दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिन्दर सच्चर का निधन, ‘सच्चर कमेटी’ के रहे थे अध्यक्ष

नई दिल्ली। चर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिन्दर सिंह सच्चर का शुक्रवार को एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया. वह 94 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राजिंदर सच्चर छह अगस्त, 1985 से 22 दिसंबर, 1985 तक दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे थे. सच्चर यूपीए सरकार द्वारा मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष थे.

सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति सच्चर को इसी हफ्ते दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक सूत्र ने बताया, ‘‘निमोनिया के साथ सेप्टिक शॉक सिंड्रोम और हृदय संबंधी बीमारी के कारण शक्रवार को उनका निधन हो गया.’’वहीं परिवार के एक मित्र ने बताया, ‘‘न्यायमूर्ति सच्चर का निधन दोपहर करीब 12 बजे हुआ. बढ़ती उम्र संबंधी परेशानियों के कारण उनका इलाज चल रहा था.’’

राजिन्दर सच्चर समिति का गठन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था. समिति की रिपोर्ट को साल 2006 में संसद में रखा गया था. एक पारिवारिक सूत्र ने बताया, ‘‘उन्हें हृदय संबंधी रोग था, कुछ महीनों पहले उन्हें पेसमेकर लगाया गया था. स्टैंट भी लगाया गया था.’’

उन्होंने बताया , ‘‘उन्हें इस हफ्ते की शुरुआत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. वह खाना नहीं खा पा रहे थे, उन्हें उल्टियां हो रहीं थीं. फिर उन्हें निमोनिया हो गया और उनकी मृत्यु हो गई.’’बताया जा रहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश का अंतिम संस्कार लोधी रोड श्मशानघाट में किया जाएगा.

कई मानवाधिकार कार्यक्रमों से जुड़े थे सच्चर

राजिंदर सच्चर ने अप्रैल, 1952 से वकालत की शुरूआत की थी. उन्होंने दिसंबर 1960 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया था. उन्हें फरवरी 1970 में दिल्ली हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश यानि कि एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. इसके बाद जुलाई, 1972 में उन्हें परमानेंट जज बनाया गया. सच्चर अगस्त, 1985 में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए.

दिसंबर 1985 में रिटायर होने के बाद से राजिंदर सच्चर कई सारे मानवाधिकार समूहों और जनहित के कार्यक्रमों का हिस्सा रहे. यूपीए कार्यकाल के दौरान मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी के वे अध्यक्ष रहे थे.

 

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