महागठबंधन हताश लोगों को जमावड़ा है: जेटली

पटना। वित्त मंत्री और बीजेपी नेता अरुण जेटली ने बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती दे रहे कांग्रेस-जेडी(यू)-आरजेडी के महागठबंधन को हताश लोगों को जमावड़ा करार दिया है। उन्होंने कहा कि जनता दल (यू) के लिए यह चुनाव अवसरवादी राजनीति का आखिरी दांव है, तो कांग्रेस बिहार में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है। आरजेडी के बारे में उन्होंने कहा, ‘यह एक परिवार का समूह है, उसकी पुरानी पीढ़ी चुनाव लड़ने में असमर्थ हो गई है और नई पीढ़ी को खड़ा करने के लिए वह इस चुनाव में मैदान में उतरी है।’
बिहार को विशेष दर्जे की नीतीश कुमार की मांग को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि 14 वें वित्त आयोग द्वारा केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स संसाधनों के बंटवारे के बाद स्पेशल स्टेटस का दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने टैक्स से हुए आय को राज्यों और केंद्र के बीच बांटने का तय फॉर्म्युला दिया था। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के लिए पहले सवा लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा कर चुके हैं। इसके अलावा जारी ढांचागत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भी राज्य को 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त पैकेज दिया गया है।’
प्रधानमंत्री की ओर से बिहार के लिए घोषित पैकेज को सूबे में सत्ताधारी गठबंधन द्वारा रिपैकेजिंग कहे जाने की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का रवैया नकारात्मक है। जेटली ने कहा, ‘अगर स्पेशल पैकेज रिपैकेजिंग है, तो राज्य सरकार को कांग्रेस से पूछना चाहिए कि बिहार के लिए सोची गईं योजनाएं लागू क्यों नहीं हो पाईं। अब वही पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है।’
नीतीश कुमार और सत्ताधारी पार्टी जेडी(यू) को अवसरवादी करार देते हुए जेटली ने कहा कि यह विधानसभा चुनाव उनके लिए अस्तित्व का अंतिम दांव है। वित्त मंत्री ने दावा किया, ‘नीतीश कुमार अपने ही जाल में फंस गए हैं। वह हमारे कंधे पर सवार होकर मुख्यमंत्री बने और बाद में हमें छोड़ दिया। इसके बाद जब चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को सजा हो गई तो उन्हें (नीतीश) लगा कि वह जेल में ही रहेंगे और आरजेडी के एक तबके के नेताओं और कार्यकर्ताओं को तोड़ने में जुट गए। नीतीश के लिए यह किसी आश्चर्य से कम नहीं था कि लालू को जमानत मिल गई और वह अपने लोगों को एकजुट रखने में सफल रहे। इस बीच नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए और कोई भी दांव सफल होता न देख नीतीश अपना अस्तित्व बचाने के लिए उनके पास आरजेडी के जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।’
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