गरीबी मिटाने के लिये नये सिरे से गरीबी रेखा खीचेगी मोदी सरकार !

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने तय ने तय किया है कि देश में नये सिरे से गरीबी रेखा बनाई जाए, इससे गरीबी दूर करने के लिये सरकार की ओर से उठाये जाने वाले कदमों की कामयाबी और उसकी पहुंच पर नजर रखने में मदद मिलेगी। देश में गरीबी रेखा के लिये बनाई गई टास्क फोर्स सालभर तक चली बहस के बाद भी किसी व्यावहारिक और स्वीकार्य उपाय पर एकमत नहीं हो पाई । एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम सिर्फ गरीबी रेखा के मुद्दे पर फोकस करने के लिये जल्द एक विशेषज्ञ कमेटी बनाएंगे।

क्योंकि इस मसले पर ज्यादातर राज्य राजनीति के चलते एक साथ नहीं है। सूत्र का दावा है कि केन्द्र सरकार ने कमेटी की बनावट को अंतिम रुप अभी नहीं दिया है, लेकिन जब भी ये कमेटी बनेगी, उसकी सिर्फ ये पता लगाने की जिम्मेदारी होगी, कि देश में कितने गरीब हैं। Garibi-hataoटास्क फोर्स ने हालांकि गरीबी से जुड़े सोशल सेक्टर के प्रोग्राम्स की कामयाबी का जायजा लेने के लिये ऑकड़ों के इस्तेमाल को लेकर कुछ सुझाव दिये हैं, इन सुझावों में देश की आबादी में निचले तबके के 40 फीसदी लोगों को गरीब करार देना था।

पीएम मोदी की अगुवाई वाले नीति आयोग की रणनीति में ये बदलाव तब हुआ है, जब अधिकांश राज्यों ने गरीबी के लिये तय न्यूनतम स्तर मानने से इंकार कर दिया है, उनका कहना है कि गरीबी के जो ऑकड़े दिये जाते हैं, वो जमीनी हकीकत वाले ऑकड़ों से मेल नहीं खाते, इसलिये वो सरकार की गरीबी हटाने की योजनाओं की प्रगति का आकलन करने में कारगर साबित नहीं होंगे। किसी भी देश में गरीबी रेखा अहम मानी जाती है, क्योंकि सरकार की ओर से बनने वाली बहुत सी योजनाएं गरीबी रेखा से नीचे रहनेवालों के लिये होती है, अगर गरीबी रेखा को नीचे कर दिया जाता है, तो बहुत से गरीब लोग और परिवार उस सुविधा का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।

लेकिन अगर इस रेखा को उपर कर दिया जाता है, तो इसमें सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा, जो इनमें उपर के स्तर पर होंगे, और जो सबसे ज्यादा गरीब होंगे, वो ग्रोस प्रोसेस का हिस्सा बनने से रह जाएंगे। रंगराजन कमेटी ने यूपीए-2 के आखिरी सालों में देश में 29.6 फीसदी आबादी यानि 36.3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे करार दिया था, PM Modi, नोटबंदीउन्होने तेंदुलकर मेथोलॉजी के हिसाब से तय गरीबी रेखा को ग्रामीण इलाकों के लिये डेली प्रति व्यक्ति खर्च को 27 से बढ़ाकर 32 रुपये और शहरी इलाकों में 33 से बढ़ाकर 49 रुपये कर दिया था।

 

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