नहीं काम आई पाकिस्तान की तिकड़म, एफएटीएफ ने आतंकी देशों की ग्रे-लिस्ट में डाला

पाकिस्तान के लिए बुरी खबर है, आतंकवादियों की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने उसे निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया है. इस्लामाबाद की तरफ से अपना पक्ष रखने के लिए अंतरिम वित्त मंत्री शमशाद अख्तर को पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक में भेजा गया था. इस्लामाबाद के खिलाफ ये फैसला संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर लिया गया.

पाकिस्तान ने कार्रवाई से बचने के लिए लगाया था एड़ी चोटी का जोर

इस्लामाबाद ने इस कार्रवाई से बचने के लिए काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया पर लगाम लगाने के मकसद से 26 सूत्रीय कार्यक्रम की पेशकश की थी. जिससे आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोका जा सके. पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो इस्लामाबाद ने पिछले महीने बैंकॉक में हुई एफएटीएफ की बैठक में आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी योजना का ब्लू प्रिंट पेश किया था.

लेकिन पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन जैसे संगठनों के खिलाफ की गई कार्रवाई के सिलसिले में कोई ठोस दलील पेश नहीं कर पाया था. हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ की कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव है. लेकिन पाकिस्तान ने यह कहकर अपना बचाव करने की कोशिश की है कि हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में है.

ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से बच गया पाक

हालांकि, पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैक लिस्ट होने से बच गया है जो उसके लिए थोड़ी राहत की बात है. पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि 37 सदस्य देशों वाले एफएटीएफ का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा. पाकिस्तान का इस निगरानी सूची में बने रहना उसकीअर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका  होगा और इससे अमेरिका के साथ इसके संबंध ज्यादा तनावपूर्ण होंगे.

क्या है एफएटीएफ?

एफएटीएफ एक वैश्विक संस्था है जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए मुहैया कराई जा रही पूंजी और काले धन को वैध बनाने के खिलाफ कदम उठाती है. इसकी स्थापना 1989 में की गई थी. इसमें 37 स्थायी सदस्य हैं. इजरायल और सऊदी अरब पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं.

 

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