बॉल टेंपरिंग : हमारे ‘देवताओं’ से सीखते तो बैन न हुए होते स्मिथ और वॉर्नर

Shailesh Chaturvediशैलेश चतुर्वेदी 

क्रिकेट धर्म है और क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजा जाता है. अपने मुल्क में यह लाइन आप अनगिनत बार पढ़ चुके होंगे. जिन लोगों ने यह लाइन पढ़ी या सुनी है, उन्हें क्रिकेट वाले धर्म और क्रिकेट वाले भगवान या देवताओं के बारे में भी पता है. शायद यह जानकारी स्टीव स्मिथ को नहीं है. अगर वो जानकारी होती, तो वो बैन नहीं होते. जानिए कि उन्हें भारत से क्या सीखने की जरूरत है.

खामोशी सबसे बड़ा हथियार है

क्रिकेटर्स को ध्यान रखना चाहिए कि खामोशी ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल बहुत अच्छी तरह किया जा सकता है. सचिन तेंदुलकर को याद कीजिए. 90 के दशक की शुरुआत से देश में मैच फिक्सिंग की बात होती रही. वो खामोश रहे. हर किसी को लगा कि क्रिकेट करियर के बीच कमेंट करना मुश्किल में डाल सकता होगा. वो रिटायर हुए. फिर भी खामोश रहे. किताब लिख डाली. उसमें भी खामोश रहे. आखिर वो बोले तो तब, जब स्टीव स्मिथ को पकड़ा गया. हालांकि उस ट्वीट में भी उन्होंने कोई स्टैंड नहीं लिया. सिर्फ बताया कि खेल को खेल भावना के साथ खेलना चाहिए. सचिन को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. ‘भगवान’ से भी नहीं सीखेंगे, तो किससे सीखेंगे?

 

Sachin Tendulkar

@sachin_rt

Cricket has been known as a gentleman’s game. It’s a game that I believe should be played in the purest form. Whatever has happened is unfortunate but the right decision has been taken to uphold the integrity of the game. Winning is important but the way you win is more important

अब समझिए कि स्मिथ ने क्या किया. उन्होंने मैच के बीच ही प्रेस कांफ्रेंस में आने का फैसला किया. आते ही ‘गुनाह’ कबूल कर लिया. उसके आमतौर पर कप्तान टेस्ट मैच की पूर्व संध्या और मैच के आखिरी दिन प्रेस कांफ्रेंस में आता है. स्मिथ हड़बड़ी में थे. उन्होंने भारत से कुछ नहीं सीखा. उन्हें मनमोहन सिंह के दस सालों के बारे में बताया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने पूरा दशक बगैर बोले निकाल दिया था. स्मिथ दो दिन नहीं निकाल पाए!

टीम में भी टीम भावना नहीं!

टीम का मतलब ही होता है एक यूनिट. लेकिन यहां भी ऑस्ट्रेलियन हमसे नहीं सीख पाए. याद कीजिए 2008 की घटना, जब हरभजन सिंह ने एंड्रयू सायमंड्स को मंकी या मां की… कह दिया था. तमाम लोग अब भी दावा करते हैं कि कहा तो वही था, जिसके आरोप थे. लेकिन बाद में उसे दूसरे शब्द से बदल दिया गया. वहां टीम भावना देखिए. पूरी भारतीय टीम एकजुट थी. सचिन तेंदुलकर को एक ड्रेसिंग रूम में फिक्सिंग को लेकर कभी कुछ नहीं सुनाई दिया. लेकिन मैदान पर साफ-साफ सुनाई दिया कि हरभजन ने मां की.. बोला.

दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलियन टीम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तेज गेंदबाजों ने स्मिथ, वॉर्नर को लताड़ा कि तुमने ऐसे क्यों किया. लीजिए, जिनके लिए जान दे दी, उन्हीं को दिक्कत है. आखिर वो किसके लिए कर रहे थे. इन्हीं गेंदबाजों के लिए ना.. इससे पहले भी माइक अथर्टन, राहुल द्रविड़ या फाफ ड्यू प्लेसी गेंदबाजों के लिए ही तो कर रहे थे. बल्लेबाज तो टीम भावना दिखाते हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलियन गेंदबाजों को सीखना पड़ेगा.

बोलना ही है तो कुछ ऐसा बोलो, जैसा धोनी ने बोला

चलिए, सचिन तेंदुलकर वाली घटना को काफी साल हो गए. महेंद्र सिंह धोनी से तो सीख ही सकते थे. आईपीएल में फिक्सिंग की बात तो हाल ही में थी. उसमें चेन्नई सुपर किंग्स पर आरोप लगे थे. आरोप गुरुनाथ मयप्पन पर थे, जो श्रीनिवासन के दामाद हैं. धोनी ने साफ मना कर दिया कि उन्हें मयप्पन के टीम मालिक होने का कुछ नहीं पता. उनके मुताबिक गुरुनाथ मयप्पन तो ‘क्रिकेट एंथुजियास्ट’ हैं.

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यहां स्मिथ सीधे-सीधे मीडिया के सामने आए और अपनी गलती या गुनाह कबूल कर लिया. उन्होंने समझने की भी कोशिश नहीं की कि ऐसे मामलों में करना क्या चाहिए. यही गलती एक समय हैंसी क्रोनिए ने की थी. उन्होंने भी गुनाह कबूल कर लिया था. हम सब जानते हैं कि उनके साथ क्या हुआ. …और यह भी जानते हैं कि हमारे जिन क्रिकेटरों ने सार्वजनिक तौर पर गलती नहीं मानी, वे किस-किस ओहदे पर विराजमान हैं.

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भी सीखे बीसीसीआई से

सिर्फ स्मिथ एंड कंपनी को ही सीखने की जरूरत नहीं. जरूरत है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भी सीखे. पिछले साल यूसुफ पठान एक डोप टेस्ट में फेल हो गए थे. पिछले आईपीएल के दौरान मार्च महीने की बात है. अप्रैल में डोप टेस्ट का नतीजा आ गया. बीसीसीआई ने अक्टूबर तक इंतजार किया. प्रोसेस शुरू हुआ. सजा 8 जनवरी को सुनाई गई. वो भी पांच महीने की. ये पांच महीने भी 15 अगस्त से शुरू किए गए. यानी सजा सुनाने के छह दिन बाद बरी! क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने दो तीन दिन के भीतर सब खत्म कर दिया!

काफी साल हो गए. लेकिन कुछ लोगों को याद होगा कि मनोज प्रभाकर और नयन मोंगिया को एक मैच के लिए ड्रॉप किया गया था. याद कीजिए, 24 साल पहले की बात है. वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत के लिए नौ ओवर में 63 रन बनाने थे. दोनों ने मिलकर 11 रन बनाए. इन्हें ड्रॉप किया गया. लेकिन आधिकारिक तौर पर कभी नहीं बताया गया कि क्यों ड्रॉप किया गया है. जांच भी हुई. लेकिन सामने कुछ नहीं आने दिया गया. जो आया, वो सूत्रों के हवाले से आया. या फिर प्रभाकर ने बाद में जो कुछ भी आउटलुक मैगजीन से इंटरव्यू में कहा, उसके हवाले से.

सख्त रवैया अपनाएं, लेकिन कब?

यह सीखना जरूरी है कि क्रिकेट बोर्ड को सख्ती कब अपनानी चाहिए. ऐसा तभी होना चाहिए, जब ‘आपका क्रिकेटर’ उसमें शामिल न हो. स्मिथ का मामला हुआ. सीओए की तरफ से कुछ कहा गया. तुरंत ही आईपीएल से तीनों को हटा दिया गया.

Cricket Australia's CEO James Sutherland speaks to a packed media conference in Melbourne on March 25, 2018, after addressing the issue of Australia's ball tampering charges laid during their cricket Test match against South Africa in Cape Town. / AFP PHOTO / WILLIAM WEST

भले ही आईसीसी ने स्मिथ सहित तीनों क्रिकेटर को सजा दी हो. भले ही क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने और भी सख्त सजा दे दी हो. लेकिन यह मौका तो बनता था, जब हम दिखाएं कि जो भी ‘क्रिकेट की भावना’ के साथ खिलवाड़ करेगा, हम सख्ती से उससे निपटेंगे. अपने बड़े क्रिकेटर्स हों, तो इस भावना को दबा लेना चाहिए.

जांच कमेटी सही हो और उसके सामने दिए जवाब भी

ऑस्ट्रेलिया की दिक्कत यह भी है कि जांच कमेटी भी हड़बड़ी में निकली. भारत में क्रिकेट की तमाम गड़बड़ियों पर जांच कमेटी बनी है. चंद्रचूड़ कमेटी, माधवन की रिपोर्ट, सीबीआई जांच के बाद बनी कमेटी वगैरह… किसी ने भी हड़बड़ी में फैसला नहीं लिया. तहलका टेप्स की मानें तो एक कमेटी के अध्यक्ष ने सचिन तेंदुलकर को बुलाया. उसके बाद उनसे अपने परिवार के लिए ऑटोग्राफ लिए. चाय पिलाई और थैंक्यू बोलकर वापस भेज दिया.

Cricket - South Africa vs Australia - First Test Match - Kingsmead Stadium, Durban, South Africa - March 5, 2018. Australia's David Warner and Steve Smith leave the pitch after beating South Africa. REUTERS/Rogan Ward - RC143BC9ABF0

उस दौर में फिजियोथेरेपिस्ट थे अली ईरानी. उनको भी बुलाया. तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में ईरानी ने कहा है कि उनसे पूछा कि क्या तुम्हारे सामने फिक्सिंग या उससे जुड़ी बात हुई. ईरानी ने इनकार किया, तो अगला सवाल था कि मेरे कंधे में बड़ा दर्द है, क्या करूं. अली ईरानी ने 15-20 मिनट मसाज किया. पैर में दर्द दूर करने के तरीके बताए और फिर वापस आ गए.

कुल मिलाकर एक साल का जो वक्त है, उसमें स्मिथ और वॉर्नर को भारत आना चाहिए. एक कोर्स करना चाहिए कि बेईमानी के आरोप में फंस जाएं, तो उससे डील कैसे करें. ऐसा करके वे बड़े ही खिलाड़ी बनेंगे. हमारे तमाम बड़े खिलाड़ियो की तरह.

 

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