लालू पर CBI छापों से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल, नीतीश-कांग्रेस खामोश

नई दिल्ली।  बिहार में महागठबंधन का भविष्य खतरे में दिख रहा है. लालू परिवार पर सीबीआई के छापे पड़े हुए 24 घंटे से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन अब तक जेडीयू का एक भी नेता उनके बचाव में सामने नहीं आया है.  वहीं, कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गज भी लालू परिवार के बचाव में सामने नहीं आ रहे हैं. खुद लालू यादव महागठबंधन को सुरक्षित बता रहे हैं.

लालू के परिवार पर पड़े सीबीआई के छापों के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. इस केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है, ‘’आज नीतीश कुमार मौनी बाबा बने हैं. अब नीतीश कुमार को जवाब देना होगा.’’

वहीं लोजपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘’सब नीतीश जी के ऊपर हैं. वो सोचें कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. लालू पर इतने बड़े आरोप लग रहे हैं, इतनी बड़ी सच्चाई सामने आ रही है तो वो अब नीतीश जी को देखना है कि वह कबतक सुशासन बाबू बने रहेंगे.’’

सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि नीतीश कुमार ने जेडीयू के प्रवक्ताओं को लालू के मामले पर कुछ नहीं बोलने का फरमान जारी किया. दूसरी तरफ बीजेपी लालू यादव के बेटों के खिलाफ नये सिरे से मोर्चा खोल रही है. बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा है, ‘’नीतीश कुमार को तेजस्वी और तेज प्रताप को अविलंब बर्खास्त करना चाहिए.  क्या कोई मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल में ऐसे लोगों को रख सकता है जिसकी एक दर्जन संपत्ति कुर्क हो चुकी है.’’

नीतीश कुमार के लिए लालू यादव के दोनों बेटों पर कार्रवाई करने का मतलब है कि अपनी सरकार को संकट में डालना क्योंकि, उनकी सरकार आरजेडी के दम पर ही चल रही है.,243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में फिलहाल लालू की पार्टी आरजेडी के पास  80, जेडीयू के पास 71 और कांग्रेस के पास 27 सीटें हैं. इस तरह इस महागठबंधन के पास कुल 178 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 122 से 56 ज्यादा हैं. ऐसे में अगर नीतीश लालू से नाता तोड़ते हैं तो कांग्रेस के 27 मिलाकर भी उनके पास सिर्फ 98 विधायक ही होंगे यानी बहुमत से 24 कम.

इस स्थिति में सरकार में बने रहने के लिए नीतीश को एक बार फिर एनडीए का साथ लेना होगा. जिसके 58 विधायकों के साथ कुल आंकड़ा 129 यानी बहुमत से 7 ज्यादा पर पहुंच जाएगा. मतलब अगर नीतीश कुमार एनडीए के साथ आ जाएं तो उनकी सरकार पहले की तरह सुरक्षित रहेगी, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव, जीएसटी और नोटबंदी जैसे मुद्दों पर एनडीए का साथ देनेवाले नीतीश कुमार फिलहाल लालू यादव के मसले पर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं.

 

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