बिहार विकास के लिए वोट करेगाः परिवर्तन रैली में PM मोदी

भागलपुर। बिहार की सिल्क सिटी भागलपुर में अपनी परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महागठबंधन पर जोरदार हमला किया। इसके साथ ही डीएनए शब्द का जिक्र किए बिना ही उन्होंने बिहार के लोगों को धरती पर सबसे बुद्धिमान बताकर इस विवाद पर अपनी सफाई देने की कोशिश की।
गौरतलब है कि मोदी ने अपनी पहली परिवर्तन रैली में कहा था कि उनके (नीतीश कुमार) डीएनए में कुछ गड़बड़ी है, जिसके बाद नीतीश ने इसे मुद्दा बना लिया था। बिहार में अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुजफ्फरपुर, गया और सहरसा के बाद यह चौथी और आखिरी ‘परिवर्तन रैली’ थी।
प्रधानमंत्री ने बिहार में 2005 के मुकाबले वर्तमान में स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में करीब 30% गिरावट का मुद्दा भी उठाया। अपना भाषण शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री ने पंडाल में पोल पर चढ़े लोगों को उतरवाया। उन्होंने कहा कि जिंदगी से कीमती कुछ भी नहीं है और जब तक लोग पोल पर से नहीं उतर जाते मैं अपना भाषण शुरू नहीं करूंगा।
इसके बाद लोगों ने पोल से नीचे उतरना शुरू किया तो मोदी ने भाषण की शुरुआत की। मोदी ने अंगिका भाषा में शुरुआत करते हुए कहा, ‘भागलपुर के भाइयो और बहनो, हम आपने सभी के प्रणाम करे छिये। आपने सबके आशीर्वाद चाहिए। यह कर्णराज की भूमि है।’
नरेंद्र मोदी ने लालू यादव और नीतीश कुमार के गठबंधन पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि बिहार में 25 साल तक शासन करने वाले लोग इस बात का हिसाब देने से बच रहे हैं कि उन्होंने इस दौरान राज्य के लिए क्या किया।
मोदी ने कहा, ‘वे अपने कामों का तो हिसाब नहीं दे रहे हैं और मुझसे हिसाब मांग रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि आज भी बिहार के लोगों को नौकरी के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है। यह विधानसभा का चुनाव हो रहा है और जिन्हें आप जिताएंगे वे राज्य में सरकार बनाएंग। मेरी सरकार पांच साल के लिए बनी है और मैं वादा करता हूं कि 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए जब वोट मांगने आऊंगा तो अपने कामों का हिसाब दूंगा।’
महागठबंधन की ‘स्वाभिमान रैली’ का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘परसों गांधी मैदान में राम ममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर को तिलांजलि दी गई। ये महान लोग देश को बचाने के लिए जिंदगी भर कांग्रेस से लड़ते रहे और उनके चेले-चपाटों ने उसी कांग्रेस से हाथ मिला लिया, जिन्होंने जय प्रकाश जी को कैद किया था।’
उन्होंने कहा कि उनकी रैली में जो कुछ बोला गया उससे देश को बड़ी निराशा हुई। मोदी ने कहा, ‘हमें लगा कि उनकी बड़ी तैयारी होगी और वे बताएंगे कि क्या करने वाले हैं। लेकिन, उन्होंने यह नहीं बताया कि लोग उन्हें वोट क्यों करे, इसके बजाय वे अपनी सभा में मोदी-मोदी करते रहे।’
मोदी ने कहा कि आरा की रैली में मैंने बिहार के लिए एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी और 40 हजार करोड़ रुपये पहले से घोषित योजनाओं के लिए देने का ऐलान किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा,’ तीन-चार दिनों तक तो वे इसका मजाक उड़ाते रहे लेकिन जब लगा कि बिहार की बुद्धिमान जतना उनके झांसे में नहीं आएगी तो उन्हें अपना पैकेज लेकर आना पड़ा। मुझे खुशी है कि उन्हें (नीतीश) भी दो लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज लाना पड़ा। यह अच्छी बात है, 25 साल तक जिन्होंने जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर फैलाया उन्हें मजबूरन पैकेज लाना पड़ा। मैं यह तो चाहता हूं कि देश में विकास की राजनीति हो और इसे लेकर केंद्र और राज्य के बीच प्रतिस्पर्धा हो।’
मोदी ने नीतीश कुमार द्वारा अगले पांच साल के लिए घोषित कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘आज बिहार में विकास का बजट 50-55 हजार करोड़ रुपये होता है, इसका मतलब है कि 5 साल में यह 270 करोड़ रुपये होता है। साफ है कि 5 साल का जो बजट है, उसी को पैकेज बताकर पेश कर दिया गया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक, बिहार को केंद्र सरकार की तिजोरी से अगले पांच सालों में 3 लाख 76 हजार करोड़ रुपये मिलने वाले हैं। और मेरी ओर से घोषित एक लाख 65 हजार करोड़ रुपये का पैकेज इससे अलग है।’
उन्होंने कहा, ‘आप (नीतीश) अपनी तरफ से तो कुछ नहीं दे रहे हैं और केंद्र से जो 3 लाख 76 हजार करोड़ रुपये मिलने वाले हैं, उसमें से भी 2 लाख 70 हजार करोड़ रुपये ही दे रहे हैं। उनसे पूछना चाहिए कि एक लाख 6 हजार करोड़ रुपये कहां जाएगा। क्या यह चारे में जाएगा? क्या यह बिहार की जनता से धोखा नहीं है।’
मोदी ने कहा, ‘मुझे ताना मारा जा रहा है कि 14 महीने बाद बिहार की याद आई। जिन्हें सच बोलने की आदत नहीं है, उनके लिए नहीं लेकिन बिहार की जनता के सामने मैं अपने काम का हिसाब देना चाहता हूं।’
उन्होंने कहा,’ जब नेपाल में भूंकप आया, तो मैंने मुख्यमंत्री को सबसे पहले फोन किया और उनसे पूछा कि नेपाल भूकंप में आपकी क्या स्थिति है? उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में हैं और उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। मैंने बिहार के हर जिले में फोन किया और अपने मंत्रियों को राज्य में जाने को कहा। पिछले साल जब कोसी के रास्ते में पहाड़ गिरा था, तो सबसे पहले हमने NDFC की टीम को भेजकर नदी के किनारे के गांव खाली कराए। लोगों को समझाया ताकि कोसी इलाके को दोबारा डूबने से बचाया जा सके। पिछले साल पटना के गांधी मैदान में जब भगदड़ हुई तो मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को फोन करके उनसे कहा कि जो भी सहायता चाहिए हमें बताएं। बिहार को जो कभी भूला ही नहीं, उसे याद आने का सवाल ही कहां से उठता है।’
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