यूपी में योगी ने दिए जांच के आदेश, LDA के भ्रष्ट अफसरों और बाबुओं के छूटे पसीने

लखनऊ। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम और तेज कर दी है. जिसके चलते  लखनऊ विकास प्राधिकरण से एक खास परिवार और कुछ नौकरशाहों के पक्ष में हुई लैंड यूज बदलने की कार्रवाई रद्द कर सरकार ने ये साफ संदेश दे दिया है कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में कोई भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वो कितना भी प्रभावशाली क्यों ना हो. ऐसे अफसरों के खिलाफ जांच भी की जाएगी, जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर लैंड यूज बदलने की कार्रवाई की थी. यहां तक कि योगी सरकार के निशाने पर प्राधिकरण की गोमती नगर योजना के फेज- 2 में बसपा की मायावती सरकार से लेकर सपा की अखिलेश सरकार में विभिन्न योजनाओं के पंजीकरण के आधार पर दलालों के माध्यम से समायोजित कराये गए उन भूखंडों की भी जांच कराये जाने पर विचार किया जा रहा है. जिससे प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंची है.

समायोजन के खेल से LDA  अधिकारियों और बाबुओं ने करोड़ों कमाए- सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण में पिछले दस सालों से चल रहे इस खेल के चलते प्राधिकरण को चूना लगाकर कई बाबू और प्रापर्टी अफसर करोड़पति ही नहीं बल्कि अरबपति बन चुके हैं. दरअसल प्राधिकरण में दलाल अपने काम कोण लेकर बाबू से मिलता है, जिसके बाद बाबू अपना मुनाफा पहले उससे ले लेता है. इसके साथ ही साहब के हस्ताक्षर करने के दाम भी उससे तय कर लिया जाता है. फिलहाल इस खेल में प्राधिकरण का जो भी बाबू और अधिकारी प्रापर्टी विभाग में इस अवधि में तैनात रहा है. कोई भी इस घोटाले से अछूता नहीं रहा है. सबने जमकर माल काटा है. और तो और समायोजन की कई फाइलें तो ऐसी हैं, जिनमें प्राधिकरण के पूर्व सचिव राम विलास के फर्जी हस्ताक्षर खुद बाबुओं ने अपने हाथ से बना लिए हैं. प्राधिकरण में तैनात कुछ कर्मचारियों का कहना है कि अगर योगी सरकार ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुहिम चला रही है तो उसे इस मामले की जांच सीबीआई के सपुर्द कर देनी चाहिए. क्योंकि कंप्यूटर विभाग से लेकर ऊपर तक के अधिकारी इसमें शामिल हैं.

इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मच गया है. सरकार संकल्प पत्र के वायदे पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ रही है. लखनऊ विकास प्राधिकरण से एक खास परिवार और कुछ नौकरशाहों के पक्ष में हुई लैंड यूज बदलने की कार्रवाई रद्द कर सरकार ने ये साफ संदेश दे दिया है कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में कोई भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वो कितना भी प्रभावशाली क्यों ना हो. ऐसे अफसरों के खिलाफ जांच भी की जाएगी, जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर लैंड यूज बदलने की कार्रवाई की थी.

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. इस अभियान के तहत ही सरकार ने विकास प्राधिकरणों में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा रिवर फ्रंट घोटाले, जेपीएनआईसी घोटाले, हेरिटेज जोन घोटाले, एक्सप्रेस-वे घोटाले, समाजवादी पेंशन घोटाले और यूपीएसआईडीसी घोटाले की भी जांच शुरू कर दी गई है. इतना ही नहीं खनन में भी पारदर्शिता के लिए नीति तैयार कर ली गई है. ठेके पट्टों में पारदर्शिता के लिए ई टेंडरिंग लागू कर दी गई है.इतना ही नहीं भ्रष्टाचार के आरोपी सोनभद्र और मिर्जापुर के बीएसए को निलंबित करने के साथ ही कानपुर की आरटीओ सुनीता सिंह व उनके पति दिनेश कुमार वर्मा, यूपीआरएनएन के जीएम एसए शर्मा और सेल्स टैक्स के अफसर केशव लाल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले में कड़ी कार्रवाई की गई है. योगी सरकार का एक ही मंत्र है कि भ्रष्टाचारियों और अपराधियों पर कठोरतम् कार्यवाही से 15 वर्षो के भ्रष्ट सिस्टम को दुरूस्त कर जनकल्याणकारी बनाया जा सके.

लैंड यूज बदलने से LDA को नुक्सान  श्री त्रिपाठी ने कहा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण में नियमों को ताक पर रखकर जिस तरह एक खास परिवार और कुछ नौकरशाहों के प्लाटों का लैंड यूज बदला गया था. उससे हर कोई हैरान था. इस फैसले से राजस्व का नुकसान तो हुआ ही था, आम लोगों में भी इस फैसले से नाराजगी थी. मामले की जानकारी होते ही सरकार ने लैंड यूज बदलने का आदेश खारिज कर ये संदेश दे दिया है कि भ्रष्टाचारियों से किसी भी तरह की नरमी नहीं दिखाई जाएगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

 

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