लेखकों से बोले नायडू, देश की छवि का तो ख्याल रखिए

हैदराबाद। कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या और दादरी घटना के बाद एक के बाद एक लेखकों और साहित्यकारों का अवॉर्ड लौटाना सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। भले ही पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लेखकों के इस फैसले को देश के खिलाफ कागजी बगावत कह दिया था, पर लग रहा है कि अब पीएम मोदी ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को इस मामले को शांत करने की जिम्मेदारी दी है।
नायडू ने कहा, ‘कुछ लोग देश में हुई हिंसा की कुछ घटनाओं का सामान्यीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। वे उसे बड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। वे दिखाना चाहते हैं कि देश में सहिष्णुता का स्तर घटा है। इससे देश का ही अपमान होगा। हम घटनाओं की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन देश की नहीं।’
राज्यसभा की पूर्व सदस्य वाई लक्ष्मी प्रसाद की पुस्तक ‘नयका त्रयम’ का विमोचन करते हुए नायडू ने कहा, ‘हम आजकल देश में एक नया चलन देख रहे हैं। वे कहते हैं कि देश में सहिष्णुता घट रही है। दुनिया में भारत ही एकमात्र देश है जहां सहिष्णुता है। अगर 100 फीसदी नहीं तो कम से कम 99 फीसदी तो है ही।’
उन्होंने कहा, ‘अगर आप इतिहास में जाएं, भारत पर कई विदेशी हमलावरों ने हमला किया, लेकिन एक भी ऐसी घटना नहीं है जहां भारत ने किसी देश पर हमला किया हो। भारतीयों की प्रवृत्ति भी वैसी नहीं है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यह भारत की महानता है। सहिष्णुता भारतीय के खून में आनुवंशिक रूप से बहती है।’
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