सपा को लात मारकर भाजपा में आए पूर्व मंत्री

डॉ. विनोद तिवारी ने 80 के दशक में अपनी राजनीति की शुरूआत कांग्रेस की युवा राजनीति से शुरू की थी। एक अर्से तक वो कांग्रेस में ही रहे। 1980 में पहली बार विधायक बने। उसके बाद जब उनका टिकट कटा तो 1989 में जनता दल से चुनाव लड़े और चुनाव हारे। फिर मन बना लिया समाजवादी पार्टी का। उसके बाद मन बदला और भाजपा में शामिल हो गए। 14वीं विधानसभा में विधायक बनने के बाद भाजपा सरकार में राज्यमंत्री बने। फिर मन बदला और लोकसभा चुनाव 2009 में बसपा में शामिल हो गए। बसपा ने लोकसभा चुनाव भी लड़ाया। वहां भी उनका मन नहीं लगा। कुछ दिन के लिये फिर से कांग्रेस में आ गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से सपा में शामिल हुए। लेकिन नेता जी को फिर चुनाव के समय गोता मारने की आदत के कारण पार्टी बदलने की सोची। इस बार जब कोई और पार्टी नहीं बची, तो दोबारा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।

नेता जी के भाजपा में शामिल होते ही अब भाजपा खेमे में हलचल हो गयी है। इनके आने के बाद जनपद की दो विधानसभा सीटों के समीकरण बदल सकते हैं। या तो यह शहर विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे या फिर बरखेड़ा विधानसभा से। देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा टिकट देने में इन पर कितना भरोसा दिखाती है।
जब विनोद तिवारी से मीडिया ने सवाल पूछा कि आप बार-बार पार्टी क्यों बलदते हैं, तो बोले कि मेरा लगातार पार्टी चेंज करने का कोई मतलब नहीं है। मैं जनता का विकास कराना चाहता हूं और जहां लगता है कि विकास करा सकता हूं, वहीं जाता हूं। मैंने कभी विपक्ष से सत्तापार्टी में जाने का काम नहीं किया। इस वक्त भी समाजवादी पार्टी की सरकार है। मैं उसे लात मारकर बीजेपी में आया हूं।

डॉ. विनोद तिवारी ने कहा कि मेरे ऊपर आजतक कोई आरोप नहीं रहा कि किसी की जमीन हड़पी हो या कोई और आरोप हो। मैं भाजपा में रहकर विकास करा सकता हूं इसलिये मैंने पार्टी ज्वाइन की है। टिकट के मामले पर बोले कि भाजपा जहां से कहेगी वहां से चुनाव लडूंगा और अगर कहती है कि संगठन में काम करो, तो वह करूंगा।
देखें वीडियो
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]