मोदी का काशी दौरा तो हुआ नहीं, पर , बन सकते थे 40 हजार टॉयलेट


कब-कब कैंसिल हुआ मोदी का प्रोग्राम और तैयारियों पर कितना हुआ खर्च?
प्रोग्राम की डेट | कैंसल होने का रीजन | तैयारी पर खर्च |
14 अक्टूबर 2014 | तूफान | 6 करोड़ रुपए |
25 दिसंबर 2014 | अधूरी थीं तैयारियां | 7 करोड़ रुपए |
28 जून 2015 | भारी बारिश | 9 करोड़ रुपए |
16 जुलाई 2015 | बारिश और एक मजदूर की मौत | 17 करोड़ रुपए |

कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर बना था पंडाल
पिछली बार बारिश की वजह से रद्द हुए दौरे को देखते हुए इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर पंडाल बनाया गया था। फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ जर्मन हेंगर लगाया गए। इसके अलावा पीएम और वीआईपी के लिए दिल्ली से तीन एसी टॉयलेट मंगाए गए। इवेंट कंपनी के की मानें, तो पूरे आयोजन की तैयारी में करीब 11 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कार्यक्रम का पूरा ठेका जेवीए और नागपाल इवेंट कंपनी को दिया गया था।
कॉमनवेल्थ गेम की तर्ज पर डीएलडब्लू मैदान में 9 करोड़ की लागत से छह जर्मन हेंगर बनाए गए। अधिकारिक सूत्रों की मानें, तो एक हेंगर को बनाने में करीब एक करोड़ से ज्यादा खर्च आता है। पांच हेंगर जनता के लिए एक वीआईपी के लिए आरक्षित किया गया। इसके अलावा मंच के ठीक पीछे मिनी पीएमओ के लिए तीन केबिन बनाए गए। इसमें वाई-फाई से लेकर हर तरह की व्यवस्था की गई। केबिन के ठीक बगल में मोदी के लिए एक टन के एसी टॉयलेट बनाए गए। मोदी की सभा में आने वाले 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए 15 डिजिटल डिस्प्ले का इंतजाम किया गया। एक डिस्प्ले का किराया करीब बीस हजार रुपए बताया जा रहा है। पूरे पंडाल में हाई क्वालिटी का साउंड सिस्टम लगाया गया।
कार्यक्रम में पीएम मोदी और आने वाले वीआईपी को कोई दिक्कत न हो इसके लिए दिल्ली से 100 टन का एसी मंगाया गया है, जो तीन दिन पहले ही लगा दिया गया। एसी का काम देखने वाले कर्मचारी ने बताया कि एसी लगातार चल रही है। इसके पीछे 125 केबी की खपत होगी। एसी के लिए जो जनरेटर लगाए गए हैं उसमें प्रतिघंटा बीस लीटर डीजल की खपत हो रही है। इसके लिए अलग से दस लोग दिल्ली से आए हैं।
आम लोगों के लिए बड़े-बड़े सौ कूलर और दो हजार पंखे लगाए गए। इसके लिए 125 केवीए के 10 और 63.5 केवीए के दो जेनरेटर मंगवाए गए। जेनरेटरों से तकरीबन 1.4 मेगावाट बिजली उत्पादित की जानी थी। इतनी बिजली से 1000 से ज्यादा घरों को आपूर्ति दी जा सकती है।
पिछली बार बारिश की वजह से रद्द हुए दौरे को देखते हुए इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर पंडाल बनाया गया था। फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ जर्मन हेंगर लगाया गए। इसके अलावा पीएम और वीआईपी के लिए दिल्ली से तीन एसी टॉयलेट मंगाए गए। इवेंट कंपनी के की मानें, तो पूरे आयोजन की तैयारी में करीब 11 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कार्यक्रम का पूरा ठेका जेवीए और नागपाल इवेंट कंपनी को दिया गया था।
कॉमनवेल्थ गेम की तर्ज पर डीएलडब्लू मैदान में 9 करोड़ की लागत से छह जर्मन हेंगर बनाए गए। अधिकारिक सूत्रों की मानें, तो एक हेंगर को बनाने में करीब एक करोड़ से ज्यादा खर्च आता है। पांच हेंगर जनता के लिए एक वीआईपी के लिए आरक्षित किया गया। इसके अलावा मंच के ठीक पीछे मिनी पीएमओ के लिए तीन केबिन बनाए गए। इसमें वाई-फाई से लेकर हर तरह की व्यवस्था की गई। केबिन के ठीक बगल में मोदी के लिए एक टन के एसी टॉयलेट बनाए गए। मोदी की सभा में आने वाले 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए 15 डिजिटल डिस्प्ले का इंतजाम किया गया। एक डिस्प्ले का किराया करीब बीस हजार रुपए बताया जा रहा है। पूरे पंडाल में हाई क्वालिटी का साउंड सिस्टम लगाया गया।
कार्यक्रम में पीएम मोदी और आने वाले वीआईपी को कोई दिक्कत न हो इसके लिए दिल्ली से 100 टन का एसी मंगाया गया है, जो तीन दिन पहले ही लगा दिया गया। एसी का काम देखने वाले कर्मचारी ने बताया कि एसी लगातार चल रही है। इसके पीछे 125 केबी की खपत होगी। एसी के लिए जो जनरेटर लगाए गए हैं उसमें प्रतिघंटा बीस लीटर डीजल की खपत हो रही है। इसके लिए अलग से दस लोग दिल्ली से आए हैं।
आम लोगों के लिए बड़े-बड़े सौ कूलर और दो हजार पंखे लगाए गए। इसके लिए 125 केवीए के 10 और 63.5 केवीए के दो जेनरेटर मंगवाए गए। जेनरेटरों से तकरीबन 1.4 मेगावाट बिजली उत्पादित की जानी थी। इतनी बिजली से 1000 से ज्यादा घरों को आपूर्ति दी जा सकती है।
मिट्टी के मैदान को बनाया गया वुडेन ग्राउंड
बारिश से होने वाली जलभराव की स्थिति से बचने के लिए जनसभा स्थल पर ईंट बिछाकर प्लाइवुड की फर्श बनाई गई थी। जमीन से छह इंच ऊपर पंडाल बनाया गया, लेकिन इसके बाद भी यह बारिश में तबाह हो गया।
बारिश से होने वाली जलभराव की स्थिति से बचने के लिए जनसभा स्थल पर ईंट बिछाकर प्लाइवुड की फर्श बनाई गई थी। जमीन से छह इंच ऊपर पंडाल बनाया गया, लेकिन इसके बाद भी यह बारिश में तबाह हो गया।
कील से लेकर कारीगर तक दिल्ली से लाए गए
जर्मन हेंगर को बनाने के लिए कारीगर से लेकर हर छोटी-बड़ी चीज दिल्ली से मंगाई गई। इसके अलावा जनसभा में आने वाले लोगों के लिए पीने का पानी भी दिल्ली से मंगवाया गया। इस बार पूरी तैयारी पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की देखरेख में हुई। पीएमओ खुद तैयारियों की निगरानी कर रहा था।
जर्मन हेंगर को बनाने के लिए कारीगर से लेकर हर छोटी-बड़ी चीज दिल्ली से मंगाई गई। इसके अलावा जनसभा में आने वाले लोगों के लिए पीने का पानी भी दिल्ली से मंगवाया गया। इस बार पूरी तैयारी पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की देखरेख में हुई। पीएमओ खुद तैयारियों की निगरानी कर रहा था।
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