महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली में भी हिंसा करवाना चाहता है जिग्नेश मेवाणी
गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी पुणे के भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपी हैं। उनके खिलाफ पुणे के थाने में दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं। जिग्नेश मेवाणी अब दिल्ली में युवा हुंकार रैली करना चाहते थे। लेकिन, दिल्ली पुलिस ने उनकी रैली की इजाजत नहीं दी। इसे लेकर अब विवाद बढ़ गया है। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का हवाला देते हुए उनकी रैली पर रोक लगाई है। लेकिन, जिग्नेश का कहना है कि वो रोक के बाद भी दिल्ली में युवा हुंकार रैली का आयोजन कर के रहेंगे। ऐसे में रैली को लेकर जिग्नेश समर्थक और दिल्ली पुलिस के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। पार्लियामेंट स्ट्रीट पर इस संभावित हंगामे को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। ताकि किसी भी हालात से निपटा जा सके। ऐसे में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या जिग्नेश मेवाणी महाराष्ट्र की तरह दिल्ली में भी हिंसा कराना चाहते हैं।
वहीं सोमवार की रात ही दिल्ली पुलिस के डीसीपी की ओर से जिग्नेश मेवाणी की प्रस्तावित रैली को लेकर एक ट्वीट किया गया था। डीसीपी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि पार्लियामेंट स्ट्रीट पर जिग्नेश मेवाणी और दूसरे संगठनों की प्रस्तावित रैली की इजाजत नहीं दी गई है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस की ओर से इन संगठनों और आयोजकों को ये भी सलाह दी जा रही है कि वो पार्लियामेंट स्ट्रीट के अलावा किसी दूसरी जगह रैली कर सकते हैं। लेकिन, आयोजक इसके लिए राजी ही नहीं हैं। इन लोगों के सामने ना तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की कोई वैल्यू है और ना ही दिल्ली पुलिस की रोक की। ये लोग सिर्फ और सिर्फ दिल्ली में पुलिस से टकराव चाहते हैं। जबकि पुलिस लगातार टकराव से बचने की कोशिश कर रही है और आयोजकों को समझाने का प्रयास कर रही है। युवा हुंकार रैली के आयोजन में लेफ्ट पार्टियां भी शामिल हैं।
युवा हुंकार रैली के आयोजन में शामिल लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने भी अब दिल्ली पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डीसीपी के ट्वीट पर पलटवार करते हुए लेफ्ट की नेता और जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष रह चुकीं शहला रशीद कहा है कि रैली तो अब वहीं होगी। शहला रशीद ने डीसीपी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है कि डीसीपी सर रैली तो वहीं कराएंगे। दरसअल, जिग्नेश मेवाणी और उसके समर्थन में दूसरे संगठनों ने दिल्ली में रैली का एलान दो जनवरी को ही कर दिया था। लेकिन, युवा हुंकार रैली को लेकर उसी दिन से विवाद शुरु हो गया था। इस बीच पार्लियामेंट स्ट्रीट पर जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ कई पोस्टर लगाए गए हैं। जिसमें मेवाणी को देशद्रोही और नक्सली बताया गया है। इसके साथ ही उसे भगोड़ा भी कहा गया है। इस पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय का कहना है कि हमारे विरोधियों ने इस तरह के पोस्टरों पर काफी पैसा खर्च कर दिया है।
मोहित का कहना है कि रैली तय वक्त और तय जगह पर ही होगी। उधर, पुलिस ने युवा हुंकार रैली को लेकर चेतावनी भी जारी कर दी है कि अगर कोई रोक के बावजूद नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि अगर प्रदर्शनकारी इस ओर आते हैं तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा। तनाव को देखते हुए पार्लियामेंट स्ट्रीट में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके। उधर, जिग्नेश मेवाणी कह चुके हैं कि वो युवा हुंकार रैली के बाद एक हाथ में मनुस्मृति और दूसरे हाथ में संविधान की प्रति लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जाएंगे और उनसे कहेंगे कि वो इसमें से किसी एक को चुने। मेवाणी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी गुजरात का बदला उसने ले रही है। डेढ़ सौ सीट जीतने का दम भरने वाली बीजेपी गुजरात में 99 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। उसे तकलीफ इसी बात की है। इसीलिए उसे फंसाया जा रहा है।
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