इतने ‘बुरे लोग’ आपके लिए ‘अच्छे दिन’ कैसे लाते !

उर्मिलेश

कठुआ से उन्नाव तक जो कुछ होता दिख रहा है, इसे क्या कहें, कैसे समझें? क़ानून का राज, ‘रामराज्य’ या जंगलराज! इसे कैसे परिभाषित करें? ‘अच्छे दिन’, बुरे दिन, खराब दौर या ‘बलात्कार-हत्या का राष्ट्रवादी दौर’! जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक बच्ची को धार्मिक परिसर में जबरन बंद कर कई दिनों तक बलात्कार किया गया। फिर उसकी हत्या कर लाश बगल के जंगल में फेंक दी गई। मामला जब सामने आया तो एक ‘राषटृवादी मोर्चा’ बन गया! ‘भगवा’ के साथ तिरंगा झंडा लेकर बलात्कार के आरोपियों के बचाव में धरना प्रदर्शन किये गये। संयोगवश, इस इलाके में आजकल भाजपा का दबदबा है। निर्वाचित प्रतिनिधि गण भी इसी दल के हैं!

अभी दो दिन पहले पुलिस जब बलात्कार और हत्या के आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने जा रही थी तो ‘राष्ट्रवादी वकीलों’ की उत्तेजित भीड़ ने उसे रोकने लिए हंगामी प्रदर्शन किया।
यूपी के उन्नाव में गैंगरेप के गंभीर मामले के बाद उस नृशंसता की शिकार बताई गई बच्ची के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है। बच्ची और उसके परिवार को न्याय देने की बजाय पुलिस ने अपराध की शिकायत करने और न्याय मांग रहे पिता को ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी और सत्ताधारी दल के दबंग विधायक के आदेश पर ऐसा किया। बताते हैं, बलात्कार के आरोपियों ने बच्ची के पिता को बुरी तरह पीटा। फिर पुलिस बुला कर गिरफ्तार करा लिया!

बलात्कार और हत्या के ऐसे-ऐसे मामलों के प्रकाश में आने के बीच कुछ राषटृवादी सरकारें कुछ राष्ट्रवादी नेताओं पर लंबित बलात्कार और दंगे के संगीन मामलों को भी वापस ले रही हैं! UP MLa1ऐसी नृशंस घटनाओं से पूरा समाज सिहर गया है।

उन्नाव में ‘ये राष्ट्रवादी’ अपने ‘बहादुर और लोकप्रिय’ विधायक को अब भी बचाने में लगे हैं! यह सही है कि जजमेंट न्यायालय देगा, हम, आप या सरकार नहीं! पर ऐसे मामलों में कानून बड़ा साफ है। आरोपियों को तत्काल हिरासत में लेकर विधिसम्मत कारवाई शुरू कराना शासन और उसकी सम्बद्ध एजेंसियों का काम है। अपनी इस बुनियादी जिम्मेदारी को निभाने में यूपी शासन पूरी तरह फेल साबित हो रहा है! प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए बच्ची के परिजनों को न्यायालय जाना पड़ा। अब भी कुछ अहम आरोपी छुट्टा घूम रहे हैं! क्या इसलिए कि इस मामले के सबूत और गवाहों को मिटाया या पटाया जा सके!
इतने ‘बुरे लोग’ आपके लिए ‘अच्छे दिन’ कैसे लाते!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से)

 

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