जवाहरात के एक ही सेट को कागज पर दिखाकर बार-बार लिया जाता है बैंकों से कर्ज

मुंबई। हीरा उद्योग से जुड़े 12,600 करोड़ रुपए के महा-घोटाले ने देशभर के बैंकिंग सेक्टर में जहां हलचल मचा रखी है वहीं ‘इंडिया टुडे’ की जांच से सामने आया है कि कैसे कीमती रत्न-जवाहरात के एक ही सेट को कागजों पर दिखाकर सरकारी संस्थानों से बार-बार कर्ज लेने का फर्जीवाड़ा किया जाता रहा.

देश के फाइनेंशियल हब माने जाने वाले मुंबई में इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की जांच से सामने आया है कि कैसे कुछ जालसाज हीरा कारोबारी एक ही स्टॉक की शिपिंग बार-बार कागजों पर दिखाकर और उनका मूल्य बढ़ाकर सरकारी बैंकों को चूना लगाते रहे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमानों के मुताबिक भारतीय बैंकों की ओर से रत्न और जवाहरात उद्योग को 11 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है.

इंडिया टुडे की जांच से सामने आया है कि किस तरह अनेक कारोबारी खुले तौर पर बैंक से लिए कर्ज को जोखिम वाले रियल एस्टेट सेक्टर या शेयर बाजार में लगा रहे हैं. देश के बैंकिग सेक्टर को हिला देने वाले पीएनबी घोटाले के केंद्र में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे हीरा कारोबारी हैं, जिन्होंने फर्जी बैंक गारंटी पत्रों को हासिल कर बार- बार कर्ज लिए जबकि पुराने किसी भी कर्ज और चार्ज को नहीं चुकाया.

इंडिया टुडे की जांच से हीरा- जवाहरात उद्योग के ऐसे कई लोग बेनकाब हुए, जो उन तौर-तरीकों से अनजान नहीं हैं जो कथित तौर पर मामा-भांजे (मेहुल चोकसी-नीरव मोदी) ने अपनाए. जांच से सामने आया कि जवाहरात के एक ही स्टॉक को बार- बार दिखाकर कर्ज लेने के इस गोरखधंधे को कारोबार की खास जुबान में ‘पुड़िया घुमाओ’ कहा जाता है. इसमें निर्यात के आंकड़ों को बढ़ा- चढ़ा कर मोटे कर्ज लिए जाते हैं.

इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स के साथ मुंबई में हीरा कारोबारी जे. पटेल ने खुलकर बात की. पटेल ने विस्तार से बताया कि किस तरह कुछ कंपनियां कार्टल (गठजोड़) बनाकर काम करती हैं और एक ही खेप को बार- बार दिखाकर वर्किंग कैपिटल के नाम पर बैंकों से कर्ज लेती रहती हैं. पटेल ने बताया, ‘मान लीजिए कि हीरों की खेप को यहां से निर्यात किया गया. आपको अपनी किताबों में भुगतान (शिपमेंट कर्ज) आना शुरू हो जाता है जब खेप को अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, बैंकॉक या भारत से बाहर कहीं भी भेजा जाता है. निर्यात की गई खेप को तस्करी के जरिए फिर भारत ले आया जाता है. किताबों में कारोबारी यही दिखाने में कामयाब हो जाता है कि विदेशी ग्राहकों पर उसका पैसा बकाया है. हकीकत में विदेश वाली कंपनी भी उस कारोबारी की अपनी ही होती है.’

पटेल के मुताबिक बैंकों से जो नए लोन लिए जाते हैं, उनका इस्तेमाल फिर पुराने कर्ज चुकाने में किया जाता है. जो ओवर- इनवॉयसिंग (बिल में कीमत को बढ़ा कर दिखाना) की जाती है, वो पैसा आराम से उस कारोबारी की जेब में चला जाता है. पटेल ने कहा, ‘बैंकों में ऐसे निर्यात को लेकर दस्तावेज पेश किए जाते हैं और लागत से निपटने को वर्किंग कैपिटल के लिए कर्ज मांगा जाता है. बैंकों को ये नहीं पता चल पाता कि कर्ज के पैसे का इस्तेमाल कारोबारी किस काम के लिए कर रहा है. किताबों में निर्यात से जुड़े ट्रांजेक्शन दिखाकर टर्नओवर लगातार बढ़ता हुआ बताया जाता है. ये सब कागजात पर ही होता रहता है. बैंक कर्मचारी और क्या देखेंगे? सिर्फ किताबों में टर्नओवर ही ना…’

हीरा कारोबारी के मुताबिक इस तरह बैंकों से लिए गए कर्ज का अधिकतर पैसा ब्लैक मार्केट में लगा दिया जाता है और उस पर मोटा ब्याज लिया जाता है. मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स को हीरा कारोबार के केंद्र के तौर पर जाना जाता है. यहां ‘ज्वेल क्रिएशन्स’ के कारोबारी राजेश अनावाडिया से इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने काल्पनिक कारोबारी बनकर बात की तो राजेश ने हीरों की ‘पुड़िया घुमाने’ के जरिए बैंक कर्ज दिलाने की डील करने की पेशकश में देर नहीं लगाई.

राजेश ने कहा, ‘आपकी असली रकम 200 करोड़ है जिसमें 100 करोड़ रुपए की मैन्युफैक्चरिंग लागत दिखाना शामिल है. ये पूरा 200 करोड़ बैठता है. तो आपको भारत, हॉन्गकॉन्ग, दुबई और अमेरिका से 200-200 करोड़ का लोन मिल जाएगा. यानि 200 करोड़ रुपए (मैटीरियल वैल्यू) पर ही 800 करोड़ का लोन मिल जाएगा.’

राजेश ने कंपनी के वैल्यूएशन को बढ़ा- चढ़ा कर पेश करने के लिए वैसे ही हथकंडों का जिक्र किया, वो सुनने में वैसे ही लगते हैं जैसे कि पीएनबी मामले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने कथित तौर पर इस्तेमाल किए. राजेश ने कहा कि इस तरह आप अपने टर्नओवर को बढ़ा कर 20,000 करोड़ तक ले जा सकते हैं. जहां आप रहते हो, वहीं कर्ज को वापस बैंक को चुका दो, बाकी अपनी जेब में रखो.’

राजेश ने एक कदम और बढ़ाकर बैंक से लिए हुए कर्ज को अवैध रूप से रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट में भी लगाने की सलाह दे डाली. राजेश ने कहा, ‘आपने बैंक कर्ज (विदेश में) लिया और उसे हवाला के जरिए भारत पहुंचा दिया. फिर उसे यहां किसी भी कारोबार में जैसे चाहो वैसे लगाया जा सकता है. जो हॉन्गकॉन्ग से हवाला के जरिए पैसा लाया गया उसे किसी भी संपत्ति को खरीदने में इस्तेमाल कर सकते हो. जब भी आप कर्ज को वापस नहीं करना चाहो तो खुद को दिवालिया दिखा दो.’

दक्षिण मुंबई के एक कॉफी आउटलेट में हीरा कारोबारी गौरव चौरसिया ने अंडर कवर रिपोर्टर्स के सामने खुद को फर्जीवाड़े से कर्ज लेने और उनके और जगह निवेश करने के मामलों में एक्सपर्ट बताया. चौरसिया ने दावा किया, ‘कम से कम 30 कंपनियां अलग- अलग नामों और अलग- अलग पैन नंबरों से रजिस्टर्ड करानी होंगी. सब कुछ कागज पर होगा. आपको दिखाने के लिए असली हीरों की जरूरत भी नहीं होगी. RTGS और कैश आएगा-जाएगा. हम आपको 200 करोड़ रुपए की खरीद दिखा देंगे.’

चौरासिया ने बैंक से कर्ज के आवेदन मंजूर कराने के लिए फर्जी बिलों का जुगाड़ करा देने का भी दावा किया. चौरासिया ने कहा, ‘मैं बेस तैयार कर दूंगा जिससे कि आप हीरों पर कर्ज ले सकें. मैं आपके लिए सब कुछ तैयार कर दूंगा. मेरी बैंकों से अपनी सेटिंग है. हम उन्हें कमीशन में 5 फीसदी देंगे.’

साभार: आजतक इण्डिया टुडे

 

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