हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने पूर्व रॉ चीफ के बयान को बताया झूठ

as-dulatतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने रिसर्च ऐंड अनैलेसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख एएस दुलात के बयान को आधारहीन बताया है। दुलात ने कहा था कि हिज्बुल के चीफ सैयद सलाउद्दीन ने अपने बेटे के मेडिकल कॉलेज में ऐडमिशन के लिए IB के एक वरिष्ठ अधिकारी से सिफारिश की थी। संगठन ने कहा है कि यह उनके ‘आजादी के संघर्ष’ को बदनाम करने की साजिश है।
सलाउद्दीन के बेटे डॉ. वाहिद ने दुलात के आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात कहा है और कहा है कि यह उनके पिता की छवि को धूमिल करने की साजिश है। वाहिद का दावा है कि वह अपने मेरिट के दम पर सिलेक्ट हुए थे। वाहिद ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा कारणमों से सिर्फ जम्मू कॉलेज से श्रीनगर कॉलेज में शिफ्ट होने के लिए मदद ली थी।
हिज्बुल के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने कहा कि सलाउद्दीन ने कभी भी किसी सरकारी अधिकारी से संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘ये बातें आम आदमियों के साथ ही आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों के दिमाग में भ्रम पैदा करने के लिए कही गई हैं।’ हाशमी ने आगे कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोग जानते हैं कि भारतीय खुफिया एजेंसियां आजादी के संघर्ष को कमजोर करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।’ वहीं, वाहिद ने कहा, ‘इन आरोपों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है कि मेरे पिता ने जम्मू-कश्मीर की सरकार से किसी मदद की गुहार की थी। या तो मिस्टर दुलात को गलत जानकारी है या उनका दिमाग फिर गया है।’ वाहिद का कहना है, ‘मैंने जम्मू कॉलेज में ऐडमिशन लिया था। आतंकी पृष्ठभूमि होने की वजह से जम्मू में सुरक्षा की आशंकाएं थीं। मेरा डर सच साबित हुआ। सुरक्षा जांच के नाम पर मुझे प्रताड़ित किया जाता था। मैं क्लास और लैब छोड़ने पर मजबूर हो गया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे परिजनों ने चिंतित होकर BOPEE अधिकारियों से बात की, उन्होंने लाचार होने का बहाना बनाया। कोर्ट ने कहा कि माइग्रेशन नियमों के खिलाफ था। मैंने सीट छोड़ने का फैसला कर लिया था। हालांकि, तब मेरे परिजनों ने सरकार से मदद को कहा और उन्होंने राजनीतिक विनम्रता दिखाते हुए मुझे माइग्रेशन में मदद की।’ वाहिद की बात के समर्थन में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के उनके बैचमेट भी आए हैं। उनके बैचमेट्स ने कहा है कि MD के एंट्रेंस टेस्ट में वाहिद ने IAS टॉपर शाह फैजल से अच्छी रैंक हासिल की थी। वाहिद का कहना था कि उनके चार भाई-बहनों में से सिर्फ वही नियमित सरकारी नौकरी में है और वह अपने पिता के आतंकवाद जॉइन करने से काफी पहले ही नौकरी जॉइन कर चुके थे।

 

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