कोरोना काल में सब कुछ बुरा ही नहीं हो रहा,उस तरफ बस ध्यान नहीं जाता

प्रवीण बागी

बेशक कोरोना ने सबको परेशान कर दिया है।लेकिन कोरोना काल में सब कुछ बुरा ही नहीं हो रहा, बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। लेकिन एक तो सुकून देनेवाली खबरें ठीक से प्रसारित नहीं हो रही हैं और अगर हो भी रही हैं तो हम इतने उलझे हुए हैं कि उस तरफ ध्यान नहीं जाता। यह ठीक है कि कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सुकून वाली बात यह है कि पश्चिमी देशों की तरह यहां इसने अभी जानलेवा रूप धारण नही किया है।

91 फीसदी मरीज सामान्य इलाज से ठीक हो रहे हैं। सिर्फ 4.7 फीसदी मरीजों को ICU में रखना पड़ रहा है। 3.2 फीसदी को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही है और मात्र 1.1 फीसदी मरीज को ही वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। coro

 अन्तराष्ट्रीय स्तर पर 20 फीसदी मरीजों को अस्पताल में विशेष इलाज की जरूरत पड़ रही है। जबकि उनके यहां स्वास्थ्य सेवाएं हमशे काफी बेहतर हैं।
बिहार में जिन 7 मरीजों की मौत हुई है वे अनेक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे और काफी दिनों से उनका इलाज चल रहा था। विशुद्ध कोरोना से उनकी मौत हुई ऐसा नहीं कहा जा सकता।

ये आंकड़े बहुत उत्साह पैदा करनेवाले हैं। इस संकट ने हमारी सदभावनाएं जाग्रत कर दी हैं। इसका उदाहरण गया जंक्शन के कुलियों ने दिया। कोटा से छात्रों को लेकर पहली ट्रेन जब गया स्टेशन पहुंची तो कुलियों ने लपक कर छात्र-छात्राओं का भारी सामान उठाया और बाहर खड़े बसों तक पहुंचाया। इसका कुलियों ने कोई पैसा नहीं लिया। छात्रों ने जब उन्हें पैसा देना चाहा तो उनका जवाब था-बच्चे अपने घर लौटे हैं , उनसे पैसा नहीं लेंगे। बच्चे भी भावुक हो गए। अनपढ़ कुलियों ने इस व्यवहार से बच्चों को सीख भी दी। इसकी जितनी तारीफ की जाये, वह कम है।
एक अन्य घटना बाल्मीकिनगर की है। वहां के एक स्कूल को कोरेन्टीन सेंटर बनाया गया है। उसमें बाहर से आये कुछ मजदूरों को रखा गया था।

स्कूल का भवन और परिसर बुरे हाल में था। मजदूरों ने आग्रह कर चूना मंगवाया और पूरे भवन को चमका दिया। स्कूल परिसर की सफाई कर उसमें फूलों के पौधे लगा दिए। उसे बांस से घेर कर सुरक्षित कर दिया। कल मजदूर चले जायेंगे लेकिन उनका यह योगदान क्या गांववाले कभी भूल सकेंगे? अगर सचमुच आप इंसान हैं तो अपनी सुखद स्मृतियां छोड़ जाइये, जैसा गया के रेल कुलियों और बाल्मीकिनगर के मजदूरों ने किया। कोरोना तो चला जायेगा लेकिन ये स्मृतियां कभी नहीं जायेंगीं।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button