सरकार : सिर्फ एक शब्द

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श्यामल कुमार त्रिपाठी
सरकार चाहे दिल्ली की, चाहे उत्तर प्रदेश की चाहे राजस्थान, मध्य प्रदेश की या अन्य और किसी प्रदेश की। यह सिर्फ और सिर्फ एक शब्द बनकर रह गया है। या यूं कहें कि पीड़ादायी शब्द बन कर रह गया है। हर प्रदेश को अपनी सरकार मिली हुई है और इन सरकारों को देश की एक सरकार मिली हुई है, लेकिन हर प्रदेश की सरकारें अपने एक सरकार के साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ सरकार सरकार का खेल खेल रहे हैं। देश में बेमौसम बरसात, ओलावृष्टिï और हालिया तौर पर बिहार एवं अन्य कई क्षेत्रों में आए तूफान ओर भूकंप ने जहां कईयों को जमींदोज कर दिया तो लाखों को बेघर भी, लेकिन ये सरकारें जनता का दर्द कम करने के बजाय सरकार सरकार का खेल खेलने में लगी हुई हैं। एक तरफ जहां देश के हर कोने से हमारे अन्नदाता के आत्महत्या की खबरें आ रही हैं वहीं इन अन्नदाताओं की आत्महत्याओं को भी हमारी सरकारें सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए प्रयोग कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में भी सैकड़ों किसानों ने मौत को गले लगा लिया। और सरकार कहती है कि हमारे प्रदेश में किसी भी किसान ने खुदकुशी नहीं की। वहीं कभी-कभी केंद्र सरकार इन मुद्दों को लेकर थोड़ी सजग दिखती है तो तत्काल ही उसके कुछ मंत्री इन्हीं मुद्दों पर ऐसे बोल बोल देते हैं जो सिर्फ और सिर्फ पीड़ा पहुंचा सकती हैं मरहम नहीं लगा सकतीं। हरियाणा के एक मुख्यमंत्री ने बेहयाई का परिचय देते हुए खुले मंच से यह तक कह दिया कि जो किसान आत्महत्या कर रहे हैं वह कायर हैं। सही बात है वह किस तकलीफ से इस कायरता को स्वीकार कर रहे हैं इससे माननीय मंत्री जी को कुछ नहीं लेना-देना। उन्हें तो बस एक मंच मिल गया और उस मंच पर उन्हें लोगों के बीच कुछ बोलना है तो कुछ अच्छा बोलने के बजाय विषवमन कर देते हैं। कुछ दिन पहले नेपाल में भूकंप का तांडव देखने को मिला। हमारे केंद्र की मोदी सरकार ने जिस तेजी और तन्मयता के साथ नेपाल के जख्म पर मरहम लगाने का कार्य किया उससे हर देशवासी का सीना चौड़ा हुआ, लेकिन यही केंद्र की मोदी सरकार अपने देश के अंदर मर रहे अन्नदाताओं के जख्मों पर मरहम लगाने में विफल हो गई। ऊपर से कांग्रेस के युवराज जो गत्ï 11 वर्षों से राजनीति में अपनी जमीन तलाश रहे हैं वह भी किसानों की इस तकलीफ को सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति के लिए ही हमदर्दी का अमली जामा पहना रहे हैं। दस साल तक कांग्रेस की सरकार रही और उन दस सालों में भी हजारों किसानों ने खुदकुशी की। तब कांग्रेस को युवराज को उनकी तकलीफ नहीं दिखाई दी। जनाब अब तो यह सरकारें जनता के लिए नहीं हैं। यह सरकारें सिर्फ और सिर्फ या तो राजनीति करना जानती हैं या इनके मंत्री अथाह भ्रष्टïाचार करना जानते हैं। सरकार तो अब एक शब्द बन कर रह गया है। एक ऐसा शब्द जो हर किसी के जेहन को सिर्फ और सिर्फ पीड़ा पहुंचा रहा है। प्रधानमंत्री जी आखिर आपको देश की जनता और देश के अन्नदाता की पीड़ा क्यों नहीं दिखाई दे रही। आजादी के बाद पहली बार जनता ने दिल से किसी व्यक्ति और किसी पार्टी पर अथाह विश्वास जगाया है। आखिर क्यों इनके विश्वास को तोड़ा जा रहा है। आखिर कब तक हमारा अन्नदाता यूं ही मौत को गले लगाता रहेगा। मोदी जी कुछ तो करो। आपका सीना 56 इंच का है या नहीं है इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। जनता आपके सीने में अपने प्रति एक दिल की आस लगाए बैठी है।

 

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