भारत को घेरने के लिए अब ग्वादर पोर्ट को चाबहार से जोड़ना चाहता है चीन!

तेहरान। भारत पर दबाव बनाने और घेरने के लिए चीन ने एक और चाल चल दी है। भारत को अपनी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना से जोड़ने में विफल रहे चीन ने अब नई दिल्ली के पड़ोसियों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान को चीन-पाक आर्थिक गलियारे में शामिल करने की इच्छा जाहिर करने के बाद अब खबर है कि चीन ने भारत के सहयोग से बने चाबहार पोर्ट और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के बीच कनेक्शन बनाने की अपनी इच्छा ईरान के सामने रखी है।

‘पाकिस्तान टुडे’ की खबर के मुताबिक, ईरान का कहना चीन ने ऐसी मांग रखी है कि चीनी कंपनियों द्वारा पाकिस्तान में बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट और ईरान के दक्षिणपूर्वी बंदरगाह चाबहार को आपस में जोड़ा जाए।

चाबहार फ्री ट्रेड जोन के मैनेजिंग डायरेक्टर अब्दुलरहीम कोर्दी के हवाले से ईरानी मीडिया में यह खबर आई है कि चीन ने ईरान को जानकारी दी है कि वह ग्वादर पोर्ट से जाने वाले सामान को मंजिल तक पहुंचाने के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने का इच्छुक है। हालांकि, कोर्दी ने यह भी कहा कि ईरान के चाबहार और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के बीच किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार तक पहुंच बनाने की क्षमता के मामले में दोनों बंदरगाह एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

बता दें कि चाबहार पोर्ट को ईरान भारत की मदद से बना रहा है। हाल ही में इसके पहले फेज का उद्घाटन किया गया है। भारत इस प्रॉजेक्ट में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। वहीं, चीन ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में विकसित कर रहा है जिसे CPEC के नाम से भी जाना जाता है। चीन का लक्ष्य है कि वह ग्वादर बंदरगाह को पश्चिमी चीन से जोड़े और ग्लोबल ट्रेड के लिए पाकिस्तान के जरिये सुरक्षित रास्ते का निर्माण करे। इसके जरिए केंद्रीय एशियाई देशों और अफगानिस्तान में भी व्यापार किया जाएगा। ग्वादर बंदरगाह पर काम पूरा हो जाने के बाद चीन का माल ट्रकों के जरिए पाकिस्तान पहुंचाया जा सकेगा।

भारत के लिए इसलिए जरूरी है चाबहार

चाबहार बंदरगाह जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है। भारत के लिए यह बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत के लिए पश्चिमी एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। चाबहार के खुलने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बड़ा सहारा मिलेगा। पिछले महीने भारत ने अफगानिस्तान को गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।

 

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