केजरीवाल से ‘जंग’, ये दिग्गज हुए ‘शहीद’, इन नेताओं को मिली ‘मौत’!

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता राज्यसभा जाएंगे. जैसे ही इन तीनों के नाम पर मनीष सिसोदिया ने मुहर लगाई, वैसे ही पार्टी के अंदर घमासान शुरू हो गया. कुमार विश्वास अपने बागी तेवर के साथ सामने आए. उन्होंने आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि कुमार विश्वास बोले कि युद्ध का एक नियम होता है, शहीदों के शव से छेड़छाड़ नहीं की जाती है. आपकी (अरविंद केजरीवाल) इच्छा के बिना वहां पर कुछ होता नहीं है, आपसे असहमत रहकर दल में जीवित रहना काफी मुश्किल है. साथ ही विश्वास बोले कि अरविंद ने कहा था मारेंगे पर शहीद नहीं होने देंगे.

अब कुमार विश्वास ‘शहीद’ होते हैं या ‘मार’ दिए जाते हैं, यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन आम आदमी पार्टी में किनारे लगा दिए गए नेताओं की संख्या कम नहीं हैं. आम आदमी पार्टी में कई पुराने नेता बगावत कर चुके हैं. केजरीवाल का साथ छोड़कर जा चुके नेताओं में पार्टी के कई संस्थापक सदस्य भी शामिल हैं. आम आदमी पार्टी में पहले भी ‘गृहयुद्ध’ हुए, जिनमें कई नेताओं को विरोध करने पर अरविंद केजरीवाल ने खुद निकाला, इस वजह से उन्हें ‘शहीद’ का दर्जा मिल गया. वहीं किसी को पार्टी से बेइज्जत करके यानी ‘मारकर’ निकाला गया. इसके बाद उन नेताओं ने खुद ही इस्तीफा दे दिया और दूसरी पार्टी के करीब पहुंच गए. आइए जानते हैं कौन थे वो आप के पूर्व नेता जो ‘शहीद’ हुए या जिन्हें ‘मौत’ हासिल हुई.

यह हुए शहीद

शांति भूषण

आम आदमी पार्टी को सबसे पहले चंदा देने वाले पूर्व कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शांति भूषण थे. शांति भूषण ने पार्टी की स्थापना पर 1 करोड़ रुपए का चंदा दिया था. हालांकि, 2014 से ही उनका आप से मोहभंग हो गया था. उन्होंने केजरीवाल पर अनुभवहीन, दिल्ली विधानसभा चुनावों में टिकट बंटवारे में गड़बड़ी, पार्टी में मनमानी चलाने जैसे कई आरोप लगाए थे. शांति भूषण पार्टी का साथ छोड़ने वाले सबसे पुराने लोगों में से थे.

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण

कभी केजरीवाल के पुराने और मजबूत रणनीतिकार रहे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की आम आदमी पार्टी से विदाई बड़ी हृदय विदारक रही. 2015 के विधानसभा चुनावों के बाद योगेंद्र यादव -प्रशांत भूषण और केजरीवाल के बीच जबरदस्त मतभेद उभरकर सामने आए. हालात ये बन गए कि पार्टियों की बैठकों में नेताओं के बीच गाली गलौज और हाथापाई की नौबत आ गई.

योगेंद्र और प्रशांत भूषण पार्टी से अलग हो गए. दोनों नेता आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे, लेकिन केजरीवाल ने दोनों को पार्टी से बाहर कर दिया. योगेंद्र और प्रशांत ने स्वराज अभियान नाम से एक दल बनाया और दिल्ली में अपनी लड़ाई लड़ने की ठानी. योगेंद्र यादव की अगुवाई में स्वराज अभियान ने एमसीडी चुनावों में भी हिस्सा लिया. लेकिन उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली. राज्यसभा के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद योगेंद्र और प्रशांत ने ट्वीट कर इसे पार्टी का घोर पतन करार दिया.

आनंद कुमार, मयंक गांधी, मेधा पाटकर और अंजलि दामनिया

इसके अलावा अन्ना आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ जुड़े समाजसेवियों ने भी अरविंद के काम करने के तरीके को लेकर आपत्ति जताते हुए पार्टी से किनारा कर लिया. इनमें सोशल एक्टिविस्ट मयंक गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अंजलि दामनिया प्रमुख हैं. समाजशास्त्री आनंद कुमार ने भी योगेंद्र और प्रशांत के साथ ही भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था. वह आम आदमी पार्टी के साथ शुरुआत से जुड़े थे. उन्होंने पार्टी की ओर से उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आप से बाहर निकाला गया.

सामाजिक कार्यकर्ता मयंक गांधी की अरविंद केजरीवाल के साथ साझेदारी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के साथ हुई थी. वह आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल भी रहे. वह महाराष्ट्र में पार्टी प्रमुख भी रहे. उन्होंने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने पर भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने केजरीवाल पर ईमानदारी की राजनीति से पीछे हटने, कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल करके उन्हें छोड़ देने और राजनीति में रुचि खत्म होने का हवाला देकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

पेशे से पैथोलॉजिस्ट रहीं अंजली दमानिया  महाराष्ट्र में आप की संयोजक भी रहीं. वह 2014 में पार्टी की ओर से नागपुर से लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, पर हार गईं. 2015 में अरविंद केजरीवाल पर कांग्रेसी सांसदों को खरीदने का आरोप लगा तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी.

विनोद कुमार बिन्नी, शाजिया इल्मी और कपिल मिश्रा को बेइज्जत कर दी ‘मौत’

कभी दिल्ली में सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर दो करोड़ घूस लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. 2017 की गर्मियों में कपिल मिश्रा और केजरीवाल टीम के बीच जबरदस्त जंग चलती रही. कपिल को कुमार विश्वास का समर्थन हासिल था और संघर्ष धीरे-धीरे बढ़ता गया. बाद में कपिल मिश्रा बीजेपी की ओर खिसकते गए और विवाद मंद पड़ता गया. लेकिन पूरे मामले में चुप्पी साधे केजरीवाल कपिल मिश्रा के लिए सियासी तौर पर साइलेंट किलर साबित हुए. साथ ही कपिल मिश्रा को सस्पेंड कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

केजरीवाल के खिलाफ सबसे पहले बगावती सुर छेड़ने वाले विनोद कुमार बिन्नी ने आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा के खिलाफ सबसे आवाज उठाई और चुनावी मैदान में भी उन्हें चुनौती दी.कभी दिल्ली में केजरीवाल के साथ मिलकर राजनीति करने वाले बिन्नी ने केजरीवाल की पहली सरकार में मंत्री पद न मिलने के बाद बगावती सुर अपना लिए थे. इसके बाद अगले चुनाव के लिए पार्टी की ओर से टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बाद में बिन्नी को पार्टी से निलंबित कर दिया. पार्टी से निकाले जाने के बाद विनोद कुमार बिन्नी और कपिल मिश्रा दोनों का राजनीतिक करियर अच्छा नहीं चल रहा है.

शाजिया इल्मी पत्रकारिता से अन्ना आंदोलन में आई थीं. वो आम आदमी पार्टी के चर्चित चेहरों में से एक थीं. लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद शाजिया ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी बल्कि केजरीवाल पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. इन दिनों शाजिया बीजेपी की सदस्य हैं और केजरीवाल की आलोचना का कोई मौका जाने नहीं देती हैं.

 

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