मोदी का काशी दौरा तो हुआ नहीं, पर , बन सकते थे 40 हजार टॉयलेट
तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली/लखनऊ/वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथी बार भी बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन नहीं कर सके। अब तक चार बार ऐसा हुआ है कि मोदी ट्रॉमा सेंटर का उद्धाटन करने आने वाले थे और ऐन वक्त पर प्रोग्राम कैंसल हो गया। पहली बार यह प्रोग्राम दस महीने पहले बना था। प्रोग्राम की तैयारियों में अब तक 40 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें से 7 करोड़ रुपए सुरक्षा-व्यवस्था और पीएम प्रोटोकॉल के तहत फाइनल रिहर्सल में खर्च हुए हैं। इतनी रकम में बनारस में करीब 900 गरीबों के घर और 40 हजार टॉयलेट का निर्माण हो जाता।
कब-कब कैंसिल हुआ मोदी का प्रोग्राम और तैयारियों पर कितना हुआ खर्च?
प्रोग्राम की डेट | कैंसल होने का रीजन | तैयारी पर खर्च |
14 अक्टूबर 2014 | तूफान | 6 करोड़ रुपए |
25 दिसंबर 2014 | अधूरी थीं तैयारियां | 7 करोड़ रुपए |
28 जून 2015 | भारी बारिश | 9 करोड़ रुपए |
16 जुलाई 2015 | बारिश और एक मजदूर की मौत | 17 करोड़ रुपए |
पहले 14 अक्टूबर 2014 को उन्हें इसका उद्घाटन करना था। कार्यक्रम की तैयारियों और अन्य चीजों पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन चक्रवाती तूफान हुदहुद की वजह से उनका प्रोग्राम कैंसिल हो गया था। इसके बाद 25 दिसंबर 2014 को महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती पर भी ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन का प्रस्ताव था। इसपर करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन वहां जरूरी तैयारी नहीं होने की वजह से प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन नहीं किया। इसके बाद अब 28 जून 2015 को पीएम मोदी का दोबारा कार्यक्रम बना। पंडाल और अन्य चीजों पर 9 करोड़ रुपए खर्च हुए। हालांकि, बारिश के कारण उस दिन भी ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन नहीं हो पाया। अब 16 जुलाई को मोदी ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन और डीएलडब्ल्यू को करने वाले थे। इसके लिए 11 करोड़ रुपए की लागत से विशाल पंडाल बनाया गया था, जो पानी में बह गया। वहीं, मंच की सजावट के दौरान करंट लगकर मजदूर की मौत हो गई। इसके कुछ देर बाद पीएमओ से मोदी का दौरा कैंसिल होने की सूचना आ गई। वाराणसी के मेयर रामगोपाल मोहले ने कहा, ‘मजदूर की करंट लगने से मौत का मामला संवेदनशील है। इसलिए पीएम मोदी ने अपना दौरा कैंसिल कर दिया। मोदी जी नहीं चाहते थे कि एक तरफ मजदूर की लाश रखी हो और दूसरी ओर पंडाल में उनके लिए तालियां बजें।’ वहीं, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने कहा कि नरेंद्र मोदी लगातार चार बार बनारस आना चाहते थे, लेकिन प्राकृतिक आपदा के चलते कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या का कहना है कि पीएम का विदेश दौरा कैंसल नहीं होता है, लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा वह चार बार कैंसल कर चुके हैं। पीएम किसी स्थान पर जाते हैं, तो पीएम प्रोटोकॉल के तहत तमाम तरह के रिहर्सल, तैयारी और कई व्यवस्थाओं में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन मोदी इस पर कुछ नहीं सोचते हैं। कांग्रेस नेता पीएल पुनिया का कहना है कि किसी भी सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा जाना चाहिए। चाहे वह पीएम हो या फिर बिना पद पर बैठा सांसद। पुनिया ने कहा कि पीएम मोदी को साधारण तरीके से अपने संसदीय क्षेत्र में आना चाहिए। उन्होंने कहा अंतिम समय में प्रोग्राम को कैंसल करना जनता के पैसे की बर्बादी है। कांग्रेस मोदी के इस रवैये की निंदा करती है। पीएम मोदी के बार-बार वाराणसी दौरा रद्द होने को लेकर सपा के नेता मो. शाहिद कहते हैं कि केंद्र सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी। जनता को पीएम से काफी उम्मीदें थी, लेकिन सब खत्म हो गया। पहला वाराणसी दौरा रद्द होने के बाद पीएम को चाहिए था कि वह दिल्ली में इसका उद्घाटन कर देते। इससे जनता की गाढ़ी कमाई जो बार-बार उनके आगमन की तैयारियों में खर्च हो रहा है, वह बच जाता। इससे जनता का भला होता।
कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर बना था पंडाल
पिछली बार बारिश की वजह से रद्द हुए दौरे को देखते हुए इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर पंडाल बनाया गया था। फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ जर्मन हेंगर लगाया गए। इसके अलावा पीएम और वीआईपी के लिए दिल्ली से तीन एसी टॉयलेट मंगाए गए। इवेंट कंपनी के की मानें, तो पूरे आयोजन की तैयारी में करीब 11 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कार्यक्रम का पूरा ठेका जेवीए और नागपाल इवेंट कंपनी को दिया गया था।
कॉमनवेल्थ गेम की तर्ज पर डीएलडब्लू मैदान में 9 करोड़ की लागत से छह जर्मन हेंगर बनाए गए। अधिकारिक सूत्रों की मानें, तो एक हेंगर को बनाने में करीब एक करोड़ से ज्यादा खर्च आता है। पांच हेंगर जनता के लिए एक वीआईपी के लिए आरक्षित किया गया। इसके अलावा मंच के ठीक पीछे मिनी पीएमओ के लिए तीन केबिन बनाए गए। इसमें वाई-फाई से लेकर हर तरह की व्यवस्था की गई। केबिन के ठीक बगल में मोदी के लिए एक टन के एसी टॉयलेट बनाए गए। मोदी की सभा में आने वाले 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए 15 डिजिटल डिस्प्ले का इंतजाम किया गया। एक डिस्प्ले का किराया करीब बीस हजार रुपए बताया जा रहा है। पूरे पंडाल में हाई क्वालिटी का साउंड सिस्टम लगाया गया।
कार्यक्रम में पीएम मोदी और आने वाले वीआईपी को कोई दिक्कत न हो इसके लिए दिल्ली से 100 टन का एसी मंगाया गया है, जो तीन दिन पहले ही लगा दिया गया। एसी का काम देखने वाले कर्मचारी ने बताया कि एसी लगातार चल रही है। इसके पीछे 125 केबी की खपत होगी। एसी के लिए जो जनरेटर लगाए गए हैं उसमें प्रतिघंटा बीस लीटर डीजल की खपत हो रही है। इसके लिए अलग से दस लोग दिल्ली से आए हैं।
आम लोगों के लिए बड़े-बड़े सौ कूलर और दो हजार पंखे लगाए गए। इसके लिए 125 केवीए के 10 और 63.5 केवीए के दो जेनरेटर मंगवाए गए। जेनरेटरों से तकरीबन 1.4 मेगावाट बिजली उत्पादित की जानी थी। इतनी बिजली से 1000 से ज्यादा घरों को आपूर्ति दी जा सकती है।
पिछली बार बारिश की वजह से रद्द हुए दौरे को देखते हुए इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर पंडाल बनाया गया था। फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ जर्मन हेंगर लगाया गए। इसके अलावा पीएम और वीआईपी के लिए दिल्ली से तीन एसी टॉयलेट मंगाए गए। इवेंट कंपनी के की मानें, तो पूरे आयोजन की तैयारी में करीब 11 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कार्यक्रम का पूरा ठेका जेवीए और नागपाल इवेंट कंपनी को दिया गया था।
कॉमनवेल्थ गेम की तर्ज पर डीएलडब्लू मैदान में 9 करोड़ की लागत से छह जर्मन हेंगर बनाए गए। अधिकारिक सूत्रों की मानें, तो एक हेंगर को बनाने में करीब एक करोड़ से ज्यादा खर्च आता है। पांच हेंगर जनता के लिए एक वीआईपी के लिए आरक्षित किया गया। इसके अलावा मंच के ठीक पीछे मिनी पीएमओ के लिए तीन केबिन बनाए गए। इसमें वाई-फाई से लेकर हर तरह की व्यवस्था की गई। केबिन के ठीक बगल में मोदी के लिए एक टन के एसी टॉयलेट बनाए गए। मोदी की सभा में आने वाले 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए 15 डिजिटल डिस्प्ले का इंतजाम किया गया। एक डिस्प्ले का किराया करीब बीस हजार रुपए बताया जा रहा है। पूरे पंडाल में हाई क्वालिटी का साउंड सिस्टम लगाया गया।
कार्यक्रम में पीएम मोदी और आने वाले वीआईपी को कोई दिक्कत न हो इसके लिए दिल्ली से 100 टन का एसी मंगाया गया है, जो तीन दिन पहले ही लगा दिया गया। एसी का काम देखने वाले कर्मचारी ने बताया कि एसी लगातार चल रही है। इसके पीछे 125 केबी की खपत होगी। एसी के लिए जो जनरेटर लगाए गए हैं उसमें प्रतिघंटा बीस लीटर डीजल की खपत हो रही है। इसके लिए अलग से दस लोग दिल्ली से आए हैं।
आम लोगों के लिए बड़े-बड़े सौ कूलर और दो हजार पंखे लगाए गए। इसके लिए 125 केवीए के 10 और 63.5 केवीए के दो जेनरेटर मंगवाए गए। जेनरेटरों से तकरीबन 1.4 मेगावाट बिजली उत्पादित की जानी थी। इतनी बिजली से 1000 से ज्यादा घरों को आपूर्ति दी जा सकती है।
मिट्टी के मैदान को बनाया गया वुडेन ग्राउंड
बारिश से होने वाली जलभराव की स्थिति से बचने के लिए जनसभा स्थल पर ईंट बिछाकर प्लाइवुड की फर्श बनाई गई थी। जमीन से छह इंच ऊपर पंडाल बनाया गया, लेकिन इसके बाद भी यह बारिश में तबाह हो गया।
बारिश से होने वाली जलभराव की स्थिति से बचने के लिए जनसभा स्थल पर ईंट बिछाकर प्लाइवुड की फर्श बनाई गई थी। जमीन से छह इंच ऊपर पंडाल बनाया गया, लेकिन इसके बाद भी यह बारिश में तबाह हो गया।
कील से लेकर कारीगर तक दिल्ली से लाए गए
जर्मन हेंगर को बनाने के लिए कारीगर से लेकर हर छोटी-बड़ी चीज दिल्ली से मंगाई गई। इसके अलावा जनसभा में आने वाले लोगों के लिए पीने का पानी भी दिल्ली से मंगवाया गया। इस बार पूरी तैयारी पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की देखरेख में हुई। पीएमओ खुद तैयारियों की निगरानी कर रहा था।
जर्मन हेंगर को बनाने के लिए कारीगर से लेकर हर छोटी-बड़ी चीज दिल्ली से मंगाई गई। इसके अलावा जनसभा में आने वाले लोगों के लिए पीने का पानी भी दिल्ली से मंगवाया गया। इस बार पूरी तैयारी पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की देखरेख में हुई। पीएमओ खुद तैयारियों की निगरानी कर रहा था।
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