हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- दर्ज मुकदमों को इंटरनेट पर अपलोड करने में क्या है परेशानी

इलाहाबाद। प्राथमिकियों को इंटरनेट पर अपलोड करने की मांग में दायर एक जनहित याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर प्रदेश सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। सरकार और पुलिस विभाग को इस याचिका पर 19 नवंबर 2015 तक जवाब हाईकोर्ट को देना है। यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा कि खंडपीठ ने यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया की जनहित याचिका पर दिया है। इस याचिका पर कोर्ट 19 नवंबर को सुनवाई करेगी।
प्रदेश में दर्ज सभी प्राथमिकियों को इंटरनेट पर अपलोड करने की मांग यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया कि तरफ से की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे पुलिस और जनता के बीच कार्यों में पारदर्शिता बनी रहेगी। यह भी कहा गया है कि दर्ज प्राथमिकियों को इंटरनेट पर अपलोड करने से जनता किसी के बारे में उसके खिलाफ दर्ज केस की जानकारी ले सकती है।
इस मामले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगने से पूर्व कोर्ट का प्रथम दृष्ट्या विचार था कि सभी दर्ज मुकदमों को इंटरनेट पर अपलोड करने से नुकसान भी हो सकता है। क्योंकि उच्च प्रतिष्ठित पदों पर काम कर रहे अच्छे लोगों की छवि खराब करने की नियत से कुछ लोग गलत मुकदमा भी दर्ज करा देते हैं। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में सरकार का रुख जानने के लिए 19 नवंबर तक जवाब मांगा है। यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा कि खंडपीठ ने यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया की जनहित याचिका पर दिया है।
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