शर्मनाक! भारत में 86 फीसदी रेप जानने वाले करते हैं

rape_protest3तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि

नई दिल्ली। सभी दल, सभी समाज के लोग, सभी अधिकारी, सब सरकारें, सभी सभ्यजन, यहां तक कि ये पूरा देश महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर वक्त चिंतित रहता है. सभी इस तरह अपने-अपने ठोस कदम का ढिंढोरा भी पीटते हैं. चारों ओर बस महिलाओं को हक दिलाने, उनके मान-सम्मान की बातें ही सुनाई देती रहती हैं. उनकी सुरक्षा घर से बाहर तक के लिए समाज और सरकार हर वक्त ठोस और कठोर कदम उठाती रही है. आगे भी उठाती रहेगी. फिर देश से ऐसी रिपोर्ट क्यों आती है? ये रिपोर्ट बतलाती है कि चाहें बातें कितनी भी हो जाये पर ना हम सुधरने वाले हैं ना ही सरकारें.

एनसीआरबी के मुताबिक 2014 में भारत में कुल 37,413 रेप के मामले दर्ज किए गए. यह डाटा थाने में दर्ज एफआईआर पर आधारित है. यह भी बता दें कि 2013 में एनसीआरबी ने जो आंकडे जारी किए थे उसके मुताबिक उस साल भारत में कुल 33,707 रेप के मामले दर्ज किए गए थे.

 दिल्ली बनी रेप की ‘राजधानी’!

अब जरा ‘दिलवालों’ की दिल्ली पर नजर डालें. आंकड़े तो दिल्ली को ऐतिहासिक रूप से ‘रेप कैपिटल’ बनने का ठप्पा लगा रहे हैं. अगर बात राजधानी की बात करें तो 2014 में रेप के 1,813 मामले दर्ज किए गए हैं. बता दें कि 2013 में रेप के कुल 1,441 मामले और 2012 में 585 मामले दर्ज किए गए थे. भारत के टॉप पांच मेट्रो शहरों की बात करें तो कोलकाता महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर है जहां 2014 में रेप के 36 मामले दर्ज हुए हैं. कोलकाता में 2013 में 75 रेप के मामले और 2012 में 68 मामले दर्ज हुए थे. दिल्ली में सबसे ज्यादा 1,813 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं. इसके बाद नंबर आता है मुंबई का जहां पर 2014 में 607 रेप के मामले दर्ज हुए हैं. जो कि 2013 में 391 और 2012 में 232 मामले दर्ज हुए थे. चेन्नई में भी रेप के मामलों में कमी आई है. यहां 2014 में 65 मामले दर्ज किए गए हैं जो कि 2013 में 83 और 2012 में 94 थे. बैंगलोर में 104 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं जो 2013 में 80 थे और 2012 में 90. इन आंकड़ों की कहानी पर ध्यान दें तो महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर दिल्ली बन चुका है.

राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश सबसे टॉप पर है. एमपी में रेप के कुल 5076 मामले दर्ज किए गए हैं. एमपी में 2013 में रेप के कुल 4335 मामले और 2012 में 3425 मामले दर्ज किए गए थे. राजस्थान दूसरे नंबर पर है जहां 3759 केस दर्ज हुए हैं. वहीं यूपी 3,467 केस के साथ तीसरे नंबर पर है जहां कुछ ही दिन पहले पहले सपा अध्यक्ष ने कहा है कि एक साथ चार लोग रेप करें यह ‘प्रैक्टिकली पॉसिबल’ नहीं है. एक बार दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने कहा था कि लड़कियों को रात में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए जिसको लेकर बहुत विवाद हुआ था. सिर्फ शीला दीक्षित ही नहीं कई बार हम ऐसी बयानबाजी सुन चुके हैं. सिर्फ नेता ही नहीं घरवाले भी लड़कियों को घर से बाहर इसलिए नहीं जाने देते क्योंकि उन्हें लगता है कि वे बाहर असुरक्षित हैं. लेकिन तब क्या हो जब रेप सड़क पर नहीं घर के अंदर कोई अपना ही कर रहा हो. घर में रह रहा वो दरिंदा रिश्ता, संस्कृति सब भुलाकर अपनी हवस का शिकार बना रहा हो. जरा गौर से पढ़िएगा भारत में कुल 37,413 रेप के केस दर्ज किए गए है जिनमें से 32,187 मामले है ऐसे जिनमें आरोपी पीड़िता को जानने वाला है. यह आंकड़ा कुल दर्ज रेप के मामले का 86 फीसदी है. 2013 में आंकड़ा 94 प्रतिशत था जबकि 2012 में 98 प्रतिशत था. आपको जानकर हैरानी होगी कि 674 मामलों में रेप का आरोपी परिवार का ही कोई सदस्य है जैसे दादा, नाना, पापा या फिर भाई आदि. इनमें से 966 ऐसे मामले हैं जिनमें परिवार के ही किसी खास सगे-संबंधी पर आरोप है. वहीं 2217 मामले रिश्तेदारों पर दर्ज हैं. इनमें से 8,344 ऐसे मामले हैं जिनमें आरोपी पीड़ित का पड़ोसी है. 618 मामले सहकर्मियों पर दर्ज हैं और 19,368 मामलों में आरोपी कोई और है.  महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून भी आए लेकिन क्या सिर्फ कानून के डर से इस क्राइम पर लगाम लगाया जा सकता है? जो तथ्य सामने आए हैं वे तो और भी शर्मिंदा करने वाले हैं. लोग अपनी बहू-बेटियों के लिए चिंतित रहते हैं. कई बार कहते हुए भी सुना जाता है कि हमारे घर की बेटिंया बाहर सुरक्षित नहीं है. लेकिन ये आंकड़े तो कुछ और ही कह रहे हैं. यहां तो महिलाएं घर में ही सुरक्षित नहीं है. अब ऐसे में एक बड़ा सवाल यहां पर यह भी उठता है कि आखिर सड़कों पर असुरक्षित तो हैं ही लेकिन जब घर ही असुरक्षित हो तो कहां जाएंगे?

6 साल की बच्ची से लेकर 60 साल तक की महिला से रेप

अक्सर ही यह हमारे नेता यह बयान देते सुने जाते हैं कि लड़किया छोटे कपड़े पहनती हैं जिसकी वजह से उनके साथ रेप होता है. ये ताजा आंकड़े ऐसे लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है. रेप के इन मामलों में 597 ऐसे रेप के ऐसे मामले दर्ज हैं जिनमें पीड़िता छोटे कपड़े पहनने वाली लड़की नहीं बल्कि 6 साल से कम उम्र की बच्चियां हैं. वहीं 1491 मामलों में पीड़िता 6-12 साल की लड़कियां हैं. 5,635 मामलों में पीड़िता 12 से 16 साल की हैं. 6,862 ऐसे केस दर्ज हुए हैं जिनमें विक्टिम 16 से 18 साल की लड़किया हैं. 16,520 मामलों में 30-45 साल की पीड़ित महिलाएं हैं. आगे जो आंकडा पढ़ने वाले हैं वो तो बेहद डरावने हैं और यह साबित करते हैं कि जब हवस का भूत सवार होता है तो उसे उम्र का ख्याल नहीं रहता. 690 ऐसे रेप के मामले हैं जिनमें पीड़िता 45 से 60 साल की महिलाएं हैं. इतना ही नहीं 90 ऐसे मामले भी हैं जिनमें विक्टिम 60 साल से ज्यादा यानि वरिष्ठ महिलाएं हैं. क्या ऐसा कभी होगा जब इस देश की बच्चियां और महिलाएं अकेले घर से बाहर सुरक्षित महसूस करेंगी? क्या ऐसा कभी होगा जब हम और आप अपनी बेटी, बीवी, बहन की सलामती को लेकर फिक्रमंद नहीं होंगे? और क्या कभी ऐसा दिन आएगा जब देश की सरकार और विपक्ष अपने वायदों पर खरे उतरेंगे? सबसे अहम सवाल ये है आखिर दोषी कौन? सरकार.. समाज.. कपड़ें या आपकी गंदी सोच? और सबसे अहम इसका समाधान क्या?

 

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