उन्नाव: बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री ने दिया एकजुटता का संकल्प
उन्नाव: बार एसोसिएशन में लगभग हर दूसरी बार चुनाव लडकर 6 बार से ज्यादा अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वाले सतीश शुक्ला के एकछत्र वर्चस्व को समाप्त कर पूर्व महामंत्री राम शंकर यादव ने ऐतिहासिक विजय प्राप्त की और अधिवक्ताओं को पुनः एकजुटता के धागे में पिरोने का संकल्प लिया।
उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सतीश शुक्ला को 51 मतों से पराजित किया। वहीं महामंत्री पद पर जितेंद्र सिंह भारी मतों से विजयी हुए। रामशंकर यादव को कुल 528 मत प्राप्त हुए। जबकि सतीश शुक्ला को इस बार महज 477 वोटों से ही संतोष करना पडा। गिरीश मिश्रा को 175 मत प्राप्त हुए. जबकि राम प्रताप मिश्रा अंतिम स्थान पर रहे।
विदित हो कि पिछले कुछ वर्षों में अधिवक्ताओं में दरार उत्पन्न हुई है। चुनावी प्रतिद्वंदिता के चलते अधिवक्ताओं में बैर भाव उत्पन्न हुआ है। इस संबंध में नवनिर्वाचित अध्यक्ष रामशंकर यादव ने कहा कि उनका भरसक प्रयास रहेगा कि सभी अधिवक्ताओं को बराबर सम्मान मिले व समस्त बैर भाव समाप्त कर वह अधिवक्ताओं को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास करेंगे।
वहीं महामंत्री पद के लिए जीतेंद्र कुमार सिंह ने एकतरफा विजय हासिल की। नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष जय कृष्ण बाजपेयी, अमित कुमार रावत, ईशान त्रिपाठी, रणंजय सिंह व अन्य अधिवक्ताओं ने बधाई दी।
पहले राउंड से ही कायम रखा दबदबा उन्नाव। यूं तो पूर्व अध्यक्ष सतीश शुक्ला हर बार लगभग आधे मत प्राप्त कर लेते थे लेकिन इस बार अधिवक्ताओं की परिवर्तन की चाह के चलते रामशंकर यादव ने पहले राउंड से ही दबदबा कायम रखा। पहले राउंड में उन्हें 47 जबकि शुक्ल को 33 मत ही मिले। यह अंतर 12 वें राउंड तक बढता ही गया और यादव की जीत सुनिश्चित होती गई।
सबको मिलना चाहिए मौका- श्रीनाथ त्रिपाठी
अधिवक्ताओं में चर्चा रही कि नेतृत्व का अवसर सभी को मिलना चाहिए। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने भी नसीहत दी थी कि अगली पीढी को भी आगे आने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा था कि वाराणसी में तो एक बार अध्यक्ष होने के बाद दोबारा लोग चुनाव नहीं लडते। उन्नाव के अधिवक्ताओं के विचार भी इस बार श्री त्रिपाठी से मेल खाए।
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