मुस्लिम देश में रह सकते हैं, पर बीफ छोड़ना होगा: खट्टर

Khattarचंडीगढ़। दादरी में भीड़ द्वारा मुहम्मद इखलाक को पीटकर मार दिए जाने की वारदात को ‘गलत’ और ‘गलतफहमी का नतीजा’ बताते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा, ‘मुस्लिम इस देश में रह सकते हैं, लेकिन उन्हें बीफ खाना छोड़ना होगा क्योंकि गाय यहां विश्वास और आस्था की चीज है।’

एक अख़बार को दिए गए एक साक्षात्कार में सीएम के तौर पर अपना एक साल पूरा करने जा रहे खट्टर ने कहा कि भारत की बहुसंख्यक तादाद के लिए गाय, गीता और सरस्वती आस्था से जुड़ी हुई हैं और मुस्लिम बीफ खाना छोड़कर अपने धार्मिक विश्वास को नहीं तोड़ेंगे। उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम रहें, मगर इस देश में बीफ खाना छोड़ना ही होगा उनको। यहां की मान्यता है गौ।’

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा यह पूछे जाने पर कि दादरी में हुई वारदात को वह किस तरह से देखते हैं और क्या ऐसी घटनाएं देश का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं कर देंगी, खट्टर ने कहा कि मुस्लिमों को बीफ खाना छोड़ना ही होगा। हरियाणा की राजनीति के लिए बाहरी और पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के समय तक खट्टर को ज्यादातर लोग जानते भी नहीं थे, लेकिन संघ के संगठन स्तर पर काफी ऊंचा कद रखने वाले खट्टर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ लगभग 4 दशक पुराना रिश्ता है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, हरियाणा गोवंश संरक्षण और गौसंवर्धन संबंधी कानून जिसके तहत राज्य विधानसभा ने गोहत्या पर पाबंदी लगाई को सीएम खट्टर अपने एक साल के इस कार्यकाल की उपलब्धि मानते हैं। गोहत्या संबंधी कानून का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में दोषी को 10 साल जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। बीफ खाने के दोषी को 5 साल जेल की सजा का प्रावधान है।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दादरी की वारदात को ‘गलतफहमी का नतीजा’ बताते हुए कहा कि ‘दोनों पक्षों’ ने गलत किया। उन्होंने कहा, ‘इस घटना को नहीं होना चाहिए था। दोनों की तरफ से नहीं होना चाहिए था।’ उन्होंने दावा किया कि पीड़ित मुहम्मद इखलाक ने ‘गाय से जुड़ी एक हल्की टिप्पणी की जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और इसके नतीजे के तौर पर उन्होंने इखलाक पर हमला कर दिया।’

खट्टर ने कहा, ‘लेकिन मैं कहता हूं कि किसी पर हमला करना और किसी इंसान को मारना गलत है।’ उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि जिन्हें भी इस घटना में दोषी पाया जाए उन्हें कानून की संबंधित धाराओं के तहत सजा दी जानी चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सीएम खट्टर ने इस घटना की तुलना ऐसी स्थिति से की जिसमें किसी व्यक्ति की मां को मार दिया जाए या फिर बहन का उत्पीड़न किया जाए तो उसे अपराधी पर गुस्सा आएगा।

उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कानून के तहत कुछ गलत कर भी रहा है जिसके लिए उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन ‘हमें वारदात के पीछे जाना होगा और उसकी मान्यता की जांच करनी होगी। हमें समझना होगा कि उसने जो किया वह क्यों किया। सांस्कृतिक-पारंपरिक तौर पर हम जनतांत्रिक हैं। जनतंत्र में आजादी होती है, लेकिन उन आजादियों की कुछ सीमाएं भी होती हैं। एक इंसान की आजादी तभी तक है जब तक कि वह किसी और की आजादी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।’

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या लोगों को उनकी पसंद का खाना खाने से रोका जाना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं है, सीएम खट्टर ने कहा, ‘बीफ खाने से दूसरे समुदाय की भावनाएं आहत होती हैं, संवैधानिक तौर पर भी आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। संविधान कहता है कि आप कुछ ऐसा नहीं कर सकते जो कि मुझे आहत करे, मैं कुछ ऐसा नहीं कर सकता जो कि आपको आहत करे।’ उन्होंने कहा, ‘वे बीफ खाना छोड़ दें तब भी मुसलमान ही बने रहेंगे या नहीं? कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि मुसलमानों को बीफ खाना ही चाहिए। ईसाई धर्म में भी कहीं नहीं लिखा कि उन्हें बीफ खाना ही चाहिए।’

 

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