिए की आखिर कैसे प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना के नाम पर ये दोनों गरीबों को लाखों के मंहगे आशियानों का ख्वाब दिखाकर ठगी कर रहे हैं।

शालीमार समूह के प्रधानमंत्री आवास योजना के विज्ञापन में दिये सभी नंबर बंद जा रहे थे। इसके बाद जब शालीमार समूह के मुख्य नंबर 4030444 पर बात की गयी तो फोन उठाने वाले शख्स ने बताया कि इन आवासों की कई कीमतें है जो 25 लाख से 40 लाख तक है लेकिन अधिक जानकारी आपको सोमवार को ही मिल सकती है।

 

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