शिक्षामित्रों को मोदी ने रास्ता निकालने का दिया भरोसा, सुसाइड न करने की अपील

लखनऊ। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे में शिक्षामित्रों की परेशानी भी सुनी और उन्हें ये भरोसा भी दिलाया कि यूपी के साथ मिलकर केंद्र सरकार इस मामले में कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेंगे। मोदी ने कहा कि यूपी सरकार से उन्होंने जानकारी चाही थी। सूबे की सरकार ने बताया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऑर्डर की कॉपी अभी तक नहीं मिली है। कॉपी मिलने के बाद यूपी सरकार से इस मुद्दे पर चर्चा होगी। उन्होंने शिक्षामित्रों से अपील की कि वे संयम और धैर्य रखें। इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में बीटीसी पास करने वाले शिक्षामित्रों का मामला नेशनल काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को सौंप दिया।
पीएम ने कहा कि यूपी सरकार भी शिक्षामित्रों की नौकरी बनाए रखने के लिए गंभीर है। उन्होंने डीरेका ग्राउंड से अपील करते हुए कहा कि यूपी सरकार को थोड़ा सा वक्त दीजिए। कोई न कोई रास्ता जरूर तलाश किया जाएगा। इससे पहले दोपहर में मोदी ने शिक्षामित्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात भी की थी। मोदी ने वहां भी उनसे संयम बनाए रखने को कहा था और भरोसा दिलाया था कि केंद्र सरकार भी उनकी नौकरी पर आए संकट को लेकर चिंतित है। मोदी ने प्रतिनिधियों से कहा था कि अपने साथियों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने से वे रोकने की हर हाल में कोशिश करें।
आप भविष्य के निर्माता हैं, मत करें आत्महत्या
दोपहर को शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने के बाद शाम को डीरेका मैदान में हुई जनसभा में भी पीएम मोदी ने शिक्षामित्रों से गुजारिश की कि वे किसी सूरत में आत्महत्या जैसा कदम न उठाएं। उन्होंने कहा कि आप भविष्य के निर्माता हैं। ऐसे में अगर खुद की जान देने लगेंगे, तो देश का भविष्य भला कैसे उज्ज्वल होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों की दिक्कत दूर करने की हर संभव कोशिश करने में केंद्र की सरकार यूपी सरकार के साथ मिलकर काम करेगी।
एनसीटीई करेगा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीटीसी पास करने वाले शिक्षामित्रों का मामला एनसीटीई को सौंप दिया है। अब एनसीटीई तय करेगा कि बीटीसी करने वाले युवा शिक्षामित्र बनने के लिए जरूरी अर्हता वाले हो गए थे या नहीं। यानी एनसीटीई अब ये तय करेगा कि जिन युवाओं को शिक्षामित्र चुनने के बाद यूपी सरकार ने बीटीसी कराया, उन्हें इस योग्यता की वजह से नौकरी पर बने रहने का हक है या नहीं।
क्या है मामला
बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में शिक्षामित्रों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि शिक्षामित्र इस पद के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते और नियम-कायदों का उल्लंघन करते हुए यूपी सरकार ने इन्हें नौकरी दी है। अदालत के इस फैसले के बाद सूबे में आठ शिक्षामित्रों की जान आत्महत्या और हार्टअटैक की वजह से चली गई थी। कई और बीमार होकर अस्पतालों तक पहुंच गए थे। इसके अलावा यूपी के तमाम जगह उन्होंने जोरदार प्रदर्शन भी किए थे। यूपी सरकार ने इस पर ये एलान किया था कि वह जान गंवाने वाले शिक्षामित्रों के घरवालों को पांच-पांच लाख रुपए का मुआवजा देगी।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]