मोदी के PM बनते ही आतंकियों ने बदली रणनीति, निशाना जम्मू

strategyतहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, जम्मू। आतंकियों ने अब कश्मीर घाटी को छोड़ जम्मू में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दू दक्षिणपंथी पार्टियों की बढ़ती सक्रियता से मुकाबले के लिए आतंकियों ने अपनी रणनीति बदली है। बुधवार को सिक्यॉरिटी एजेंसियों ने कहा कि हथियारबंद आतंकियों ने कश्मीर घाटी के बदले जम्मू में अपना फोकस शिफ्ट कर दिया है।
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि जम्मू सिटी से 60 किलोमीटर दूर उधमपुर के पास जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर आतंकी हमला इस बात का परिचायक है इन्होंने अपनी रणनीति बदली है। पहले ये पीर पांचाल और चिनाब घाटी की तरफ फोकस होते थे। इन्हें मुस्लिम बहुल इलाका समर्थन पाने के लिहाज के आकर्षित करता था। दो दुःसाहसी पाकिस्तानी आतंकियों ने पैरामिलिट्री दल को हाइवे पर निशाना बनाया। इस हमले में बीएसएफ के दो जवान मारे गए। इसमें एक आतंकी भी मारा गया लेकिन दूसरे को जिंदा पकड़ने में कामयाबी मिली। आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में लगे अधिकारियों का कहना है कि जम्मू में पिछले एक साल से सांप्रदायिक कलह बढ़ी है। अलगाववादी समूहों को लगा रहा है कि उन इलाकों में भगवा पार्टियों का प्रभाव बढ़ा है जहां हिन्दुओं के मुकाबले मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है। पिछले साल नई दिल्ली की कमान बीजेपी के संभालने के बाद से जम्मू में आतंकी हमलों की आधे दर्जन से ज्यादा वारदातें हुई हैं। इसकी वजह यह कहा जा रहा है कि जम्मू के मुस्लिम बहुल इलाकों में सांप्रदायिकता को हवा मिल रही है। कहा जा रहा है कि सांप्रदायिक विवादों के कारण एक बार फिर से आबादी का एक बड़ा तबका अलग-थलग महसूस कर रहा है। इस साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह पहला वाकया है जब भगवा पार्टी ने को मुस्लिम बहुल राज्य की सत्ता में हिस्सेदारी मिली। श्रीनगर स्थित खुफिया विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हाल के हमलों से साफ है कि आतंकियों का निशाना लाइन ऑफ कंट्रोल और इंटरनैशनल सरहद से दूर अब जम्मू है।
श्रीनगर स्थित आतंकवाद विरोधी दस्ते में इनचार्ज एक पुलिस अधिकारी ने एक अंग्रेजी वेबसाइट से कहा कि अभी आतंकियों का ज्यादा ध्यान जम्मू पर है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आतंकी समूहों द्वारा फिदायीन हमलों में उल्लेखनीय कमी आई थी। अब हथियार बंद समूह सरहद के करीब जम्मू को टारगेट करने के लिए खास दल भेज रहे हैं। यहां जवाबी रणनीति के लिए सुरक्षा बलों को ये बेहद कम वक्त देते हैं। सूत्रों ने कहा कि आतंकियों ने यह रणनीति पिछले साल नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बदली।
मोदी की जम्मू यात्रा से ठीक पहले पिछले साल 27 नवंबर को इंटरनैशनल बॉर्डर के पास अरनिया सेक्टर में आतंकियों ने बड़ा हमला कर 10 लोगों की हत्या कर दी थी। इसमें 3 आर्मी के अधिकारी भी शामिल थे। जब इस साल मार्च में पीडीपी और बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाया दो बड़े हमले कठुआ और सांबा में हुए। इस हमले में 10 लोगों की हत्या हुई थी। इनमें सात सीआरपीएफ के जवान थे। बुधवार को हमला मुस्लिम बहुल इलाके चेनानी में नैशनल हाइवे पर हुआ। इससे साबित होता है कि इन इलाकों में आतंकियों की पहुंच बढ़ी है। इस बात को आर्मी से जुड़े अधिकारी भी महसूस कर रहे हैं।

 

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