बरेली की हार लंबे समय तक चुभेगी बीजेपी

लखनऊ। यूपी में डा. महेंद्रनाथ पांडेय के अध्‍यक्ष बनने के बाद बीजेपी को दूसरा जोर का राजनीतिक झटका लगा है। अभी कुछ दिन पहले डा. महेंद्र नाथ पांडेय के संसदीय जिला चंदौली के नौगढ़ ब्‍लॉक अध्‍यक्ष पद से बीजेपी की कुर्सी गई तो आज बरेली में समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत अध्‍यक्ष को हटाने के प्रयासों में उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी है। यह बीजेपी के लिए करारी पराजय माना जा रहा है।

लंबी कसरत के बाद बीजेपी हुई फेल 

गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार बनने के एक महीने बाद से ही बीजेपी नेता जिला पंचायत अध्‍यक्ष की कुर्सी पर आंखें गड़ाये थे। तमाम प्रयासों के बाद बीजेपी ने अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने योग्‍य सदस्‍य संख्‍या जुटा ली थी। डीएम के सामने परेड हुई और अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर आज मतदान होना तय हो गया था। सदस्‍यों को तोड़ने-फोड़ने के लिए दोनों दलों के नेता एक महीने से दिन रात एक किये हुए थे।

परीक्षा के दिन ही फेल हो गयी बीजेपी 

वह सब खेल हुआ जो ऐसी संस्‍थाओं पर कब्‍जा करने के लिए पहले से होता रहा है। पैसा, प्रभाव, खाना-पीना और पकड़-धकड़ कर गोवा-नैनीताल घुमाना वगैरह-वगैरह किया। इन प्रयासों के बावजूद आज बीजेपी परीक्षा के दिन कोरम पूरा करने लायक सदस्‍य भी नहीं जुटा सकी। जिसके चलते  बीजेपी के किये धरे पर पानी फिर गया। सपा एक तरफा सीट बचा ले गयी। मैदान में आये बिना ही बीजेपी ने सरेंडर कर दिया। समाजवादी पार्टी की जीत इस लिए भी महत्‍वपूर्ण है कि जिले में उनका एक भी विधायक नहीं है। बरेली की सभी 9 विधान सभा सीटों पर बीजेपी का कब्‍जा है। 9 विधायकों के अलावा धर्मेन्‍द्र कश्‍यप भाजपा सांसद हैं। दूसरे सांसद संतोष गंगवार केन्‍द्रीय मंत्री। वह 7वीं बार लोक सभा में हैं। दो विधायक राजेश अग्रवाल और धर्म पाल सिंह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री। एक छठी और दूसरे पांचवीं बार विधायक।

बीजेपी की फुट से सपा की जीत 

सपा वालों की जीत का बड़ा कारण उनके नेताओं की एकजुटता रही। जिले के सभी प्रमुख पार्टी नेता अंतिम समय अपने-अपने मतभेद भुला कर पार्टी के लिए एक साथ खड़े हो गये। दूसरी तरफ, अपनी अहं और घमंड में चूर बीजेपी नेता मतदान नजदीक आते-आते और बिखर गये। ठीक वैसे ही, जैसे अमूमन हर मौके पर करते हैं। अविश्‍वास प्रस्‍ताव के लिए तेजी पकड़ने वाले प्रभावशाली दोनों बीजेपी विधायक राजेश मिश्र ऊर्फ पप्‍पू भरतौल और केशर सिंह गंगवार अकेले पड़ गये। सपा जिलाध्‍यक्ष शुभलेश यादव युवा हैं। वह पिछले विधान सभा चुनाव के समय अखिलेश-मुलायम विवाद के बाद अध्‍यक्ष बनाये गये थे। उनके लिए यह पहली बड़ी राजनीतिक परीक्षा की घड़ी थी, जिसमें वह पूरी तरह से खरे उतरे।

 

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