गुजरात राज्यसभा चुनाव: BJP-कांग्रेस के बीच भयंकर टक्कर होने से पहले ही कांग्रेस को दिन में तारे दिखने लगे हैं

नई दिल्ली। वुहान वायरस के कारण लंबित राज्यसभा चुनाव अब कभी भी हो सकते हैं। परन्तु कांग्रेस के लिए, विशेषकर गुजरात क्षेत्र वालों के लिए अब ये उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। आजकल कांग्रेस की पार्टी से विधायक ऐसे गायब हो रहे हैं, जैसे गधे के सिर से सींग। अभी हाल ही में तीन कांग्रेसी विधायक – अक्षय पटेल, बृजेश मेरजा और जीतू चौधरी ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया जिसके बाद कांग्रेस ने सौराष्ट्र क्षेत्र के विधायकों को राजकोट के एक रिसॉर्ट में रहने को भेजा गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने ‘‘पार्टी आलाकमान ने विधायकों को अपने काम पूरे करने के बाद शनिवार को आणंदअंबाजी तथा राजकोट के रिसॉर्टों में पहुंचने को कहा था। वे अपने विधानसभा क्षेत्रों की जोन वार स्थिति के आधार पर इन रिसॉर्ट में पहुंच रहे हैं। इनमें से कई पहुंच चुके हैं और बाकी जल्द पहुंच जाएंगे।’’

कांग्रेस पहले ही हाशिए पर थी, पर अब लगता है कि उसके बचे खुचे गढ़ भी ध्वस्त होने वाले हैं जिन्हें कांग्रेस बचाने में जुट गई हैं। पहले तो कांग्रेस को पूरा विश्वास था कि उसके दो सीट तो कहीं  नहीं गए हैं, पर एकाएक पांच विधायकों के इस्तीफा देने से अब लगता है कि वो दो सीट भी पक्की नहीं है।

इसलिए कांग्रेस के लिए गुजरात में  विजय प्राप्त करना अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, यह इसलिए भी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है, क्योंकि यहां से उन्होंने दो कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारा है। एक है शक्ति सिंह गोहिल तो दूसरे हैं भरतसिंह सोलंकी, जिनके पिता माधवसिंह सोलंकी तो काफी समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।

पहले आंकड़ों पर नजर डालते हैं। गुजरात के 4 राज्य सभा सीटों में से तीन पर भाजपा काबिज है और 1 पर कांग्रेस। कांग्रेस को कम से कम 70 वोट की आवश्यकता है, ताकि वह अपने दोनों उम्मीदवारों को राज्य सभा भेज सके, लेकिन एक के बाद एक  इस्तीफा दिए जाने से कांग्रेस की कुल संख्या महज 65 हो चुकी है, जोकि निस्संदेह काफी चिंताजनक बात है।

उधर भाजपा के पास 103 विधायक है, और 10 सीट ख़ाली हैं। ऐसे में भाजपा ने भी मौके पार चौका मारते हुए तीन कद्दावर उम्मीदवार उतारे है – अभय भारद्वाज, रमिलाबेन बारा और नरहरी अमीन। ऐसे में कांग्रेस के लिए दोनों उम्मीदवारों का राज्य सभा सुई को घास में ढूंढने बराबर होगा।

चूंकि भाजपा नेता नरहरी अमीन ने दावा किया था कि कांग्रेस के नेता पार्टी से नाखुश हैं, इसलिए इस्तीफे होने ही होने है, तो अब कांग्रेस ने आरोप लगाना शुरू किया है कि भाजपा विधायक खरीद कर कांग्रेस को तोड़ना चाहती है।

पर भाजपा ना केवल उन आरोपों का खंडन कर चुकी है, अपितु भारतीय आदिवासी पार्टी और एनसीपी के साथ अलग से गठबंधन, क्योंकि उनके पास कुल 3 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए दूसरी सीट जीतना लगभग असम्भव होगा।

यदि  ऐसा हुआ, तो कांग्रेस के लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली बात हो जाएगी, क्योंकि भरतसिंह सोलंकी और शक्तिसिंह गोहिल में से किसी एक को चुनना लगभग असम्भव होगा।

बता दें कि भरतसिंह सोलंकी ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी करीबी माने जाते हैं, और उनका गुजरात के काँग्रेस कार्यकर्ताओं पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। खबरों की माने तो उन्होंने पार्टी हाईकमान को गुजरात में बदलते राजनीतिक समीकरण का हवाला देते हुए स्थिति को सुधारने का आवाहन दिया। फलस्वरूप काँग्रेस की गुजरात इकाई को उन्हें राज्यसभा चुनाव के लिए टिकट देना ही पड़ा।

जब राजीव शुक्ला पीछे हटे थे, तब पार्टी ने ये सोचकर चैन की सांस ली कि अब बला टली, परन्तु यह तो बस प्रारंभ था। अब एक के बाद एक इस्तीफों से कांग्रेस के पास एक ही रास्ता बचा है, या तो सोलंकी को चुनो, या फिर गोहिल को, अन्यथा गुजरात का भी कांग्रेस मुक्त होना तय है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button