याकूब की फांसी का ट्रायल शुरू: पुतले को दिन में तीन बार लटका रहे फंदे पर

unnamed_12तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली/मुंबई। नागपुर जेल का माहौल इन दिनों बदला हुआ है। सभी को तीस जुलाई का इंतजार हैं। इस दिन देशद्रोही मुंबई ब्लास्ट के एक अपराधी याकूब मेमन को फांसी दी जानी हैं। फांसी के लिए जेल में सभी तैयारियां कर ली गई हैं। याकूब को फांसी पर कैसे लटकाया जाएगा इसकी प्रेक्टिस की जा रही है। मेमन के वजन से पांच किलो ज्यादा का पुतला जेल प्रशासन ने तैयार करा लिया है। इसे दिन में तीन बार फांसी दी जा रही है।
किसी अपराधी का डेथ वारंट जारी होने के बाद जेल प्रशासन इसकी तैयारियां शुरू कर देता है। फांसी देने के लिए कुछ प्रक्रिया होती है। इसके तहत फांसी दिए जाने वाले कैदी के वजन से करीब पांच किलो अधिक एक बालू और पत्थर का पुतला बनाया जाता है। उसे फंदे पर लटकाकर उसकी प्रेक्टिस की जाती है। हर फांसी से पहले ऐसा ही होता है। जल्लाद जेल अधिकारियों के सामने इसकी प्रेक्टिस करते हैं। नागपुर जेल में भी याकूब मेमन का पुतला तैयार किया गया है। मेमन के पुतले को दिन में तीन बार फांसी पर लटकाया जा रहा है।
unnamed-1180 किलो बताया जा रहा है याकूब का वजन
नागपुर जेल में फांसी का इंतजार कर रहे याकूब मेमन का वजन करीब 80 किलो बताया जा रहा है। सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल प्रशासन ने 85 किलो का पुतला तैयार कराया है। इसी पुतले को दिन में तीन बार फांसी पर लटका कर इसकी प्रेक्टिस की जा रही है। इस दौरान सभी वह प्रक्रियाएं अपनीई जा रही हैं जो फांसी देते समय मजिस्ट्रेट के सामने होती हैं। इस बात का विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि कहीं कोई चूक न हो जाए।
बदला गया लीवर और पटला
नागपुर जेल में फांसी यार्ड में जहां याकूब मेमन को रखा गया है उसी में वह स्थान हैं जहां फांसी दी जानी हैं। लौहे के एंगल को भी बदला गया है। चबूतरे की पुताई की गई है। जिस पटिए पर याकूब को खड़ा किया जाएगा उसे बदला गया है। लीवर खींच कर यह भी जांचा जा रहा है कि इसके हटने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं। इसकी प्रेक्टिस की जा रही है। एक एक सैंकड में होने वाले इन कामों की टाइम लाइन तैयार की जा रही है। जेल अधिकारी खुद अपने सामने दिन में तीन बार सारी प्रक्रियाओं पर नजर रख रहे हैं। फांसी देने के लिए एक खास प्रकार की रस्सी तैयार की जाती है। इसे मनीला रस्सी कहा जाता है। तीन-चार दिन तक इस रस्सी को साबुन और पके केले का लेप लगाकर नरम किया जाता है। याकूब को फांसी देने के लिए रस्सी तैयार हो गई है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि फांसी देते समय एक झटके में फंदा कस जाए और अपराधी की मौत हो जाए। पूरे भारते में फांसी देने के लिए रस्सी एक जेल में बनाई जाती है। असल में अंग्रेजों की हुकूमत के समय से ही देश की किसी भी जेल में फांसी देनेके लिए बक्सर सेंट्रल जेल के पुनर्वास प्रशिक्षण केंद्र में फंदेवाली मनीला रस्सी को बनाया जाता है। बताया जाता है कि ब्रिटिश हुकूमत में पहले फिलीपींस की राजधानी मनीला में फांसी के लिए रस्सी तैयार होती थी। बाद में बक्सर जेल में भी वैसी ही रस्सी का निर्माण होने लगा। अंग्रेजों ने ही इसे मनीला रस्सी नाम दिया। मनीला गले में बांधकर बिना तकलीफ मौत की नींद सुलाने वाली मनीला रस्सी को बनाने के लिए खास विधि अपनाई जाती है। पहले कच्चे सूत की एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में रगड़ा जाता है। इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है। 168 किलोग्राम वजन उठाने की क्षमता वाली विशेष प्रकार की रस्सी की कीमत महज 182 रुपए है। इस कीमत में बढ़ोतरी अजादी के बाद से नहीं की गई है। फांसी के मनीला रस्सी 20 फीट लंबी रस्सी होती है। मार्च 2013 से अभी तक 27 मनीला रस्सी देश की कई जेलों में बक्सर जेल से भेजी गईं हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बक्सर की सेन्ट्रल जेल गंगा नदी के किनारे होने के कारण फांसी का फंदा यानी की मनीला रस्सी बनाने में ज्यादा कारगर है। रस्सी बनाने के लिए नमी की बहुत जरूरत होती है। इससे यह मजबूत हो जाती है। मार्च 2013 में तीन रस्सी, अप्रैल 2013 में 13 रस्सी, दिसम्बर 2013 में दो रस्सी, मई 2014 में दो रस्सी, सितम्बर 2014 में सात रस्सी देश के विभिन्न जेलों में भेजी गई थीं।
 

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