सुरक्षा परिषद में भारत की एंट्री रोकने के लिए चीन ने रिश्वत दी?

bharatतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व प्रेजिडेंट जॉन एशे को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद भारत के इस संदेह को और बल मिला है कि सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को लटकाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों को पैसे दिए जा रहे हैं । जॉन एशे पर चीनियों से रिश्वत लेने का आरोप है।

इस महीने की शुरुआत में ऐंटिगुआ और बारबुडा के पूर्व दूत जॉन एशे पर अमेरिकी अटॉर्नी अधिकारी प्रीत भरारा ने चीनी कारोबारियों और अधिकारियों से 13 लाख डॉलर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। जॉन एशे को यह रकम मकाउ में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित कॉन्फ्रेंस सेंटर के समर्थन के लिए दी गई थी।

प्रीत भरारा ने यह आरोप भी लगाया है कि चीन के नागरिकों ने जॉन एशे को ऐंटिगुआ में उनके कारोबार के लिए लाखों डॉलर दिए। हालंकि इस रिश्वत प्रकरण से जुड़ी बहुत कम बातें अभी सार्वजनिक की गई हैं लेकिन इतना समझने के लिए यह काफी है कि चीन किस तरह से संयुक्त राष्ट्र के कामकाज को प्रभावित कर रहा है।

भारत की दिलचस्पी इस दावे में ज्यादा है कि जॉन एशे को चीनी हितों के संरक्षण के लिए यह रकम दी गई थी। इसी के तहत भारत का यह मानना है कि इसका संबंध सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया से भी है। चीन शुरू से इस सुधार का विरोध करता रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मैनहट्टन के अटॉर्नी प्रीत भरारा ने जॉन एशे की गिरफ्तारी के बाद कहा कि जांच के बाद और भी आरोप लगाए जा सकते हैं और अधिकारी इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में करप्शन का किस कदर दखल है?

 

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