राष्‍ट्रपति चुनाव: JDU का बड़ा बयान, विपक्षी एकता में बाधक बनी कांग्रेस

पटना। जदयू ने सोमवार को सीधे-सीधे कांग्रेस पर यह आरोप मढ़ा कि कांग्रेस नेतृत्व की जिद के कारण ही राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की एकता व्यापक नहीं हो पायी। आरंभ से ही कांग्रेस अपने ही दल का प्रत्याशी राष्ट्रपति चुनाव के लिए देने पर अड़ी थी।

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने यह वक्तव्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान के बाद दिया है जिसमें आजाद ने यह कहा कि हम नहीं नीतीश कुमार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और बिहार की बेटी मीरा कुमार को हरा रहे। त्यागी ने कहा कि कांग्रेस ने किसी भी चरण की बातचीत में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में मीरा कुमार के नाम की जानकारी न तो नीतीश कुमार को दी और न ही सीताराम येचुरी को।

केसी त्‍यागी ने कहा, चेन्नई में नीतीश कुमार की यात्रा करुणानिधि के जन्मदिवस समारोह के सिलसिले में थी। उस यात्रा में वामदल के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा के साथ उनकी बातचीत में गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमति बन गयी थी। देवेगोड़ा भी तैयार थे। शरद पवार और ममता बनर्जी भी इस मत के थे कि संयुक्त विपक्ष का प्रत्याशी कांग्रेस की ओर से नहीं आए।

उन्‍होंने कहा कि शरद पवार तो आखिरी समय तक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर के लिए लगे रहे। शिव सेना की भी सहमति थी। इसी तरह भाजपा ने भी कभी यह नहीं बताया कि रामनाथ कोविंद के रूप में वह एक दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने जा रही है।

त्यागी ने कहा कि भाजपा अगर दलित नेता कोविंद का नाम सर्वसम्मति के लिए आगे करती तो वहां सर्वसम्मति भी संभव थी। पर वह मनमाने ढंग की राजनीति करती रही। रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन जदयू के लिए एक अलग किस्म का फैसला था। उनका विरोध आसानी से संभव नहीं था, क्योंकि राज्यपाल पद की गरिमा का उन्होंने असाधारण तरीके से निर्वहन किया।

 

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