अब दूसरे रूसी जासूस को भी क्‍या गद्दारी की दी गई सजा?

लंदन। एक पूर्व रूसी जासूस को किसी अज्ञात संदिग्‍ध चीज के संपर्क में आने की वजह से गंभीर हालत में अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है. विल्टशायर पुलिस ने कहा कि 60 से ज्यादा की उम्र का एक पुरुष और 30 साल से ज्यादा उम्र की एक महिला रविवार दोपहर सेलिसबरी शहर के माल्टिंग्स शॉपिंग सेंटर में एक बेंच पर बेसुध पड़े मिले. दोनों के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं थे. सुरक्षा अधिकारी क्रेग होल्डन ने कहा कि हो सकता है कि दोनों एक दूसरे को जानते हों. दोनों की ही हालत गंभीर बनी हुई है.

डीप कवर स्‍लीपर एजेंट
यह मामला इसलिए बड़ा है क्‍योंकि पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल(66) उन चार रूसी लोगों में से एक है जिसे 2010 में मॉस्को ने अमेरिका में 10 डीप कवर ‘स्लीपर’ एजेंट के तौर पर बदला था. उसके बाद इसे ब्रिटेन में शरणार्थी का दर्जा दे दिया गया था. स्क्रिपल रूसी सैन्य खुफिया अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए थे. उन्हें ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में रूस ने 2006 में 13 साल के जेल की सजा सुनाई थी.

अलेक्‍जेंडर लिटविनेंको
इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर 2006 का अलेक्‍जेंडर लिटविनेंको का किस्‍सा लोगों को याद आ गया है. पूर्वी रूसी जासूस अलेक्‍जेंडर लिटविनेंको को भी ब्रिटेन में ऐसे ही अज्ञात संदिग्‍ध चीज के संपर्क में आने के बाद अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था, जहां तीन हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई. अलेक्‍जेंडर को भी रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का विरोधी माना जाता था क्‍योंकि वह उनके शासन के मुखर विरोधी थी. ऐसे में दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों की शक की सुई रूस की तरफ घूमी थी. कहा जाता है कि उनको पोलोनियम-10 जहर दिया गया. यह एक ऐसा रेडियोऐक्टिव पदार्थ है जिसके बारे में पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में भी पता लगाना मुश्किल होता है.

सर्गेई स्क्रिपल
2006 में सर्गेई को उस वक्‍त पकड़ा गया सेना से रिटायर हो चुके थे. वह रूसी सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस में कर्नल थे. उन पर आरोप था कि वह 1990 से ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी को यूरोप में मौजूद रूसी खुफिया एजेंट्स की जानकारी उपलब्‍ध करा रहे थे. इसके बदले में उनको लाखों डॉलर दिए गए. 2006 में मामला उजागर होने के बाद उनको पकड़कर जेल में डाल दिया गया. उसके बाद जब रूस और अमेरिका ने जासूसों की अदला-बदली की तो 10 रूसी जासूसों के बदले में उनको भी छोड़ दिया गया. कहा जाता है कि उनको छुड़ाने में ब्रिटेन का हाथ रहा. उसके बाद वह ब्रिटेन चले आए, जहां उनको शरणार्थी का दर्जा दिया गया.

 

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