ये हैं बाबा नीम करौली, इनके आश्रम में जुकरबर्ग को मिला FB का नया मिशन

देहरादून। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इसका कारण हैं यहां के कई मशहूर मंदिर, धार्मिक स्थान और पहाड़ों के बीच स्थित संन्यासियों का आश्रम। आज हम आपको नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर बने ऐसे आश्रम के बारे में बता रहे हैं। जहां दुनिया की नामी शख्सियतें आकर साधना कर चुकी हैं, यह दावा उन्होंने खुद किया है। पंतनगर के बाबा नीम करौली आश्रम में आने के बाद लोगों के जीवन की बाधाएं दूर हो गईं और उन्हें अपनी फील्ड में कामयाबी का नया रास्ता मिला। एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी नीम करौली आश्रम में आकर रह चुके हैं। आज भी हर साल कई विदेशी यहां आते हैं और आश्रम में रुक कर साधना करते हैं।
कौन थे बाबा नीम करौली, कहां है आश्रम?
उत्तराखंड के नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर में नीम करौली नाम के एक संन्यासी का आश्रम है। बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा अमेरिकी ही इस आश्रम में आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमान जी का भी एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे।
जॉब्स के कहने पर नीम करौली आए थे जुकरबर्ग
पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी से अमेरिका में मुलाकात के दौरान जुकरबर्ग ने भारत में एक मंदिर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वे एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की सलाह पर भारत के इस मंदिर में गए थे। जुकरबर्ग ने इस मंदिर का नाम नहीं बताया था। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मंदिर नैनीताल के पास पंतनगर में बाबा नीम करौली के आश्रम में ही था। जॉब्स 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपने कुछ दोस्तों के साथ नीम करौली बाबा से मिलने भारत आए थे। तब तक बाबा का निधन हो चुका था। लेकिन जॉब्स कुछ दिन आश्रम में ही रुके रहे। हॉलीवुड एक्ट्रेस जुलिया रॉबर्ट्स भी यहां एक बार आ चुकी हैं। आश्रम चलाने वाले ट्रस्ट ने पुष्टि की है कि जुकरबर्ग ने यहां दो दिन बिताए थे। यह साफ नहीं है कि जुकरबर्ग किस साल इस आश्रम में आए थे।
एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के कहने पर नीम करौली आश्रम आए थे जुकरबर्ग
फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने भारत दौरे के समय उत्तराखंड में नीम करोली बाबा के आश्रम में समय बिताया था. यह वही जगह है जहां एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स भी आए थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि बुरे समय में उन्होंने भारत का दौरा किया था और वहां एक मंदिर में जाने के बाद उन्हें प्रेरणा मिली थी. जुकरबर्ग ने इस मंदिर का नाम नहीं बताया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, यह मंदिर नैनीताल के पास पंतनगर में बाबा नीम करौली के आश्रम में ही था. इसी आश्रम में 1974 में जॉब्स आए थे. हॉलीवुड एक्ट्रेस जुलिया रॉबर्ट्स भी यहां एक बार आ चुकी हैं. आश्रम चलाने वाले ट्रस्ट ने पुष्टि की है कि जुकरबर्ग ने यहां दो दिन बिताए थे. यह साफ नहीं है कि जुकरबर्ग किस साल इस आश्रम में आए थे.
जुकरबर्ग ने कहा भी था कि बुरे समय में जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी. अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा था कि मैं भारत में एक महीने तक घूमा और देखा कि लोग किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हैं. मुझे अहसास हुआ कि अगर सबके पास जुड़ने की क्षमता हो तो दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है. इसे मुझे फेसबुक को आगे बढ़ाने में मदद मिली.
अंग्रेजी अखबार रिपोर्ट के मुताबिक जुकरबर्ग की यात्रा के बारे में नीम करोली बाबा के आश्रम के सचिव विनोद जोशी ने बताया कि गूगल से कॉल आया कि कोई मार्क एक दिन के लिए आश्रम में आएंगे. जुकरबर्ग सिर्फ एक किताब के साथ यहां आए थे और उनके पास कपड़े भी नहीं थे. उन्होंने जो पैंट पहनी हुई थी वह घुटने पर फटी हुई है. वे एक दिन के लिए आए थे लेकिन आंधी-तूफान के कारण दो दिन तक रूके. जिस समय जुकरबर्ग यहां आए थे उस समय नीम करोली बाबा को मरे हुए 32 साल हो चुके थे. गौरतलब है कि 27 सितंबर को माेदी फेसबुक के हेडक्वार्टर में थे. यहां टाउनहॉल के दौरान जुकरबर्ग ने कहा था कि उनकी कंपनी के इतिहास में भारत की खास जगह है. उन्होंने बताया था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने को कहा था. वहीं से उन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला था.
जुकरबर्ग ने कहा भी था कि बुरे समय में जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी. अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा था कि मैं भारत में एक महीने तक घूमा और देखा कि लोग किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हैं. मुझे अहसास हुआ कि अगर सबके पास जुड़ने की क्षमता हो तो दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है. इसे मुझे फेसबुक को आगे बढ़ाने में मदद मिली.
अंग्रेजी अखबार रिपोर्ट के मुताबिक जुकरबर्ग की यात्रा के बारे में नीम करोली बाबा के आश्रम के सचिव विनोद जोशी ने बताया कि गूगल से कॉल आया कि कोई मार्क एक दिन के लिए आश्रम में आएंगे. जुकरबर्ग सिर्फ एक किताब के साथ यहां आए थे और उनके पास कपड़े भी नहीं थे. उन्होंने जो पैंट पहनी हुई थी वह घुटने पर फटी हुई है. वे एक दिन के लिए आए थे लेकिन आंधी-तूफान के कारण दो दिन तक रूके. जिस समय जुकरबर्ग यहां आए थे उस समय नीम करोली बाबा को मरे हुए 32 साल हो चुके थे. गौरतलब है कि 27 सितंबर को माेदी फेसबुक के हेडक्वार्टर में थे. यहां टाउनहॉल के दौरान जुकरबर्ग ने कहा था कि उनकी कंपनी के इतिहास में भारत की खास जगह है. उन्होंने बताया था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने को कहा था. वहीं से उन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला था.
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